राकेश और अंजलि भाभी
राकेश और अंजलि भाभी


सुबह का समय था राकेश घर के बाहर देख रहा था कि एक औरत जिसकी उम्र पच्चीस साल के करीब होगी राकेश देख रहा था वह भी उसको देख रही थी वह रोज की तरह कपड़े सुखाने आती थी राकेश रोज़ की तरह उसको देखने के लिए आता था अब राकेश उत्तेजित होने लगा और आकर्षित भी राकेश सोच में पड़ गया कि बात की जाए तो कैसे? राकेश का दोस्त जो उससे मिलने आता था
उससे सहायता मांगी राकेश ने एक कागज पर लिख कर दोस्त के हाथ से पर्ची भिजवा दी जिसमें उसने अपना प्रेम प्रसंग लिख डाला जिसको राकेश पसंद करता था उसका नाम अंजलि था उसने भी राकेश के दोस्त को एक पर्ची दी और बोली लो ये पर्ची दे देना राकेश ने जब वह पर्ची देखी उसने ये लिखा था तुम मुझसे बात करना चाहते हो लो मेरा नंबर बात कर लेना लेकिन रात को राकेश के अंदर एक उमग जागी राकेश ने रात होते ही झट से कॉल मिलाई अंजलि भाभी ने बोला-" हैलो"
राकेश ने भी बोला हेल्लो वहीं से राकेश की बातचीत शुरू हुई
एक महीना हो गया राकेश के अंदर एक आकर्षक पैदा होने लगा अब राकेश को अंजलि भाभी के करीब जाने की चाह लगी. राकेश की उम्र तेईस साल थी अब राकेश को मिलना था राकेश ने बोला - "मै आपसे मिलना चाहता हूं" तो उसने रात को मिलने के लिए बुलाया वो भी अपने घर में क्योंकि राकेश तो अकेला रहता था एक दिन अंजलि भाभी राकेश के घर आती राकेश को मानो शरीर से एक चिंगारी सी निकलती अंजलि भाभी का तन देखकर राकेश बिल्कुल उत्तेजित हो जाता, अंजलि भाभी बोलती तुम अपने कपड़े उतार दो और तुम मेरे उतार देना बस झट से राकेश ने अपने कपड़े उतार दिए और अंजलि भाभी के भी उतार दिए राकेश अंजलि भाभी के होठ का स्वाद चखने लगा और राकेश उतेजित होने लगा ,अंजलि भाभी बोली - इतना आनंद तो मेरे पति भी नहीं देते जो आंनद तुमने दिया है मै तुमको बहुत पसंद करती हूं , राकेश बस मानो राकेश को कामासूत्र का अहसास मिल गया हो अब राकेश अंजलि भाभी के घर जाने लगा जब जरूरत होती राकेश पहुंच जाता, राकेश और अंजलि भाभी हमबिस्तर हो ही रहे थे कि दरवाजे घंटी बजी अंजलि भाभी काफी डर गई और राकेश भी काफी डरने लगा जल्दी जल्दी से अंजलि भाभी ने कपड़े पहने और राकेश को खिड़की से भगा दिया, कुछ दिनों बाद राकेश को पता चला कि अंजलि भाभी घर खाली करने वाले हैं कहीं ओर रहने का बंदोबस्त कर रहे है, राकेश के आंखो से आंसू की नदियां बहने लगी क्योंकि अंजलि भाभी का तन मन देख कर राकेश का दिल और दिमाग बेकाबू होने लगा ,बस राकेश ने सोचा अब तो अंजलि भाभी को भगाना ही पड़ेगा वह मिलने के लिए बुलाता वह आ जाती और बोलती मै तुम्हारे साथ नहीं चल सकती मै बस अपनी खुशी के लिए तुम्हारे साथ हमबिस्तर हुई, तुम्हारे लिए मेरे दिल में किसी भी तरह का प्रेम नहीं है और वह बात अंजलि का पति सुन लेता और अपनी बीवी को जोर से चाटा मारता और बोलता अपने यौवन सुख के लिए तुम एक आदमी का इस्तेमाल कर रही हो, तुम मेरी नहीं हुई तो दूसरो की क्या होगी बस बिना सोचे समझे तलाक ले लिया, अंजलि भाभी बिल्कुल अकेली हो चुकी थी क्योंकि राकेश ने भी मुंँह फेर लिया था अंजलि भाभी ने सब कुछ त्याग कर संन्यास ले लिया.