Pawan Gupta

Tragedy

4.2  

Pawan Gupta

Tragedy

प्यार

प्यार

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आज रात नींद नहीं आ रही है,मन बहुत उदास है,मन कर रहा है,कि जी भर के रो लू,पर रो भी नहीं पा रही हू ,आज मेरी शादी के पूरे 6 महीने हो गए है,और मेरे मन में ना पहले की तरह ख़ुशी बची है, ना ही प्यार।

   आज रात नींद नहीं आ रही पर वो सब मंजर मेरे आखों के सामने मानो नाच रहे हो,अभी लगता है कि ये सब कल की बात हो, मैं और आशीष एक दूसरे से कितना प्यार करते थे,एक दूसरे को देखे बिना दिन भी नहीं गुजरता था बस पूरे दिन एक दूसरे से मिलने की ख्वाहिशे रखते थे,रोज़ लम्बी लम्बी बाते होती दिन यूही निकल जाता हमें एक दूसरे से इतना प्यार था की हम दोनों ने शादी का इरादा भी कर लिया और आशीष मुझसे एक साल का समय लेकर दिल्ली आ गया कि शादी से पहले कुछ काम शुरू कर ले फिर हम दोनों शादी कर लेंगे!


 मैं भी बहुत खुश थी,ऐसा लगा मानो एक साल बाद हम दोनों एक हो जायेंगे,आशीष दिल्ली चला गया और एक साल मैंने दिन गिन गिन कर बिताया। एक साल बाद जब आशीष दिल्ली से वापस आया तब आशीष मेरे घर शादी की बात मेरी फॅमिली से करने के लिए आया पर मेरी फॅमिली में कोई भी इस रिश्ते से राज़ी नहीं हुआ और सबने इस रिश्ते को मना कर दिया तो हमने भाग कर शादी करने का प्लान किया और कोर्ट मैरिज करके दिल्ली आ गए!

  शुरू शुरू में सब अच्छा रहा मैं भी किसी को नहीं जानती थी तो घर पर ही रहती थी ना किसी से मिलना ना किसी से बात करना!पहले आशीष काम से आके बात भी करते थे पर धीरे धीरे सब बदलने सा लगा,अब वो छोटी छोटी बातो पर चिढ़ने लगे. हर बात पर गुस्सा होना अब आम सा हो गया था, पर आज तो हद ही हो गई मैंने कभी नहीं सोचा था कि सिर्फ 6 ही महीनो में हमारी जिंदगी से प्यार ख़त्म हो जायेगा और आशीष मुझपर हाथ उठाएंगे, ये मंजर याद आते ही मेरी आखें भर आई!

आज मेरे घर (आशीष के भाई ) मनीष आये थे,लव मैरिज के बाद पहली बार कोई हमारे घर आया था,मैं भी खुश हुई और मनीष जी से बाते करने लगी,मनीष जी आशीष जी से ही मिलने आये थे,पर आशीष जी के ना होने के कारन वो इंतज़ार करने लगे ,मैं भी मनीष जी से बाते करने लगी कि उनको अकेले बुरा ना लगे ,आशीष जी आये और उन्होंने जैसे ही मुझे मनीष जी से बात करते देखा तो गुस्से में लाल हो गए,हम दोनों पर चिल्लाने लगे ,मैं सहम के रह गईं कुछ समझ नहीं आया कि ये क्या हों रहा हैं,पर मनीश जी शांति से आशीष जी को समझने लगे,कि भैया मैं आपसे ही मिलने आया था,आप नहीं थे तो मैं आपके इंतज़ार में बैठ गया इसमें भाभी का कोई दोष नहीं है।

 आशीष -"तो तू मेरे ना रहने पर मुझसे मिलने आता है !"

  मनीष - "ऐसा नहीं है भैया मैं आपके छूटी के टाइम पर ही आया था, 10 मिनट हुए है मेरे आये आज आप ही लेट हो तो मैं बैठ गया बस चाय पीने लगा !"

आशीष - "हां पता है मुझे तुम दोनों का , जा तू अब इसको तो मैं बताऊंगा।"मनीष सर झुका के सरम से चला गया उसके बाद

आशीष - "क्या रे ! तुझे मनीष ज्यादा पसंद है कि उसके लिए तू चाय ले आई हां ! उसको बोल नहीं सकती थी कि भैया नहीं है तो अभी तू जा !"

 मैंने सफाई देते हुए बोला- "ये जी मैं क्या बोलती आपके आने का टाइम हो गया था तो सोची कि मिल ही ले !"

