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Archna Goyal

Drama

3  

Archna Goyal

Drama

साथ अनजाने का

साथ अनजाने का

4 mins
357

कुछ समझ नहीं आता है क्या करूँ क्या न करूँ।

जिंदगी एक दम झंट हो गई है।

ना ही कुछ करने को मन करता है ना ही कुछ सोचने को। जीने की तमन्ना ही खत्म हो गई है। बस ऐसा हो गया है जैसे कुछ नहीं बचा है जीवन में। बेटे के जाने के बाद तो मैं अधमरी हो गई थी। लेकिन पति के गुजरने के बाद तो अब सब खत्म ही हो गया है।

मेरे जीवन का सफर तो बंजारा सा हो गया है। जिसका अता-पता ही नहीं। ना ही कोई मंजिल ना रास्ते कहाँ रुकना है कहाँ चलना है। सब उलट पुलट हो गया है। मैं तो हूँ न मेरी जिंदगी तो पड़ी है अभी ना चाहते हुए भी जीना पड़ेगा। पर कैसे अकेले जीना बहुत मुश्किल है आज के जमाने में जमाने में। बस इसी उधेड़बून में लगी थी आँसूओ के साथ। कि संकेत का फोन आया। घंटी की आवाज ने मेरी उहापोह को खंडित कर दिया।

मैंने फोन उठा कर काट दिया। फिर तो मेरे सोचने की दिशा ही बदल गई अब तक में सिर्फ अपने भविष्य के बारे में ही सोच रही थी। लेकिन अब में संकेत को सोचने लगी थी

कितना अजीब इंसान है वो  बेपरवाह सा मस्तमोला सा है वो    ऐसा लगता है जैसे कोई दुख ही नहीं हो उसे। पहले जब देखा था तो कितनी मस्ती कर रहा था अपने परिवार के साथ लेकिन बाद में पता चला मुझे उसके बारे में।  

कि उसका परिवार एक हवाई दुर्घटना में मारा गया। वो बच गया था वो भी इसलिए कि काम के सिलसिले में उसने दुसरी फ्लाइट पकड़ी थी। उसने पहले अपने बीवी बच्चो को समय से भेज दिया था ताकि वो छोटे छोटे फंक्शन भी अटेन करले अपने मामा की शादी के।

जिस परिवार के साथ वो मस्ती कर रहा था वो उसके भाई के बच्चे थे। पर जिनको ये सब पता नहीं था उनके लिए तो वो उसकी ही फेमिली है।

एक बार तो सोचा उसका कॉल लेलु पर दूसरे ही पल उसे अनदेखा करना चाहा। क्युं कि डर रही थी मैं उसके बढ़ते कदमो से जो कि मेरी ओर ही बढ़ रहे थे। थोड़ी देर में फिर बावरा मन कॉल उठाने को बेताब हो गया। पर अब तो घंटी बजनी भी बंद हो चुकी थी। आखिर बंद तो होनी ही थी काफी देर से जो बज रही थी। अब मन किया कि बेक कॉल करूँं पर सोचा कही मैं उसकी मीठी बातों में न आ जाऊं।

फिर सोचा बेचारा खुद भी मेरी तरह दुखी है वो क्या मुझे बातो में फसाएगा  शायद अपना दुख बाँटना चाहता होगा। वैसे भी ये सच ही तो है एक दुखी ही दुखी का दुख समझ सकता है। ये ख्याल आने के बाद तो मैंने एक पल भी गवाना उचित नहीं समझा और झट से कॉल किया। संकेत ने भी पहली ही घंटी में कॉल उठा लिया। जैसे बेसब्री से इंतजार हो उसे।

मुझे बहुत अफसोस हुआ अपनी बेवकुफी और घटिया सोच पर। खैर मैंने उससे बात की तो पता चला कि वो इसी शहर में आया हुआ है। और आज यहाँ बंद है किसी कारण वश तो उसे कोई रुकने की जगह नहीं मिली। तभी कॉल किया था उसने। मुझे मजबूरन अपने घर आने के लिए कहना पड़ा। फिर मैंने कहा मैं पड़ोस में गई हुई थी और मोबाइल यही भुल गई थी। आकर देखा आपकी मिसकॉल। तब कॉलबेक किया। संकेत ने कहा कोई बात नहीं।

घर आया वो और कुछ बातें हुई। खाना-पीना हो गया तो मैंने उसे ऊपर जा कर आराम करने को कहा तो इंकार करते हुए कहा मैं यहा आराम करने नहीं तुमसे कुछ बात करने को आया हूँ।

क्या बात करनी है जो फोन पर न कह सके। यहाँ आना पड़ा। हूँ जो मैं तुमसे कहना चाहता हूँ वो फोन पर ठीक से नहीं हो पाती। ऐसी क्या बात है जो। मैंने कहा। मेरी बात बीच में ही काट कर कहा आई लव यु मेरे साथ चलोगी एक अंजाने सफर पर जिसकी कोई मंजिल नहीं कोई दिशा नहीं। कोई मकसद नहीं। बस एक दुसरे का हाथ पकड़ कर चलते चलेगे। और वो मेरी आँखों में देखता रहा। और फिर शुरु हो गया हमारा अंजान सफर एक अनजाने के साथ।


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