" डरते हो अपनी पत्नी से या जोरू के गुलाम हो ... हा हा हा " इतना कहकर " माधव का दोस्त हँस पड़ा और उस पार्टी के सभी लोग हँस पड़े !
माधव को गुस्सा आया और उसने वहां रखी शराब की बोतल उठाई और उठाकर पीने लगा , लो देख लो .....ना मैं जोरू का गुलाम हूँ........ और ना किसी से डरता हूँ " ..... इतना कहकर वो पार्टी से निकल गया और जब घर आया तो होश में नहीं था।
" ये तो रोज - रोज का हो गया है , जब देखो पार्टी होती रहती है " विभा ने मन ही मन सोचा ,
"कितनी बार कहूँ आपसे.... कि मत पिया करो इतनी , पर कभी भी मेरी बात नहीं मानते हो " विभा ने जब माधव से कहा
तो उसे गुस्सा आया " मैं कोई जोरू का गुलाम नहीं हूं तुम्हारा ...... और ना ही तुम से डरता हूं ......मैं जो चाहे वो करु" ऐसा कहकर वो सोने चला गया .....सुबह जब उठा तो उसे होश आया और सोचा कि रात में मैने अपनी पत्नी को ये क्या कह दिया ।
वो मन ही मन पछताने लगा और अपनी पत्नी के पास गया और बोला " मुझे माफ़ कर दो...... मैं नहीं चाहता कि मैं तुम्हे दुःखी करू........ परन्तु मैं क्या करु अगर पार्टी में नहीं पीता तो सब लोग मुझे या तो जोरू का गुलाम बोलते है या कहते हैं कि मैं अपनी पत्नी से डरता हूँ.......... मुझे माफ़ कर दो आगे से मैं ऐसा नहीं करूंगा"अपने पति की बात सुनकर विभा को लगा शायद वो अब से ऐसा नहीं करेंगे वो बोली "अच्छा ठीक है... माफ किया और हसते हुए कहा कि .....चलिए नहा धो लीजिए मैं आपके लिए चाय बना कर लाती हूँ "
कुछ दिन बाद ....
"विभा सुनो आज मेरे एक दोस्त के जन्म दिवस की पार्टी हैं आज शाम को मैं वहां जा रहा हूँ " माधव ने कहा
इतना सुनकर विभा ने कहा " आज फिर... इतना कहकर वो रुक गई तो माधव बोला " अरे यार ! आज मैं नहीं पिऊंगा बस.... अब तो खुश " इतना कहकर दोनों हँस पड़े |विभा को लगा शायद अब ये बदल चुके हैं और नहीं पिएंगे ...
रात के दो बजे.......
किसी के घर आने की आवाज आयी विभा ने जा कर देखा तो वह देखती रह गई
'आपने तो कहा था कि मैं अब कभी नहीं पिऊंगा पर आप तो फिर से...... ' इतना बोला ही था कि माधव बीच में ही बोल पड़ा
" मैं कितनी बार तुमसे कहू मैं तुम्हारा गुलाम नहीं हूँ , ये मेरी ज़िन्दगी है , मैं जैसे चाहे वैसे रहूं समझी तुम ... गुलाम नहीं हूँ तुम्हारा...... बिल्कुल भी नहीं और ऐसा कहकर उसने विभा को धक्का देकर अपने कमरे में सोने चला गया |विभा उसे देखती रही आखों में आंसू लिए सोचती रही और सोचते - सोचते उसे नींद आ गईसुबह जब दोनों नींद से जागे तब माधव को समझ आ चुका था कि उसने फिर से विभा का दिल दुखाया है, वो जैसे ही माफ़ी मांगने लगा
विभा बोली "अब बस हर बार आप यहीं करते है , पहले पी के आते है , फिर माफ़ी मांगते हैं ....मैं अब आपको माफ नहीं करूंगी " इतना कहकर वो कमरे से बाहर निकल गई ।काफी दिनों तक दोनों में कोई बातचीत नहीं हुई माधव ने बहुत कोशिश की विभा को मनाने की परन्तु इस बार विभा ने उसे माफ नहीं किया |काफी दिन निकल गए
एक दिन माधव का दोस्त माधव के घर आया और बोला " नमस्ते ! भाभीजी मेरा नाम सुशील है मैं माधव के ऑफिस का दोस्त हूँ कल मेरी शादी की सालगिरह हैं तो आप को और माधव को निमंत्रण देने आया था "
"हम जरूर आएंगे" विभा बोली
अगले दिन शाम को
"चलिए आप के दोस्त ने बुलाया है... मैं तैयार हो जाती हूँ " माधव कुछ बोलना चाहता था , जैसे ही उसने कुछ बोलने की कोशिश की विभा बिना सुने ही निकल गई , वो समझ गया कि विभा अब तक उससे नाराज है , लेकिन उसके दोस्तों के सामने वो उसका मजाक नहीं बनाना चाहती , अब माधव को रह- रह कर अपने पे गुस्सा आ रहा था खैर वो तैयार हुआ और दोनों निकल पड़े ।
पार्टी में....