आशीष - "अच्छा अब तू जबाब देगी मुझे एक तो रंगे हाथो पकड़ी गई फिर भी," ये बोलते हुए आशीष ने एक थप्पड़ मुझे मार दिया आज पहली बार उसने मुझपे हाथ उठाया था,यही सोचते सोचते आज नींद नहीं आई और सोचते सोचते सुबह हो गई।उठ कर चाय बनाई और नाश्ता बनाकर आशीष को ऑफिस भेजा ,अब मैं चुप चुप सी रहने लगी सहमी सहमी ना किसी से बात करना ना किसी से मिलना ना घर से बाहर जाना , दिन भर घर में डिप्रेस रहने के कारन मैं बीमार रहने लगी और मैं एक दिन ज्यादा बीमार हो गई तो आशीष मुझे डॉक्टर के पास ले गए ! हॉस्पिटल पहुंच कर आशीष ने डॉक्टर से बात की।

आशीष - "डॉक्टर साहब इसे बुखार हो गया है कई दिन से कुछ खाती भी नहीं है कोई अच्छी दवा देदो।"

डॉक्टर - "अच्छा ठीक है ! बेटी इधर आकर बैठो जीभ दिखाओ( जीभ देख के) ओके जरा अपना हाथ दिखाना" ,ये कहकर डॉक्टर मेरी नब्ज़ देखने लगा !

आशीष - "ठरकी बूढ़े मेरी बीबी का हाथ कैसे पकड़ा छोड़ मेरी बीबी का हाथ" ( गुस्से में आशीष चिलाया )

डॉक्टर -"ये क्या बतमीजी है ?" 

आशीष - "बतमीजी तो तू कर रहा है , मेरी बीबी का हाथ पकड़ता है ठरकी बूढ़े !"

 डॉक्टर - "जबान संभाल के बात कर समझा! तेरी बीबी ज्यादा खूबसूरत है तो लेजा अपने घर यहाँ दोबारा मत आ जाना !"

 ये बोल के डॉक्टर ने आशीष को हॉस्पिटल से बाहर निकल दिया ! आशीष मुझे लेके घर आ गए और मेरे लिए बुखार कमजोरी की दवा केमिस्ट की दुकान से ले आये 3 - 4 दिन ठीक से दवा खाने पर मैं ठीक हो गई !

 कुछ दिन बाद आशीष काम से जल्दी घर आ गए वो उस शाम खुश भी थे,आते ही आशीष ने बोला आज मेला लगा है चलो तुम्हे घुमा दूं ! मैं भी बहुत खुश हुई और फटाफट तैयार हो गई और हम दोनों ख़ुशी ख़ुशी मेला चल दिए!

  कई दिनों बाद घर से बाहर निकली थी सब बहुत अच्छा लग रहा था ! जैसे कोई चिड़िया पिंजरे से निकली हो वो लोगों की भीड़ झूलों का शोर रंग बिरंगी दुकाने बच्चों का हंसना मानो ये सब तो मैं भूल ही गई थी !आज फिर से ये सब देख कर मन उन्ही में खो गया! तभी मेरी नज़र एक चूड़ियों की दुकान पर पड़ी मैं वहा दौड़ के चली गई रंग बिरंगी चूड़ियो के चक्कर में मैं ये भी भूल गई कि आशीष कहां है,पीछे मुड़ कर देखी तो आशीष पान की दुकान पर खड़े थे।

 मैं भी चुड़िया खरीदने लगी ,चूड़ी वाले दूकानदार बुजुर्ग थे,जब मैंने चूड़ियां खरीदी तो उन्होंने पहना दी ! तभी कोई मुझसे गलती से टकरा गया और ये आशीष ने देख लिये,औऱ आके मुझे एक थप्पड़ मार दिये, और चिला चिला कर बोलने लगे कि वो आदमी कौन था जो तुझसे टकराया,ज़रूर तुने इशारा किया होगा, बता कौन था वो !

 मैंने सहमते हुए बोला,"मुझे नहीं मालूम वो कौन था ,गलती से टकरा गया होगा !"

 आशीष - "गलती से टकराने के लिए मेरी ही बीबी मिली थी उसे सच बता ! चल तुझे घर पर बताता हूं।,ये बोलते हुए उसकी नज़र मेरी चूडियो पर पड़ी ,और वो फिर से तेज़ आवाज में बोलने लगा ये किसने पहनाया !

