जन्मकुंडली

जन्मकुंडली

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सुबह सो के उठा और झट से नहाकर तैयार हुआ। दिमाग तो बहुत खराब था। मन मे तय कर लिया था कि कुछ भी करूँगा। पर उनको आज सबक सिखा के रहूँगा। मम्मी ने कहा, बेटा शांत हो जा। कहीं जा मत। वो लोग ना बोलेंगे तो क्या हमारे बेटी की शादी नहीं होगी। देख समाज मे बहुत बदनामी होगी। मैंंने कहा, मम्मी तु अंदर जा। आज मैं बताता हूँ उसे। मैं घर से तनतनाते हुए निकला। रास्ते मेही पंडित जी का घर था। सीधे पंडित जी के घर का दरवाजा खटखटाया। पंडित जी बोले, क्या है भाई? कौन सी रेलगाड़ी छुटे चली जा रही है तुम्हारी। ये क्या कोई तरीका है दरवाजा खटखटाने का? बोलिए क्या काम है मुझसे? मैंंने कहा, पंडित जी बहुत जरूरी काम है मुझे आप से। पंडित जी बोलिए क्या काम है? पर जो भी दक्षिणा होगी तुम्हें देनी होगी। मैंंने कहा, क्यों नहीं। आप इतने बड़े पंडित है। आपका नाम शहर मे कौन नहीं जानता। पंडित जी ने कहा, बोलिए क्या समस्या है? मैंंने कहा, एक जन्म कुंडली बनवानी है। पंडित जी बोले, क्यों नहीं। अभी बना देता हूँ। जनम तारीख बताईये। मैंंने कहा, 27 अप्रैल 2019 है। पंडित जी ने कहा, अरे वाह! आज ही के दिन पैदा हुई है। तब तो सुबह सुबह जनम हुआ होगा या फिर रात मे हुआ।

मैंंने कहा, यही अभी 4 बजे पैदा हुई है। पंडित जी ने कहा, तब तो कन्या होगी। मैंंने कहा, जी पंडित जी। पर आप को कैसे पता चला कि कन्या है? पंडित जी ने कहा, बस ब्रम्ह मुहूर्त मे कन्या का योग था। जो कि आपके घर आई है। जी लक्ष्मी आई है। मैंंने भी यही सोचा कि उसका नाम लक्ष्मीना रखूँ। बहुत बढ़ीया। पंडित जी ने पोथी पथरा निकाला और शुरु कर दिया जोड़ घटाना। तभी माथे पर खजुआते हुए बोले। देखिए ज्यादा चिंता की बात नहीं है। बस थोड़ा मंगल ग्रह का आगमन दिख रहा है। मैंंने कहा, क्या? पंडित जी ने कहा, चिंता मत करो बस थोड़ा सा खर्च होगा। मैं एख छोटी सी पूजा करा दूँगा। मंगल लौट जाएगा। बस कुछ दोष भी है। पर भाग्य की बड़ी तेज है। पर सर्प दोष की वजह से थोडी कठनाई आएगी पर चिंता न करो हम है।

थोड़ा खर्च बढ़ जाएगा। फिर भी पांच छः हजार का खर्चा मानकर चलो। पर एक बार खर्च कर लो। तो जीवन भर पछतावा नहीं रहेगा। समय रहते पूजा करवा लो। देखो भाग्य की बड़ी तेज है आपकी कन्या। बडी़ होकर इंजीनियर बनेगी। मैंंने हँसते हुए कहा, यह तो झुट है। आप की सब बात सही है कि वह मंगल दोष है, सर्प दोष है। भाग्य की तेज भी हो सकती है। पर इंजीनियर नहीं बनेगी। पंडित जी ने कहा, क्यों नहीं बनेगी? क्या मुझपर विश्वास नहीं है? मैंंने कहा, पंडित जी काला अक्षर भैंस बराबर। आपको पता नहीं उसकी माता खुद ही भैंस है। पंडित जी बोले। देखो मजाक का समय नहीं है। पूजा करा लो। वरना आपकी मर्जी। मैंंने कहा, पंडित जी ठिक है पूजा तो करवा दूँगा। पर यह बताईये आप कुंडली किसकी बनाए ?

