सावित्री मैम
सावित्री मैम


संस्कृत की मैडम ने डाँटते हुए सीमा कोउठाया ,"तुम्हें रुमाल कहाँ से मिला।" सीमा ने फिर वही उत्तर दिया, "मैम नीचे गिरा हुआ था मैने रीता का समझ कर सम्भाल कर रख दिया और जब वो आई तो मैने उसे दे दिया लेकिन वो कह रही है कि ये उसका नहीं है। इसके अलावा मुझे कुछ नहीं पता ।"सीमा उस विद्यालय में नई आयी थी ,उसे रुमाल पर कढाई की जाती है यह भी नहीं पता था । डेस्क के नीचे कढाई वाला सफेद रुमाल देख उसे लगा ये रीता का है।उसने रीता के पास कढाई किया हुआ रुमाल देखा था । रुमाल में दस रुपये भी बंधेथे । सामने वाली लड़की ने मैम से शिकायतकर दिया था कि सीमा ने उसका रुमाल ले लिया था । सीमा ने रोते हुए सारी बात मैम को बताई तो मैम ने उस पर विश्वास कर लिया ।केवल विश्वास ही नहीं पूरी कक्षा के सामने उसका समर्थन भी किया था।मैम के इस विश्वास ने सीमा को बहुत हौसला दिया अन्यथा लड़कियां उसे चोरभी कह सकती थीं। और यही था सावित्री मैम से सीमा का पहला परिचय । सीमा आजीवन उनके इस कृत्य को भुला नहीं सकी । सीमा पढ़ने में बहुत अच्छी थी लेकिन घरेलू परिस्थितियों केप्रतिकूल होने के कारण ना तो वह रोज विद्यालय ही आ पाती थी ना ही अन्य किसी प्रोग्राम में ही भाग ले पाती थी । उसे घर से सख्त ताकीद़ दी गईथी कि न तो खेलना है ना ही किसी सांस्कृतिक कार्यक्रम में ही भाग लेना है अग रऐसा किया तो विद्यालय से नाम कटवाकर घर बैठा दिया जायेगा । सीमा ने खुद को बिल्कुल रिजर्व कर लिया ताकि उसकी पढ़ाई चलती रहे।
सीमा संस्कृत में अच्छी थी इसलियेभी सावित्री मैम उसको मानती थीं । वे उसकीकक्षाध्यापिका भी थीं। कई बार फीस समय परना ला पाने पर वे अपने पास से उसकी फीस जमा कर देतीं थी और बाद में वापस भी नालेती थी ना जाने क्यों । सीमा के पिता नेअच्छे पद परहोते हुए भी अपने घर के प्रति जिम्मेदारी कासही ढंग से निर्वाह कभी नहीं किया । हाँ अपनेअगले जन्म की चिंता अवश्य थी सो जो भी वेकमाते , गरीबों में बाँट देते ।यहाँ यह कहना भी जरूरी है कि वे एकअच्छे पद पर अवश्य थे पर महीने में पन्द्रह से बीस तक छुट्टियां कर जाते थे । और मन्दिरों तथा गंगा के किनारे घूमते रहते ।
उनके अच्छी खासी खेती भी थी जिसे बटाई परदे दिया गया था। सीमा के पिता ने कभी खेती भी नहीं कराई ।सब कुछ होते हुए भी उन्होंनेपूरे घर को अभावग्रस्त बना रखा था ।
सीमा घर की चिंता में डूब होती तो सावित्री मैम उससे अवश्य पूछतीं पर सीमा उनसे कुछ भी ना बता पाती लेकिन मैम बहुत कुछ समझ जाती थीं । उनके हौसले ने सीमा के खोते हुए आत्मविश्वास को एक बड़ा सम्बल प्रदान किया था । गुरु की भूमिका छात्रों के जीवन में बहुत बड़ी होती है उन गुरुजनों की यादें अमिट होती हैं वे कभी भी नहीं भूलती । सावित्री मैम हमेशा सीमा के लिए उसी के सामने अन्य शिक्षिकाओं से कहतीं, 'हप्ते में मुश्किल से दो तीन दिन ही विद्यालय आ पाती है, घर में भी इसे कोइ नहीपढाता ,तब भी यह इतनी तेज है।अगर इसेपूरा अवसर मिलता तो यह नाम कर सकती है।"सीमा को उनकी बातें एक अजीब सा साहस देती थीं।वह अपने हारते हुये मन को सम्भाल पाती थी।
सीमा के बोर्ड का फॉर्म सावित्री मैम नही भरा था । वह पैसा ना मिलने के कारण तीनदिनों तक विद्यालय ही नहीं गयी । अन्ततः उसपर दयाकरके बगलवाली एक महिला ने उसेफीस दे दिया। फीस लेकर जब वह विद्यालयमें पहुँची तो वह फॉर्म भरने का आखिरी दिन था। सावित्री मैम उसका फॉर्म भर चुकी थीं वेउसका इन्तजार कर रही थी केवल उसका फॉर्मपर हस्ताक्षर बाकी था । सीमा की आँखों में आँसू भर आये और सावित्री मैम ने उसकी पीठ थपथपा दी थी । उन्होंने सीमा से फार्म केपैसे भी नहीं लिए ,एक मीठी झिड़की दी औरसीमा के चेेहरे पर खुशी की एक लहर तैर गई ।सीमा को सावित्री मैम में गुरु से भी ज्यादामाँ नजर आती थी । उसे लगता कि काश! वेउसकी माँ होतीं तो कितना अच्छा होता वो जीभरकर अपनी पढ़ाई कर सकती थी । फिर तो
वो साइंस लेकर पढ़ती ,ना जानेक्याक्याकल्पना वो कर जाती थी सावित्रीमैमहमेशाउससेहंसकर ही बात करती थीं । गुड मॉर्निंग काजवाबहमेशा मुस्कुरा कर ही देतीं । सीमा को उनकी येआदत बहुत ही अच्छी लगतीथी ।
धीरे -धीरे समय आगे बढा ।कैसे बारहवीं के बोर्ड पेपर का समय भी आ गया । सावित्री मैम सीमा से उसकी परेशानियां पूछती लेकिनवह कभी भी कुछ ना बताती हमेशा सब ठीक है कहकर हट जाती थी । बारहवीं के पेपर होने केबाद वह रिजल्ट लेने तो गई पर सावित्री मैम से ना मिल पायी ,वे उस दिन विद्यालय नहीं आईथीं । इसके बाद उसकी सावित्री मैम से मुलाकात ना हो पायी ,कारण उसका स्वभाव वह फिर उस विद्यालय में नहीं गयी । कुछ कामवश गई भी तो ऑफिस से ही वापस आ गई लेकिन सावित्री मैम की यादें हमेशा हीउसके साथ रहीं वे कभी भी अलग नहीं हुईं ।
सीमा को सावित्री मैम से मिलने की इच्छा होती थी लेकिन वह बहुत चाहकर भी उनसे ना मिल पाई । पता चला कि उनका तबादला किसी दूसरे शहर में हो गया था लेकिन उनका पता व फोननं बहुत प्रयत्न करने पर भी वो नहीं पा सकी ।धीरे-धीरे समय आगे बढ़ा । सीमा की पढ़ाई पूरी हो गई और नौकरी भी लग गई । लेकिन सीमा के दिमाग में सावित्री मैम की यादें बनी रहीं । जब तब किसी ना किसी से वह सावित्री मैम का जिक्र कर ही देती है ।