उसे परेशान मत करो
उसे परेशान मत करो
कोमल जितनी दिखने में कोमल है उतना ही उसका मन भी कोमल है। उसे होली पसंद तो है, लेकिन सिर्फ पिचकारी से पानी दूसरों पर मारने तक ही, खुद उसे कोई ना रंगे और कोई उसकी पिचकारी ना छीने बस, आखिर है भी तो 8 साल की बच्ची।
आज कॉलोनी में सुबह से ही होली का हुड़दंग छाया है, कोमल अपने कमरे की खिड़की से सबको रंग खलते देख रही है और बाहर बुलाने पर मना कर रही है। इतने में उसकी नज़र एक छोटे से पिल्ले पर पड़ी जिसे कॉलोनी के कुछ शैतान लड़के रंग लगा और खिला कर परेशान कर रहे थे, कोमल से ये देखा नहीं गया, वो किसी तरह हिम्मत करके बाहर गई और बड़ी बहादुरी से उन लड़कों से बोली " उसे परेशान मत करो ", उसने ज़ोर से कहा। पर लड़के कहाँ मानने वाले थे, उन्होंने कोमल की बात नहीं सुनी। लड़के बड़े थे, सो कोमल भी थोड़ा पीछे हो गई, पर उस पिल्ले की दया की भीख मांगती आँखें कोमल के मन से जा नहीं रही थीं।
उसने फिर हिम्मत करी और कुछ लड़कों को पीछे की तरफ धक्का दिया तो उनमें से एक ने कोमल से कहा " भाग जा कोमल वर्ना तुझे रंग देंगे।"
" हाँ रंग दो मुझे, लेकिन उस पप्पी को मुझे दे दो "
फिर क्या था लड़कों ने कोमल को खूब रंगा और उसे वो पिल्ला दे दिया।
कोमल की ऐसी हालत जब उसके माता पिता ने देखी तो पूछा कि किसकी हिम्मत हुई कोमल को रंग लगाने की। कोमल ने उस पिल्ले को सभी को दिखाते हुए कहा " मैंने उन शैतान लड़कों से इसे बचाने के लिए खुद को रंग लगवाना मान लिया।"
" नहीं बेटा ये तो ग़लत है, अगर वो लड़के उस पप्पी को परेशान कर रहे थे तो तुम हमें बतातीं, हम उन्हें रोकते लेकिन तुम्हें उनकी बेकार की शर्त मानने की क्या ज़रूरत थी? यदि ऐसे ही चलता रहेगा तो सभी गलत लोग अच्छे लोगों की अच्छाई का फायदा उठाएंगे, तुम्हें अपनी बात पर दृढ़ रहना और बहादुर होना सीखना होगा। लेकिन एक बात तो है तुमने आज उन बड़े लड़कों से रंग लगवा कर इस पप्पी को बचाने का जो काम किया है वो बहुत बड़ा काम है।"
कॉलोनी की कमिटी ने उन लड़कों को सज़ा देते हुए कोमल को शाबाशी दी। और उस दिन से वो पप्पी और कोमल पक्के दोस्त बन गए।
सही तो है होली हो या दीवाली इन बेज़ुबानो की आवाज़ कोई नहीं सुनता, अपने मज़े के लिए इन मासूमों को परेशान करने का कोई औचित्य नहीं है।