रचना शर्मा "राही"

Romance

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रचना शर्मा "राही"

Romance

प्यार की ताकत

प्यार की ताकत

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"माही" के लिए वो लम्हा जैसे वहीं ठहर गया। उसकी रातों की नींद गई और वो दिन का चैन भी गवां बैठी ।जहां जाए जहां देखे सिर्फ "अरमान" ही उसे नज़र आता। वो हर पल उसके ही ख्यालों में खोई खोई रहती। ख़ुद में आए बदलाव को वो बख़ूबी महसूस कर रही थी। कॉलेज में भी पढ़ाई में उसका मन ही नहीं लग रहा था। उसकी सहेली मीना भी उससे जानना चाहती आख़िर माही को हुआ क्या है??? एक दिन मौक़ा देख उसने माही से पूछ ही लिया- क्या बात है माही आजकल तेरा ध्यान किधर रहता है?? कुछ तो छिपा रही है तू मुझसे। मीना के बार- बार पूछने पर माही ने उसे बता ही दिया। आख़िर उसे भी तो कोई हमराज चाहिए था जिससे वो अपनी मन: स्तिथि बयां कर पाए। 

माही ने मीना से कहा - "ध्यान से सुन। यार! ये बात मैं किसी को बता भी नहीं सकती। ये दो महीने पहले की बात है जब मैं मेट्रो से घर जा रही थी तो शाम के वक्त मेरी मुलाक़ात एक लड़के से हुई। उस दिन मेट्रो में थोड़ी कम भीड़ थी । मैं एक कोने वाली सीट पर बैठ गई। अगले ही स्टेशन पर एक लड़का मेरे पास आकर बैठा। मैं अपने मोबाइल फोन में लगी हुई थी कि वो बोला आप जे जे कॉलेज में पढ़ती हैं ना ।" मैंने उसे देखा और कहा "हां! पर आप कैसे जानते हैं?" उसने कहा "आपको कौन नहीं जानता?? मैं भी जे जे कॉलेज में ही पढ़ता हूं और फंक्शन में आपको गाते हुए भी सुना है। आप बहुत ही सुरीला गाती हैं।" दिखने में वो शालीन लग रहा था तो मुझे भी उससे बात करने में इंटरेस्ट आ रहा था। मैंने उससे पूछा कि "आप कौन से ईयर में हैं?" उसने बताया लास्ट ईयर है उसका। हमारी काफी बातें हुईं। अरमान नाम है उसका । सच बताऊं तो मुझे वो पसंद आ गया है। मैं उससे प्यार करती हूं और वो भी मुझसे प्यार करता है।

हमने एक दूसरे का मोबाइल नंबर भी ले लिया है। हम रोज़ एक दूसरे से बात करते हैं मिलते हैं। यार! अब मैं उसके बिना नहीं रह सकती।"

मीना ने कहा - "जब तुम दोनों एक दूसरे को प्यार करते हो तो परेशानी क्या है?" माही ने कहा - "वो यहां पर अपने मामा के घर रहता है और उसका घर लखनऊ में है। उसकी पढ़ाई का सारा खर्चा उसके मामा उठा रहे हैं इसलिए वो ठीक से पढ़ाई कर सबसे पहले अच्छी नौकरी पाना चाहता है।" मीना बोली - "इसमें क्या प्रॉब्लम है??ठीक ही तो बात है।" 

माही ने बताया - "पहले तो मुझे भी ठीक ही लगा था पर तीन दिन हो गए हैं ना तो अरमान कि कोई खबर है ना ही उसका फोन लग रहा है। मीना बोली -" तू परेशान मत हो। हम उसकी क्लास से पता कर लेंगे। मीना और वो वहां से निकल जाते हैं कॉलेज में पता लगाते हैं। उन्हें पता चलता है कि अरमान तो एक महीने की छुट्टी लेकर लखनऊ गया है । माही को कुछ समझ नहीं आता। खैर मीना उसे समझाती है कि वो परेशान ना हो। जब अरमान आएगा तब सब साफ़ हो जाएगा तब तक तो हम इंतज़ार ही कर सकते हैं। 

