सास भी तो माँ ही हैं और सहेली भी
सास भी तो माँ ही हैं और सहेली भी
" अनु कुसुम आंटी तो खिलते हुए रंग पहनती हैं, फिर इतने डल कलर की साड़ी क्यों ले रही है उनके लिए", हेमा ने अपनी पड़ोसन और दोस्त अनु से एक साड़ी की दुकान पर साड़ी खरीदते हुए पूछा।
" ये मेरी मम्मा के लिए नहीं बल्कि संदीप की मम्मी यानी मेरी सास के लिए है ", अनु ने पैमेंट करते हुए कहा।
" पर सास के लिए भी क्या किसी बहू को मदर्स डे का तोहफा खरीदते देखा या सुना है?"
" क्यों क्या वो माँ नहीं होतीं ?"
" माँ हैं, पर अपनी नहीं पति की। "
" ओह चलो भी हेमा, ये पुराने ज़माने की बातें मत करो, तुम्हारी सास तुमसे अच्छा व्यवहार नहीं करतीं इसका ये मतलब नहीं कि सभी साँसें बुरी हैं। मैं तो अपनी सास की शुक्रगुज़ार हूँ कि उन्होंने संदीप को इतने अच्छे संस्कार दिये, औरत की इज़्ज़त करना और उसकी भावनाओं की कद्र करना सिखाया। पता है शादी के 10 सालों में संदीप एक बार भी मुझपर चिल्लाये नहीं, चाहें उन्हें कितना भी गुस्सा आये, लेकिन वो ख़ुद को संभालना जानते हैं। और यही संस्कार अब मेरे बेटों में भी तो जायेंगे ना? मैं सच में लकी हूँ कि मुझे इतनी अच्छी सास मिलीं। "
" काश मेरी सास भी तेरी सास की तरह होतीं, उन्हें तो बस मुझमें गलतियां ही नज़र आती हैं, और उनका बेटा और सोने पर सुहागा, मजाल है जो कभी मेरा साथ दे दे, मैं तो तंग आ गई हूँ उनके ताने सुन सुन कर। कैसा बेस्वाद खाना है, कपड़े ठीक से इस्त्री करने नहीं आते, बच्चों को संभालना नहीं आता, और पता नहीं क्या क्या... तू बता ऐसी सास को मैं माँ कैसे मान लूँ? "
" समझ गई... तेरी सास की परेशानी ये है कि उनकी सास भी उन्हें खूब ताने देती होंगी, जिसको अब वो आगे बढ़ा रही हैं। सभी अलग अलग स्वभाव के होते हैं... तुझे घर में शांति चाहिए तो एक उपाय बताऊंगी... करेगी?" अनु ने हेमा से पूछा
" करूँगी, घर में शांति कौन नहीं चाहता... बता ना।"
" पहले वादा कर अपना ईगो बीच में नहीं आने देगी।"
" ठीक है... वादा, अब बता भी दे।"
" सबसे पहले अपनी सास के लिए कोई तोहफ़ा ले और उन्हें मदर्स डे पर गिफ्ट देते हुए उनका हाथ थाम कर बड़े प्यार से पूछ मम्मी जी क्या मुझसे कोई गलती हो गई है जो आप हमेशा मुझसे गुस्सा रहतीं हैं? और अगर आपकी लाईफ में कोई परेशानी है तो मुझे बता सकतीं हैं... अब इतना मजबूत तो हो ही गया है हमारा रिश्ता इन 7 सालों में। कभी मैं कुछ गलती कर भी दूँ तो उसे सही कैसे करना है, मुझे प्यार से बता दिया करिये। आपके ऐसे रूखे व्यवहार का असर आपके पोते पोती पर भी तो पड़ेगा, बच्चे जो देखते हैं वही सीखते हैं... आप तो समझदार हैं, सब समझती हैं... हैना मम्मी जी ।"
" वो मेरी इतनी बात सुनेंगी भी?"
" क्यों नहीं सुनेंगी, जब तू प्यार से बात करेगी तो ज़रूर सुनेंगी। प्यार तो हर इंसान की कमज़ोरी होती है... विश्वास कर, एक सुंदर सा सूट ले ले उनके लिए और इस बार उन्हें अपनी दोस्त बना ही ले। ट्रस्ट मी सास से अच्छा दोस्त ससुराल में और कोई नहीं होता।"
दोनों घर पहुँच गईं
" चल हेमा कल के लिए बेस्ट ऑफ लक... आशा करती हूँ सब ठीक होगा... बाय।"
अगले दिन अनु ने अपनी सास को मदर्स डे विश करते हुए उन्हें साड़ी दी, तो उन्होंने उसे गले से लगा लिया और नम आँखों से ईश्वर को इतनी अच्छी बहू देने के लिए धन्यवाद दिया।
" थैंक यू मम्मी जी, आप नहीं जानतीं आपने संदीप की इतनी अच्छी परवरिश करके, मुझे लाईफ का कितना बड़ा तोहफा दिया है, और अपने पोतों को भी ऐसे संस्कार देकर आपने मेरा भविष्य भी सुधार दिया ", अनु का गला रूंध गया और आँखों से आँसू बहने लगे।
" रो मत बेटा... चल आज लंच बाहर करेंगे, जल्दी से रेडी हो जा "
घर से बाहर कदम रखते ही अनु और उसकी सास का मुंह खुला का खुला रह गया। उन्होंने देखा हेमा और उसकी सास खूब हँस रहे हैं साथ में चाय पी रहे हैं।
हेमा ने अनु का धन्यवाद करते हुए कहा " तू सही थी अनु, मेरी सास अपनी सास से बहुत परेशान हैं, और उन्हें कुछ बोल नहीं सकतीं इसलिए सारा गुस्सा मेरे ऊपर ही निकल जाता था, लेकिन उन्होंने वादा किया है ऐसा अब कभी नहीं होगा... थैंक यू सो मच अनु"।
अनु खुश थी कि उसकी सहेली की लाईफ में कुछ तो सही हुआ और उसकी सलाह काम आ गई।