रहस्यमयी सपना
रहस्यमयी सपना
नाम राजू है। आज भर पेट खाना खाया है। आज खाने में अलग अलग प्रकार के व्यंजनो का स्वाद लिया। पर अभी भी भी कुछ बाकी है। आज तीखा, मीठा, नमकीन सभी का स्वाद लेने पर भी जीभ को किसी और स्वाद का इतंजार है।
सोने जा रहा हूँ पर नींद नदारद है। मन बैचेनी से भरा हुआ है। समझ में नहीं आ रहा क्या करूँ आखिर मन नहीं माना। मै उठ खड़ा हुआ। जाकर तुरंत कपाट खोला और एक सिगरेट निकाल कर जलाया। सिगरेट के कश खींचते हुए मानो सुकून मिल रहा है। सिगरेट खत्म हुई और मैं सोने चला गया। आंख बंद करते ही नींद ने घेर लिया। मै अब गहरी नींद मे था। कुछ देर बाद सपने में खो गया, सपने में मैनें अपने आप को देखा। मैं मात्र परछाईं रूप में था और मेरे शरीर का प्रत्येक अंग मुझसे अलग अलग दूर भाग रहे थे। मैने उन्हें पुकारा तो वह रूक गए। मैने कहा, तुम मेरे शरीर के अंग हो, और मुझे ही छोड़ के भाग रहे हो। मैने एसा क्या किया।
सभी अंग अपनी अपनी जगह रूक गए। सभी का चेहरा भयभीत दिखाई दे रहा था। दिमाग ने आगे बढ़कर कहा।
दिमाग :- "तुम्हारी वजह से हम कितनी मुसीबत में हैं यह तुम्हें पता नहीं। तुमने हमें बीमार कर दिया है। अब तुमसे डर लगने लगा है। तुम रोज मादक पदार्थ का उपयोग करते हो। जब तुम तम्बाखू खाते हो या सिगरेट पीते हो तो मुझे चक्कर आने लगता है। यहाँ तक की कभी कभी मैं सुन्न पड़ जाता हूँ। तम्बाकू की वजह से मेरी कितनी नशें कमजोर पड़ गई है। मेरी स्मरण शक्ति भी क्षीण होने लगी है। जब तुम छोटे थे तो तुम्हारे माता पिता मेरी शक्ति बढ़ाने के लिए तुम्हें अखरोट, बादाम, और चवनप्राश खिलाते थे। मैं उस समय बहुत शक्तिशाली बन गया था। मेरी वजह से परीक्षा मे तुम्हे अच्छे अंक प्राप्त होते थे। मेरी वजह से हर जगह तुम्हे सफलता मीलती थी। पर अब तुम मेरे लिए कुछ नही करते बल्कि मुझे तकलीफ देने में तुम्हें मजा आता है। मुझे जोरदार झटका लगे इसलिए तुमने कई प्रकार का नशा शुरू कर दिया है। कभी कभी रक्तचाप इतना बढ़ जाता है कि मै डर जाता हूँ कि कोई नस ना फट जाए। और मै अपंग ना हो जाऊं ,मेरे आकार और सुदंरता मे भी बदलाव आने लगा है। अब तुम्हें छोड़कर जाना ही उचित है।
मुंह ने आगे बढ़कर कहा।
मुंह :- तुम सही कह रहे हो दिमाग भाई। तम्बाखू की वजह से मेरे अदंर बहुत से छाले पड़ गए हैं और वो ठीक भी नहीं होते। मै हमेशा दर्द मे रहता हूँ। पहले मुझे तीखा बहुत पसंद था। पर अब तीखा या नमकीन मुँह मे जाते ही मेरी जान तड़प जाती है। मेरे छाले जिस दिन फूट जाएंगे उसी दिन से तुम कैंसर के शिकार हो जाओगे। फिर तुम कुछ ही दिन के मेहमान रहोगे इस धरती पर।
फेफड़े ने आगे बढ़कर कहा।
फेफड़ा :- सही कहा तुमने। भगवान ने मुझे इसके शरीर मे बनाया ताकि मैं ऑक्सीजन अवशोषित कर कार्बन डाइऑक्साइड को बाहर फेंक सकूँ पर इसने प्राण घातक धुएं को अवशोषित करने के लिए मजबूर कर दिया है। कभी कभी वह धुआं इतना खतरनाक होता है कि मै सहन नहीं कर पाता और इसे खांसी भी आ जाती है फिर भी यह नहीं मानता। तुम्हारी वजह से मेरा गुलाबी रंग बदलकर काला हो गया है। मेरे अदंर इतना टार जमा हो गया है कि मै अपना काम भी सही से नहीं कर सकता।
हर्दय :- अरे तुम्हारा तो ठीक है ,मेरी हालत तो तुम सबसे ज्यादा खराब है। मैं कभी तेज धड़कने लगता हूँ तो कभी धीमे।मैं अपना काम सही से नहीं कर पाता। मै रक्त मे ऑक्सीजन सही से मिलाकर सभी अगं तक नहीं पहुंचा पाता । अगर ऐसा ही चलता रहा तो कुछ दिनों मे तुम्हारे हाथ और पैरों की उगंलियाँ सड़ने लगेंगी। इसके कारण इसका जीवन खतरे मे आ जाएगा।
इतना सुनते ही मेरी नींद खुल गई। मै भागकर आईने के सामने गया। मेरे सभी अंग सही सलामत थे। मैं खुश हुआ और मुझे मेरी गलतियों का अहसास हुआ। मैंने तुरंत कपाट खोला और सभी मादक पदार्थों को फेंक दिया।
आप सभी से गुजारिश है मेरी अगर आप तम्बाखू का सेवन करते है तो छोड़ दें और अपने दोस्तों को भी समझाएं कि वो तम्बाखू जैसे जहर का त्याग करें। नये साल से नया जीवन प्रारंभ करे।