माही को अरमान की हर पल याद आती। वो साथ बिताए हसीन पल याद आते।उसके वादे याद आते। बस सिर्फ एक वो ही नहीं था उसके सामने। उसकी हर बात तो उसे उसकी याद दिलाती उसके लिए ये एक महीना सालों बराबर था।अरमान भी वापस आ गया था पर बदला हुआ अरमान । उसे माही से बात करने में कोई इंटरेस्ट ही नहीं था। माही जब जब उसके पास आती वो वहां से चला जाता। माही ने भी ठान लिया था कि वो अरमान से बात करके ही रहेगी। 

एक दिन मौक़ा देख माही ने अरमान को पकड़ ही लिया और बोली - "अरमान आज तुम भाग नहीं सकते। तुम्हें मेरे सवालों के जवाब देने ही पड़ेंगे।" अरमान ने कहा - "ठीक है । तुम्हारा मुजरिम तुम्हारे सामने है । पूछो, क्या पूछना चाहती हो??"

 माही ने कुछ नहीं कहा वो अरमान के गले लग गई और बोली - "बताओ ना मुझे क्यों अपने से दूर रखना चाहते हो?" अरमान भी रो रहा था। दोनों ही एक दूसरे से लिपट कर रोने लगे।जब दोनों थोड़े शांत हुए तब दोनों ने बात करनी शुरू की।

अरमान ने कहा - "माही! मैं तुमसे प्यार करता था , प्यार करता हूं और हमेशा करता रहूंगा। पर मैं तुम्हें दुखी नहीं देखना चाहता।" माही ने कहा - "बताओ तो सही बात क्या है?? यूं बातों को ना उलझाओ।" अरमान बोला - "तो सुनो ! मैं एक महीने की छुट्टी लेकर लखनऊ नहीं बॉम्बे गया था। मेरी तबियत कुछ सही नहीं चल रही थी तो मैंने कुछ टेस्ट कराए। जांच में पता लगा कि कैंसर का अंदेशा है। इसी कारण बॉम्बे गया था। मामा जी की जान पहचान के एक अच्छे डॉक्टर वहां इसी का ईलाज करते हैं।उन्हीं ने जब फिर से टेस्ट कराए तो कैंसर का ही पता लगा है। अब मुझे बताओ - कैसे तुम्हें मैं अब अपने करीब आने दूं।" माही बोली - "अगर नहीं आने दोगे तो मैं अपनी जान दे दूंगी । तुम्हीं बताओ अरमान क्या प्यार करने से पहले हमने ये सोचा था। मैंने तुमसे ये कहा था क्या कि मैं तुम्हें बीमारी में तुम्हें छोड़ दूंगी। तुम ही कहो - अगर ये मेरे साथ हुआ होता तो क्या तुम मुझे छोड़ देते ?? और आज किस बीमारी का ईलाज संभव नहीं। "

मेरे पापा के जान पहचान के बहुत अच्छे डॉक्टर हैं हम उन्हें भी दिखाएंगे।देखना तुम जल्दी ही ठीक हो जाओगे।" दोनों एक दूसरे के गले लग गए। खूब रोए। फिर संभल भी गए। ये समय हिम्मत से काम लेने का था होश खोने का नहीं। 

अगले ही दिन वो उस डॉक्टर से मिले। सारे टेस्ट कराए। अरमान का ईलाज शुरू हुआ। माही कॉलेज भी जाती। अपनी पढ़ाई भी करती। फिर अरमान का ख्याल भी रखती। धीरे धीरे अरमान का ईलाज ख़त्म होता जा रहा था और उसकी हालत में सुधार भी हो रहा था। माही के साथ रहने से अरमान को सही होने का हौसला मिलता। डॉक्टर भी अरमान की इच्छाशक्ति को देख हैरान थे। जब अरमान के सारे टैस्ट फिर से हुए तो सबकी खुशी का ठिकाना ना रहा , क्योंकि अरमान अब ठीक हो गया था ।

माही और अरमान ने दुनिया को ये दिखा दिया अगर प्यार सच्चा है तो वो ताक़त रखता है सब कुछ सही करने की। माही और अरमान अब शादी कर चुके हैं। अरमान अब बिल्कुल ठीक है। दोनों ही एक दूसरे का साथ पाकर खुश हैं। दोनों ने ही एक दूजे को पूर्णता का आभास कराया और सबके लिए एक मिसाल कायम की।

          

            

 


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