पार्टी एक होटल में रखी गई थी , बहुत ही सुन्दर होटल सजा हुआ था लेकिन विभा ने एक तरफ देखा तो देखती रह गई उस तरफ शराब की बोतलें थी
विभा ने कुछ सोचा और माधव की तरफ देखने लगीं माधव की नजर उसी कोने में थी , विभा को लगा कि ये आज फ़िर पिएंगे |थोड़ी देर में पार्टी शुरू हुई खाना बजाना सब हुआ लेकिन विभा की नज़रें अब भी उसी कोने में थी .... कभी वो उस कोने को देखती कभी अपने पति को ,...
"अरे माधव आज नहीं पिएगा क्या " सुशील ने जाम हाथ में लिए बोला "अरे ! आज कैसे पिएगा आज तो भाभीजी भी साथ है..... हाहाहा " ऐसा कहकर सारे दोस्त हँस पड़े लेकिन आज माधव को गुस्सा नहीं आयावो उस कोने में गया जहां शराब रखी हुई थीं उसने शराब की एक बॉटल उठाई और कह ने लगा
"आप लोगों को लगता है कि यदि कोई आदमी शादी के बाद नहीं पीता हैं तो वह या तो जोरू का गुलाम हैं या वो अपनी पत्नी से डरता हैं... पर सच ये है कि वो आदमी अपनी पत्नी से बहुत प्यार करता है वो उसे दुःखी नहीं देखना चाहता है, और ना ही अपनी पत्नी का भरोसा तोड़ना चाहता है, .....वो अपनी पत्नी को हमेशा खुश रखना चाहता हैं शायद इसलिए वो नहीं पीना चाहता ......लेकिन अगर तुम सबको यही लगता हैं कि वो जोरू का गुलाम हैं तो.......... हाँ मै हूँ जोरू का ग़ुलाम " इतना कहकर उसने वो शराब की बोतल तोड़ दी !
आज विभा उसे देखती रह गई सारे हॉल में तालियों की आवाज आने लगी " भई वाह ! सच कह रहे हो तुम वाकई सच्चा प्यार करते हो अपनी पत्नी से... " जो लोग थोड़ी देर पहले उसे जोरू का गुलाम कह रहे थे वहीं लोग बोले !माधव और विभा अब अपने घर जा चुके थे
कुछ दिन बाद......
"विभा मेरे दोस्त की एक पार्टी हैं..... मैं शाम को जाऊंगा और तुम चिंता मत करना मैं जल्दी आ जाऊंगा " विभा ने अनमने ढंग से हाँ कहाँ था क्योंकि उसे लगा उस दिन तो मैं इनके साथ थी पर आज तो अकेले जा रहे हैं !
रात के समय…...
विभा कुछ सोच रही थीं कि तभी घर के दरवाजे की घंटी बजी उसने घड़ी देखी अभी तो दस ही बजे हैं उसने जा कर दरवाजा खोला तो सामने माधव मुस्कुराता हुआ खड़ा था "क्यूँ विभा जी हमारा ही इंतजार हो रहा था क्या " कहकर दोनों हँस पड़े विभा ने देखा आज इन्होंने नहीं पी अब उसे माधव परपूरा विश्वास हो गया था कि माधव अब बदल चुके हैं वो बहुत खुश थी ।एक नई सुबह उसका इंतजार कर रही थी उसकी खुशियों के साथ..
________ समाप्त ______
जब कोई पति अपनी पत्नी के लिए उसकी खुशी के लिए कुछ करता है तो या तो पति के घरवाले या उसके दोस्त और समाज उसे नीचा दिखाने की कोशिश करता है उसके लिए तरह तरह के शब्द जैसे जोरू का गुलाम , इशारों पर नचाती है या उसे डरपोक कहा जाता है ... पर ऐसा क्यों ... क्या एक पति अपनी पत्नी को खुश रखने के लिए उसका साथ नहीं दे सकता ।
स्वयं विचार कीजिएगा !