# रंगबरसे "होली खुशियों वाली "
# रंगबरसे "होली खुशियों वाली "
" सुनो इस बार तुम्हें और पापाजी को सीमा भाभी के घर होली पर जाना होगा, भैया की मौत के बाद ये उनकी ग़मी की होली है ", नीतू ने अपने पति हिमांशु से कहा।
" नहीं नीतू बेटा, हम उनके यहाँ नहीं जायेंगे, एक साल भी नहीं हुआ हितेश को गुज़रे और सीमा ने दूसरा ब्याह भी रचा लिया, और तू चाहती है की मैं उसके घर जाऊँ? नहीं मैं नहीं जाऊँगा", बाबूजी ने रूठते हुए कहा।
" आप भाभी को गलत समझ रहे हैं बाबूजी, मैंने भी सीमा भाभी से यही पूछा था, उन्होंने मुझे बताया था, कैसे एक अकेली औरत वो भी दो जवान बेटियों की माँ का इस समाज में रहना कितना मुश्किल है। लोग उनकी बेटियों से गंदी बातें कहने लगे थे, बाबूजी सोच कर देखिये जिन बेटियों ने इतना प्यार करने वाले पिता को खो दिया हो और अपनी माँ के लिए गंदी बातें सुननी पड़ें तो क्या बीतती होगी उन मासूमों के दिल पर, भले ही हितेश भैया हिमांशु के मौसेरे भाई थे लेकिन जितना प्रेम और सम्मान वो हमें देते थे उतना कोई हिमांशु का सगा भाई भी नहीं करता। अपने आप से पूछिए जब आप घर में अकेले थे और आपको मलेरिया हुआ था तब वो हितेश भैया और सीमा भाभी ही थीं जिन्होंने आपकी दिन रात सेवा कर आपका साथ दिया था हम तो दूसरे शहर से आ भी नहीं पाए थे। सीमा भाभी ने अपने भाई के दोस्त से शादी सिर्फ अपने लिए नहीं बल्कि अपनी बेटियों के लिए करी है, उनकी और बेटियों की सुरक्षा के लिए, और जब हम समाज को नहीं बदल सकते तो खुद को बदलना ही बेस्ट है... है ना बाबूजी? "
कुछ विचार करने के बाद बाबूजी ने गहरी सांस लेते हुए कहा " तू सच कहती है बेटी, देख तो मुझे इतने बसंत और इस दुनिया को देखने के बाद भी मैं ये नहीं समझ सका, लेकिन आज तूने मेरा नज़रिया बदल डाला, मैं अभी सीमा को फ़ोन लगाता हूँ और उसे बताता हूँ कि हम एक घंटे में पहुँच रहे हैं।"
जैसे ही उन्होंने फोन उठाया, उधर से सीमा का फ़ोन आने लगा
" नमस्ते मौसाजी, कैसे हैं आप? अभी तक नाराज़ हैं ना, मैं माफ़ी के शायद लायक तो नहीं लेकिन होली पर तो सभी एक दूसरे को माफ कर देते हैं, तो क्या आप मुझे माफ़ नहीं करेंगे? " और वो सिसकने लगी।
" अरे सीमा बेटा रो मत बच्ची, माफ़ी तो मुझे माँगनी चाहिए, जो मैं तेरा साथ नहीं दे पाया, इस दुनिया की दुनियादारी में आकर वो नहीं देख सका जो तुम तीनों अकेले झेल रहीं थीं। और इसी नफरत के चलते तेरी शादी में भी नहीं आया, माफ कर दे बेटा। मैं और हिमांशु अभी एक घंटे में पहुँच रहे हैं। बच्चों को बता देना, उनके बाबा और चाचा उनके लिए खूब मिठाई और रंग पिचकारी लेकर आ रहे हैं मैं जानता हूँ उन दोनों को होली बड़ी पसंद है। अच्छा बेटा रखता हूँ।
" मौसाजी आप मुझसे माफ़ी मत मांगिये। आपका आशीर्वाद चाहिए बस। मैं समझती हूँ इस उम्र में कुछ भी जल्दी अपना लेना मुश्किल है। मैं और मेरे बच्चे आपसे कभी दूर नहीं हो सकते। मैं आपको विश्वास दिलाती हूँ, अनुराग से मिलकर आपको बहुत अच्छा लगेगा, और संतोष होगा, जल्दी आइये आपका इंतज़ार है।"
और इस तरह सीमा और उसके बच्चों की फ़ीकी होली मिठास और रंगों से भर गयी। सही है किसी भी त्यौहार की खुशी तो अपनों के साथ ही होती है।