पंडित जी ने कहा, आपकी कन्या का। मैंंने कहा, मैंंने आपसे कब कह दिया कि मेरी कन्या है। अरे मेरे भैंस ने जन्म दिया है। अब पहले यह बताईए कि वह इंजीनियर कैसे बनेगी? पंडित जी ने झल्लाहट से कहा, सुबह सुबह मेरे साथ मजाक करते हो। अरे जन्म कुंडली सिर्फ इन्सान की बनती है। जनावर की नहीं। मैंंने कहा, क्यों पंडित जी। क्या उनका जन्म नहीं हुआ। उसकी भी माता है। वह भी सजीव है। खाना खाएगी, बडी होगी, बच्चे जनेगी। सब तो हमारे तरह ही है। बस उसका शरीर अलग है हमारा अलग। बस विचार हम करते हैं और बोलतें हैं। पर वह बोल नहीं पाते, विचार नहीं कर पाते। पर हाँ इसलिए वह किसी को बेवकूफ नहीं बना सकते। अगर यह बोल पाते विचार कर पाते तो इनका पंडित भी होता और इनकी कुंडली बनाता और इनका भविष्य बताता। आपने कहा, था मंगल दोष है। पृथ्वी पर हम भी है यह भी है। मंगल ग्रह को आँख तो है नहीं कि जानवर और इन्सान मे फर्क करें। दोष तो इसपर भी पड़ सकता है। अब मंगल ग्रह को कौन समझाए कि यह इन्सान है कि जानवर। यही मंगल का असर इस पर हुआ तो तकलीफ़ हो जाएगी। मैं तो चाहता हूँ पंडित जी आप पूजा करा ही दो।

खर्चे की चिंता ना करो। पंडित जी ने गंभीरता से कहा, तुम सही कह रहे हो। मैं अभी देखता हूँ पर देखो अब मामला एक भैंस के बच्ची का है। जिससे तुम्हे आगे चलकर बहुत अधिक लाभ होगा। इसलिए खर्च थोड़ा बढ़ जाएगा। मैंंने कहा, जैसा आप उचित समझें। क्या है कि यह है तो मांगलिक। इसके विवाह के बाद इसका पती मर गया तो इसका दूध कौन पियेगा। एक विधवा को अपने आँगन मे कैसे रख सकेंगे। सुबह शाम आते जाते सामने आ जाएगी। अशुभ हो जाएगी यह। पंडित जी ने कहा, आप चिंता छोड़ दिजिए। मंगल को तो मैं देख लूँगा। मैंंने पंडित जी सी कहा, पंडित जी एक सवाल है मेरे मन मे। पंडित जी ने कहा पूछो। मैंंने कहा, पंडित जी अगर मेरी भेंस मांगलिक है तो पती विवाह के बाद मर सकता है। पंडित ने कहा, जरूर । मंगल दोष ही ऐसा है। मैंंने कहा, तब तो मेरी भैंस पर जो लाईन मारेगा उसे भी मीर्गी या फिर कोमा मे जरूर हो जाना चाहिए। पंडित जी मेरी ओर गुस्से से देख रहे थे और मैं हात जोड़े खड़ा था।

पंडित जी मेरी ओर देखते हुए कहा, क्या बकवास कर रहे हो तुम। मैंंने कहा पंडित जी अगर कोई लड़की मांगलिक है और उसका पती एक वर्ष के भीतर ही भगवान को प्यारा हो सकता है। तो उसे लाईन मारने वाले, उसके दोस्त और सभी रिशतेदारों पर भी उसका असर होना चाहिए। पंडित जी ने जोश मे कहा, हाँ , हाँ क्यों नहीं। उसका असर चारों तरफ होता है। उसका असर परिवार के ऊपर और धन पर भी होता है। मैंंने कहा, पंडित जी एक बात कहूँ। पंडित जी क्या आप सच मे इन सभी समस्याओं का हल निकाल सकते हैं। पंडित जी ने कहा, क्यों नहीं। हम किस लिए हैं। हमारा काम ही है ग्रह के दिशाओं को बदल देना। मैंंने कहा, पंडित जी मेरा एक दोस्त है। उसका जहाँ विवाह होने वाला है वह लड़की भी मांगलिक है। क्या आप मेरे साथ चलकर उस लडके के घर वालों को समझाएंगे कि मांगलिक लड़की से विवाह करने से कुछ नहीं होगा। बल्कि आप मंगल दोष हटा सकते हो। पंडित जी ने कहा, हाँ हाँ जरूर चलूगाँ। पर मैं जैसा कहूँगा वैसी पूजापाठ करानी होगी। क्या है कि लड़की का मंगल दोष हटाने के लिए बड़ी पूजा करानी होगी और खर्च भी ज्यादा आएगा।

