Vikrant Kumar

Inspirational

4.9  

Vikrant Kumar

Inspirational

रेडियो प्रेम

रेडियो प्रेम

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जमाने बीत जाते है, यादें शेष रह जाती है।

अंधाधुंध बदलाव ने किसी जमाने में प्रतिष्ठा की पहचान हुआ करते रेडियो को खत्म सा कर दिया है।रेडियो की प्रतिष्ठा का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि सरदार शहर में सबसे पहले रेडियो लाने वाले सेठ का घर आज भी रेडियो जी की हवेली के नाम से प्रसिद्ध है।

संचार और मनोरंजन के सीमित साधनों के जमाने में रेडियो की एक अलग पहचान और अलग महत्व हुआ करता था। आज जहाँ गाड़ियों की माइलेज के लिए प्रतियोगिता होती है, उस जमाने में रेडियो की बैटरी कितने दिन चलेगी, इसका कॉम्पिटिशन होता था।

पत्र से पसन्द का गाना सुनना, फौजी भाइयों के लिए कार्यक्रम, प्रादेशिक भाषा के कार्यक्रम, किसान भाइयों के लिए फसल वार्ता, चौपाल और सदाबहार गीत संगीत। इतने आनन्ददायक कार्यक्रम थे कि आज के जमाने के सभी कार्यक्रम फीके लगे।

चकाचौन्ध जीवन शैली में सब कुछ छूटता गया और सुख-शांति की खोज में व्यक्ति अतृप्ति और अशांति के रास्तों पर भटक गया। परन्तु उस ज़माने के कुछ लोग आज भी उसी लय में उसी शांति से सुकून भरा जीवन जी रहे है।

ऐसे ही एक साधारण पर असाधारण व्यक्तित्व है फुंफ़ा विश्वनाथ जी।

हमारे घर के बिलकुल सामने श्री मल्लूराम जी सोनी का निवास है। उनकी बेटी सेवा भुआ की शादी के पश्चात मल्लूराम जी ने उन्हें अपने पास ही घर के एक हिस्से में बसा लिया। फुंफ़ा विश्वा जी और सेवा भुआ को मैं बचपन से देखता आ रहा हूँ। निश्च्छल और साधारण व्यक्तित्व। मेहनत मजदूरी से परिवार का पालन पोषण करना। आज 65 की उम्र में भी वही दिनचर्या है। ना किसी की बुराई ना किसी से लड़ाई। अपना जीवन अपना सुकून।सच में कई लोग भगवान जैसे होते है जो अपने कर्मों से दूसरों को प्रेरणा देते है।

खैर... मैं बात कर रहा था विश्वा जी के रेडियो प्रेम की। अपना काम खत्म करने के बाद उनको जो खाली टाइम मिलता, उसमें वो रेडियो लिए घर के बाहर बैठे अपनी पसंद के प्रोग्राम सुनते मिलते। उनके रेडियो की आवाज गली में दूर तक सुनाई देती। हमें घर बैठे उनके रेडियो की आवाज सुन जाती और फिर हम भी अपना रेडियो ट्यून करके प्रोग्राम का आनंद लेते। उनके रेडियो की आवाज हमें भी सुनने के लिए प्रेरित करती। उनकी वर्षों पुरानी ये दिनचर्या आज भी कायम है। लॉकडाउन की समयावधि के दौरान उनके रेडियो की आवाज ने मुझे पुनः रेडियो से जुड़ने के लिए प्रेरित किया। मैंने भी प्रसार भारती की न्यूज़ ऑन एयर एप्प मोबाइल में डाउनलोड की। जब रेडियो ट्यून किया तो बचपन वाला सुखद अहसास हुआ। प्रसार भारती के रेडियो में आज भी वही आनंद है। विविध भारती "देश की सुरीली धड़कन" आज भी दूरदराज के क्षेत्रों तक भारत के आम जनमानस की धड़कन है।

कॉटन सिटी सूरतगढ़ चैलन से आज भी रेगिस्तान की मीठी बयार बहती है।भागदौड़ भरी जिंदगी में रेडियो की आवाज एक ठहराव का प्रतीक है। मानसिक शांति और सुकून भरी दिनचर्या का सहारा है। जीवन में सकारात्मक संचार की अनुभति है।

सच ही है कि पहले संसाधन कम थे पर लोग सुखी थे। घर में रसोई के बर्तन , 2-3 जोड़ी कपड़े और बिस्तर। किसी किसी के पास रेडियो। बस ये सम्पन्नता से भरा सुखमय जीवन था। 

आज संसाधन बहुत है पर सुकून नहीं है। हर दूसरा व्यक्ति मानसिक अशांति से त्रस्त नजर आता है। सन्तुष्टि तो मानो महंगी वस्तु हो गयी हो। हर कोई अपनेआप से असंतुष्ट नजर आता है। लेकिन ऐसे माहौल में रेडियो से जुड़ कर जीवन का आनंद लिया जा सकता है। मन में स्थिरता और शांति लाने के लिए और जीवन धारा को आनंद धारा में बदलने के लिए आइए फिर एक बार रेडियो ट्यून करें।


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