मैं तुम्हारी रक्षक हूँ
मैं तुम्हारी रक्षक हूँ
" नहीं मम्मा... मुझे स्कूल नहीं जाना ", 4 साल की मिली ने कीर्ति से कहा।
" क्यों बेटा... तुम्हारी टीचर तो तुम्हें खूब सारे टॉयस देती है ना खेलने को तो क्यों नहीं जाना ", कीर्ति ने प्यार से पूछा।
" नहीं जाना चाहती तो रहने दे बहू... ", कीर्ति की सास ने मिली को गोद में लेते हुए कहा।
" आज उसकी बर्थ डे है, हम खूब मस्ती करेंगे... हैना मिली ", दादी ने कहा।
मिली को स्कूल जाना बहुत पसंद था, फिर ऐसा क्या हुआ जो वो 7 दिनों तक लगातार जाने से मना कर रही है, कीर्ति ने मिली को गोद में लिया और स्कूल चल पड़ी।
जैसे जैसे स्कूल पास आ रहा था, मिली डर से कांप रही थी। कीर्ति ने उसे अपने सीने से ज़ोर से लगाया और बेहद प्यार से पूछा " मिली बच्चे क्या हुआ? इतना डर क्यों रही हो, किसी ने कुछ किया आपके साथ? मम्मा को बताओ बेबी, मम्मा गंदे लोगों की पिटाई लगाएगी...।"
" मम्मा स्कूल नहीं जाना, वहाँ एक गंदे अंकल हैं जो मुझे गंदी तरह छूते हैं, और डराते हैं... ", कह कर मिली रोने लगी।
अब कीर्ति का गुस्सा चरम पर था वो दनदनाती हुई सीधे प्रिंसिपल ऑफिस में घुस गई
" सर ये क्या हो रहा है आपके स्कूल में, मेरी, 4 साल की बेटी मिली को पता नहीं किस आदमी ने मोलेस्ट किया है, आपने कुछ नहीं किया तो आपका स्कूल बंद करा दूँगी " कीर्ति ने एक सांस में सब कह दिया।
" आप शांत हो जाएं, हमें और भी बहुत शिकायतें आईं, एक नया पीऊन रखा था, जो इन सभी के पीछे था, उसे जेल करा दी गई है और सभी स्टाफ का पुलिस वेरिफिकेशन भी हो गया है।"
" ये कदम जो आपने वारदात होने पर उठाये, अगर पहले लिए होते तो इन मासूमों को बचाया जा सकता था।"
" मैं शर्मिंदा हूँ "।
कीर्ति ने मिली का स्कूल बदल दिया और साथ ही उसे गुड टूच बैड टूच की ट्रेनिंग भी दी।