मैंने फिर अपनी चुप्पी तोड़ते हुए धीरे से बोली "दूकानदार अंकल ने" ,

आशीष -" अच्छा तू चूड़ी पहनेगी चल तू घर बताता हूं !" ये कहते हुए घर ले आये और घर पर खूब लड़ाई हुई,आशीष ने सारी चूड़ियां तोड़ दी और मुझे मारा भी  

अब सब बदल सा गया था, अब जब भी मैं बाहर जाती आशीष साथ में जाते मुझपे नज़र रखते जब भी बाहर जाते तो मेरे पीछे पीछे रहते और सब पर नज़र रखते ,कि कोई मुझसे बात ना कर ले ना टकराये !

 मुझे बहुत शर्म आने लगी थी ,पर क्या करती मैं बस इसी तरह दिन गुजरने लगे !

 अब लगने लगा की अब सब ठीक हो गया है या शायद मुझे इसकी आदत हो गई इसलिए अब मैं महसूस करने लगी की सब ठीक हो गया है ,आशीष भी अब रिलेक्स हो गए थे, फिर ऐसे ही समय बीतने लगा ,और एक शाम आशीष मालिनी के लिए मेकअप किट ले आये और मुझे सरप्राइज दिया , मैं तो भूल ही गई थी पर आशीष ने बताया की आज हमारा मैरिज अनिवर्सरी है उस दिन फिर से हम दोनों खुश थे,आशीष ने उस दिन मुझसे बड़े प्यार से बोला !

"जान बताओ तुम्हे क्या अनिवर्सरी गिफ्ट चाहिए" ,आज ऐसी बात सुन के मैं बहुत खुश हुई और बोली "आशीष प्लीज मुझे मेरे मइके जाने का मन करता है सबसे मिलने का मन करता है क्या आप मुझे मेरे मइके ले चलोगे !"

 आशीष - "ठीक है कल तैयार हो जाना कल हम शाम को चलेंगे !"

ये सुनकर मैं बहुत खुश हुई और आशीष को किस करके गले लगा ली ,अगले दिन सुबह मैं जल्दी सो के जगी और फटाफट चाय नास्ता तैयार करके आशीष के पास चाय लेकर प्यार से जगाने के लिए गई और जगा के चाय दी , और बोली कि फटाफट उठ कर चाय पीजिये और फ्रेश हो जाइये ! मै आशीष को जगा के अपने घर के कामो में लग गई ,कि सारा काम मैं जल्दी खत्म कर लू , लगभग 2 घंटे में मैंने अपना सारा काम निपटा लिया था ,आशीष भी फ्रेश हो गया था दोनों ने खाना खाया और फिर मैं पैकिंग में लग गई ये सब करते करते टाइम कब हो गया पता नहीं चला जब आशीष ने बोले की तैयार हो लो टाइम काम है तब मैंने घडी देखीं,और मैं तैयार होने लगी आशीष की दी हुई गिफ्ट मेकअप किट से मैं काजल लिप्स्टिक सब लगा के अच्छे से तैयार हो गईं,हम दोनो ठीक टाइम पर घर से निकल गए ,पर घर से निकलने के बाद आशीष का चेहरा गुस्से से भरा दिखा अगर कोई मुझे देखता तो आशीष का दिमाग ख़राब हो जाता!

 आशीष - "तू इतना सज के क्यूं आई लोगो को दिखाने के लिए न ! तेरा पेट नहीं भरता मेरे से मेरे लिए कभी तैयार नहीं होती है ,और तू दूसरों के लिए तैयार होती है ,चल अपने काजल साफ़ कर !"

मैंने काजल साफ कर दिया ,थोड़ी देर बाद

आशीष -" तू लिपस्टिक क्यों नहीं हटाई "मैंने लिपस्टिक भी हटा दिया ,यहाँ तक भी नहीं रहा गया तो दुकान से पानी खरीद कर चेहरा धुलवा दिया,और पूरे रस्ते ताने मरते गए ,कोई सोच भी नहीं सकता कि मैं क्या फील कर रही थी ,बस सर नीचे आँखो में आंसू भरे थे , मैं अब घर पहुंच चुकी थी सब लोग बहुत ख़ुश थे मुझे देख कर सब लोगों को यही लग रहा था कि ये आंसू सब लोगो से मिलने के कारन हैं पर सच तो कुछ और ही था ,मैं भी अपनी फॅमिली को ये सब बता कर परेशान नहीं करना चाहती थी !

बस मैंने सोच लिया था ,कि मुझे क्या करना है , मैंने आशीष से डाइवोर्स ले लिया है और मैं आज एक अच्छी जगह पर जॉब करती हूँ , अपने पैरो पर खड़ी हूं ,और खुशी से अपनी जिंदगी बिता रही हूं।                

  

  

         


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