रसोड़े में कौन है?
रसोड़े में कौन है?
रोज सुहानी सबको खाना खिला पिला कर जो खाने का समान बचता फ्रिज में रख देती ...जो फल भी बचता वह फ्रिज में रख देती...पर केला फ्रिज में रखने से काला हो जाता...इसलिए डायनिंग टेबल पर ही रहने देती...।
सूती रूमाल से फल को ढक कर रख देती...सुहानी सुबह में चाय डायनिंग टेबल पर ही चाय पीती...।
सुहानी तीन-चार दिन से परेशान हैं, टोकरी में जो केला रख के जाती है... सुबह में डायनिंग टेबल पर फल की टोकरी में केले का छिलका होता...उनकी समझ में नहीं आता कि रोज रात में केला कौन खा जाता... मीरा सुहानी की मेड है... रात में खाना बनाकर वह चली जाती.... उसको जो चीज की जरूरत होती मांग लेती..बेटा समीर वह तो खाने में नखरीला...हाथ में उठाकर दो तो खायेगा....वरना सामान सड़ जाये फेंका जाये कोई मतलब नहीं....
अब रह गये पति सूरज जी ....
शायद वहीं है जो रात में केला खाकर छिलका टेबल पर रखकर सोने चले जाते है।
सुहानी को सूरज जी पर बहुत गुस्सा आया...सोची सोकर उठेंगे तो उनसे पूछेंगे...फिर घर के काम में सुहानी बिजी हो गई। जब सूरज जी उठे तो सुहानी उनसे पूछी....क्या आप रोज रात में केला खाकर छिलका टेबल पर रख देते...। सूरज जी ने कहां... मुझको एक सप्ताह से खाँसी है सो मैं रात को केला क्यों खाऊंगा? सुहानी मीरा से पूछी तो वह बोली...दीदी मुझको केला खाना होगा तो आपसे मांग लूंगी। बेटे से पूछा तो उसने भी इनकार में सर हिला दिया।
अब तो सुहानी की और परेशानी बढ़ गई .... हमारे घर में रात में कौन आ रहा है? सुहानी बहुत ही परेशान होने लगी...आज इतवार है उन्होंने बेटे के साथ आज डायनिंग रूम के बगल के गेस्ट रूम में छुप के केला के चोर का इंतजार करने लगी...रात के साढ़े ग्यारह के करीब एक छोटा-सा बंदर खिड़की के द्वारा डायनिंग रूम में आया....आये देखा.. बाये देखा...इधर देखा...उधर देखा... जाकर डायनिंग टेबल पर बैठकर आराम से केला खाने लगा...केला खाकर बंदर ...जिस रास्ते आया उसी रास्ते निकल गया....अब केला के चोर का रहस्य जान कर सुहानी अपने बेटे समीर के साथ खिलखिला कर हँस पड़ी.....।