मैंंने कहा, अरे पंडित जी खर्च की चिंता ना ही करो। अरे वह बड़े ही पैसे वाले लोग हैं। यहाँ तक की आपको दक्षिणा भी अलग से देगें। हो सकता है कि विवाह कराने के लिए भी आपको ही बुलाया जाए। पंडित जी तुरंत खड़े हो गए। उन्होंने कहा, सिर्फ बोलते ही रहोगे या ले चलोगे मुझे उनके घर। मैंंने कहा, क्यों नहीं, चलिए। मैं और पंडित जी बस चल पड़े। कुछ ही दूर पहुंचे की पंडित जी ने कहा, किसके घर जाना है? मैंंने कहा, बस यही सामने वाला मकान। अरे, मैं तो इन्हें जानता हूँ। मैंंने कहा, तब तो और अच्छी बात है, चलिए फिर। हम दोनो ने दरवाजा खटखटाया कि दिपक ने दरवाजा खोला। मुझे और पंडित जी को देखते ही उसके चेहरे की उदासीनता कहीं खो गई। उसका प्यारा सा चेहरा खुशी से जगमगाने लगा। मैं आपको बता दूँ कि दिपक बड़ा ही शांत स्वभाव का पढ़ा लिखा लड़का है। इंजीनियर है और अच्छा लड़का है। उसके पिताजी और माताजी सामने ही बैठे हुए थे। उन्होंने मुझे और पंडित जी को साथ मे देखा तो उठ खड़े हुए। दिपक के माताजी ने दिपक के पिताजी से कहा, लो अब तुम्ही संभालों। आ गया फिर से। पता नहीं अब और क्या कहना चाहता है कि पंडित जी को भी साथ ले आया।

मैंंने कहा, माताजी आप यहीं बैठिए। पंडित जी कुछ कहना चाहते हैं। माताजी ने कहा, बोलिए पंडित जी आप ही ने तो कहा था लड़की मांगलिक है। विवाह होगा तो लड़का जिवीत नहीं बचेगा। या फिर घर मे सब अनर्थ हो जाएगा। अब उसी के भाई के साथ चले आए। मैंंने कहा, पंडित जी ने कहा कि एक पूजापाठ से मंगल दोष दूर किया जा सकता है। यहाँ तक की ग्रह की दिशा भी बदल सकते हैं। बस थोड़ा सा पूजा और खर्च बढ़ जाएगा। पंडित जी ने टोकते हुए कहा, हाँ मैंंने भी यही कहा था लड़की मांगलिक है पर उसका दोष दूर किया जा सकता है। लड़के के पिताजी ने कहा, अगर ऐसा है तो क्या करना होगा? कितना खर्च आएगा। पंडित जी लार टपकाते हुए अपना पोथी पत्रा निकाला और कहना शुरू किया। देखिए विवाह के पूर्व कन्या का एक गुप्त विवाह किया जाएगा एक पीपल के पौधे से।

उस विवाह मे उसी प्रकार से चढ़वा चढ़ाया जाए जैसे असल विवाह मे होता है। सभी को भोजन कराने की आवश्यकता नहीं है सिर्फ मुझे ही खिला दीजीए। साथ ही साथ कुछ अनाज भी गरीबों को दान करना होगा। पर उसकी चिंता आप मत किजीये। आप पैसे मुझे दे देना मे मैं कर दूगाँ क्योंकि आप लोग तो स्वयं ही विवाह के कार्य मे उलझे रहोगे। तो यह कार्य मैं ही कर दूगाँ। मंगल दोष दूर करने हेतू लड़के और लड़की के नाम से दो सोने के गहने बनाकर मंगल ग्रह के नाम पर चढ़ाना होगा। क्या है कि मंगल ग्रह बहुत चमकीला ग्रह है और उसे सोना बहुत पसंद है। मैंंने कहा, ठिक है फिर वह गहना चढ़ाकर क्या करें ? कुछ नहीं बस मुझे दान दिजिए। क्योंकि मंगल दोष दूर करने का कार्य भी मैं करूगाँ तो सभी चढ़ावा मेरे पास ही आएगा। और चढ़ावा तो दान होता है। पंडित को किया गया दान बहुत लाभकारी होता है। एक बार यह कार्य संपन्न हुआ कि सभी दोष दूर हो जाएँगे। फिर दोनों के वैवाहिक जीवन पर कोई भी विपत्ति नहीं आएगी। दिपक के पिताजी ने कहा, आपकी दक्षिणा कितनी होगी। पंडित जी ने कहा, आप लो तो अपने ही है आप लोगों से क्या माँगूँगा ?

बस यही 10 हजार दे देना खुशी से। आपके बच्चों के भविष्य और खुशी के लिए यह तो कुछ भी नहीं। मैंंने पंडित जी से कहा, पंडित जी आपने तो समस्या ही हल कर दिया। अब दिपक की माताजी और पिताजी भी खुश थे। उन्होंने ने कहा, ठिक है तो कोई अच्छा सा मुहूर्त निकालिए। पंडित जी ने झट से मुहूर्त्त देखकर बताया। हम सभी ने उनका आशीर्वाद लिया। पंडित जी भी खुशी खुशी उठ खड़े हुए। चौखट तक जाने के बाद अचानक रूक गए। पीछे मुड़कर उन्होंने कहा, भाई तुम भी चलोगे मेरे साथ तभी तो तुम्हारी भैंस की जन्मकुंडली बनाऊंगा। मैंंने दिपक की ओर देखा और उसके माता पिता मेरी ओर घूर घूर के देखने लगे। मैं वहाँ से उठा और सीधे चल दिया।


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