सावन
सावन


यूं तो बारिश का मौसम अपने आप में खास होता है लेकिन सावन की बरसात कुछ ज्यादा ही ख़ास होती है क्यूंकि इसमें होता है प्यार का रंग।
आज अगस्त महीने की शुरुआत पर जब बादल बरसे तो फुहारें कहीं दूर भूली बिसरी यादों में अपने साथ भीगाने के लिए ले गयी थी और धरा चल पड़ी थी यादों के सफ़र पर जो प्यार की हरियाली से सजा था जिसमें बहुत से काटें थे लेकिन उन सब पर काफी था एक फूल जो इतनी खूबसूरती से अपनी खुशबू धरा के जीवन में फैला गया की उसक शिथिल पड़ा जीवन एक बार फिर जीवंत हो सांस लेने लगा था।
धरा की ज़िन्दगी भी आम लड़कियों की तरह ही थी महत्वकांक्षी और कुछ कर दिखाने का जज्बा रखने वाली लड़की थी धरा लेकिन ज़िन्दगी में कुछ मोड़ ऐसे भी आते हैं जहाँ अच्छे से अच्छा इंसान भी हार मान जाता है एक ऐसा ही मोड़ लायी थी किस्मत धरा की ज़िन्दगी में जिसने सपनो को दरकिनार कर ज़िन्दगी को एक ऐसी दिशा में मोड़ दिया था जो उस सफ़र पर निकल पड़ी थी जिसकी ना तो कोई मंजिल थी और ना ही था कोई हमसफ़र।
एक हादसे ने तोड़ दिया था धरा को एक सुबह ऐसी आई थी की कॉलेज जा रही धरा को पीछे से आ रही ट्रक ने इतनी जोरदार टक्कर मारी थी कि उसके एक पैर के साथ डॉक्टर ने उसके सपनों को भी काटकर अलग कर दिया था और बांकी रह गयी थी बिना सपनों की एक हताश लड़की जो कल तक खुद को एक आज़ाद पंछी थी ना जाने क्यूँ उड़ना ही भूल गयी थी।
माँ-पापा ने बहुत कोशिश की थी उसको एक नयी उड़ान देने की लेकिन समाज ने उसे
हमेशा पीछे धकेल दिया लोगों ने नाकारा अपंग कहकर मजाक बनाया उसे एहसास दिलाया की अब वो किसी काबिल नहीं रही है लेकिन एक उजाले की किरण ऐसी आई जिसने अन्धकार को दूर कर दिया । वो सावन के महीने का ही पहला दिन माँ उसे इस उम्मीद से मंदिर ले गयी थी कि शायद भगवन की कृपा हो जाएँ और उस पर अपनी कृपा कर दें और उस रोज़ माँ का भरोसा सच साबित हुआ उस रोज़ धरा पहली बार मिली थी डॉक्टर सावन से जो इंसान के रूप में एक फ़रिश्ता बनकर आये और देखते ही देखते उन्होंने धरा के आर्टिफीसियल पैर के साथ उसके सपने भी उसे लौटा दिए।
दोस्ती धीरे-धीरे प्यार में बदल गयी और जब सावन ने पहली बार उसे अपने दिल की बात बताई तो धरा ने हाँ कह दिया क्यूंकि जिस हमसफ़र की तलाश लोगों को हमेशा रहती है उसे उससे कईं गुना बेहतर हमसफ़र उसे मिल गया था सावन के रूप में जिसने ना सिर्फ उसे एक नये सफ़र की ओर बढ़ाया बल्कि उसक हाथ थामकर उसके साथ कदम से कदम मिलाकर उसे उसकी मंजिल तक पहुँचाया।
"देखो आज के अखबार में तुम्हारी लिखी कविता छपी है चलो गर्मा गर्म चाय पीते हुए बारिश का मज़ा लेते हैं और तुम्हारी कविता पढ़ते हैं" - सावन की आवाज़ उसे एक बार फिर वर्तमान में ले आई थी जिसमें धरा एक प्रतिष्ठित लेखिका भी थी और एक खुशनसीब स्त्री भी।
एक बार फिर सावन बरस रहा था और धरा की कविता एक ऐसी खुशबू फैला रही थी जो दो हमसफ़रों को एक नए सफ़र की ओर ले जाने वाली थी और वो दोनों भीग रहे थे उस खूबसूरत बरसात में।