माँ की आँखे हैं या एक्स - रे
माँ की आँखे हैं या एक्स - रे
" मोना... क्या हुआ बेटा तेरी आँखें लाल क्यों हो रही हैं?" नैना जी ने अपनी 25 साल की बेटी से पूछा।
" कुछ नहीं मॉम... रात भर सोई नहीं इसलिए आँखे लाल हो गई होंगीं... मैं ठीक हूँ। "
" तू मुझसे झूठ नहीं बोल सकती। बता क्यों रोई रात भर? मुझे नहीं बताएगी तो किसे बताएगी बेटा बोल ना?"
" मॉम मुझे नौकरी से निकाल दिया गया है, कितनी मेहनत कर रही थी मैं अपने प्रोजेक्ट पर। बस कल एक मुझसे थोड़ा ज्यादा एक्सपीरियनस वाला कोई लड़का आया और मेरा प्रोजेक्ट उसे थमा दिया, ये कोई बात हुई क्या", कह कर मोना रोने लगी।
" रो मत मेरी बच्ची, कुछ आँसू विदाई के लिए भी बचाने होंगे ", नैना ने उसे अपने गले से लगा लिया।
" आज मैं तेरी पसंद का ब्रेड पकोड़ा बनाऊँगी, इन छोटी छोटी बातों पर रोते नहीं बेटा... ज़रा ठंडे दिमाग से सोच शादी के बाद तू विदेश चली जायेगी तब भी तो तुझे ये नौकरी छोड़नी पड़ती ना... अब अच्छा है हिमांशु से वहाँ के लोगों के ई मेल ले ले और अपलाई करना शुरू कर दे, जब तक तू वहाँ सेटल होगी, तुझे नौकरी मिल चुकी होगी, और अपनी माँ के साथ थोड़ा समय भी बिता लेगी... हैना।"
"मॉम ये ब्रेड पकोड़ा बहुत टेस्टी है। एक बात बताओ आपको कैसे पता चला कि मेरी आँखे रोने से लाल हुई हैं, आपने मुझे देखा था क्या रात को?"
" नहीं... मैंने तुझे रात को नहीं देखा था। तेरी मां हूँ, बचपन से तेरी खुशी, तेरा दुःख महसूस करती हूँ चाहें तू बोले या ना बोले, मुझे तेरे शब्दों की ज़रूरत ही नहीं पड़ी तुझे समझने के लिए।"
" मॉम, इसका मतलब नानी सही कहती हैं कि माँ की आँखें... आँखें नहीं बल्कि एक्स - रे होतीं हैं, जो बच्चों के हृदय के हर भाव को देख सकती हैं।" मोना अब कुछ शांत थी।
" हाँ बेटा हर माँ की आँखे उसके बच्चे के लिए एक्स - रे ही होतीं हैं, उसके बचपन से ही, जब वो बोलना भी नहीं जानता तब भी तो माँ समझ जाती है, कि उसे क्या चाहिए।"
मोना की शादी खूब धूम धाम से हो गई, और विदेश जाने से पहले ही उसके हाथ में उसके इंटरव्यू लेटर्स थे।
नैना को अपनी बेटी पर गर्व था।