रंगों के मायने

रंगों के मायने

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बचपन में वह रंगबिरंगी फ़्रॉक्स पहनकर गुड्डे गुड़ियों के साथ खेला करती थी और गुड्डे गुड़ियों के इस खेल में लाल - पीले और हरे - गुलाबी रंग में बड़ी ही सजधज से उन गुड्डे गुड़ियों की शादी की जाती थी।

कुछ सालों में उसकी अपनी भी शादी हो गयी।शादी के बाद सजने संवरने और चारो ओर खुशियों के खूबसूरत रंग बिखरने लगे थे।

एक दिन अचानक सबकुछ बदल गया।पति की एक्सीडेंट में डेथ हो गयी।लगा जैसे समय ठहर सा गया हो।सब कुछ रेत की दीवारों की तरह भरभराकर बिखर गया।जिंदगी में सफेद और सिर्फ सफेद रंग ही रह गया था।सफेद रंग ने जैसे सारे रंगों को अपनी रूह में मिला लिया हो।

स्कूल के दिनों में पढ़ा था की सात रंगों से मिलकर सफेद रंग बनता है।स्कूल के उन दिनों में प्रिज्म से निकलते हुए सात रंगों को देख कर बहुत वंडर होता था।तब क्या पता था कि उसकी जिंदगी के सारे रंगभी सफेद रंग में ही समाहित हो जाएँगे?

सच में रंग बेजुबान होकर भी बहुत कुछ कहते रहते है, खास कर किसी औरत के लिबास का सफेद रंग .....


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