प्यार का रंग
प्यार का रंग
इस बार ओडिशा जाना हुआ...ऑफिस की एक रीजनल ब्रांच वहाँ थी...वहाँ के मिस्टर स्वामी से टेलीफोन पर किसी न किसी ऑफिशियल मसलों पर बात होती रहती थी। फर्स्ट टाइम आज हम दोनों फेस टू फेस मिल रहे थे। नैचुरली हमारी बातचीत में एक कम्फर्ट लेवल था...
शाम को सेमिनार ख़त्म हुआ तो उन्होंने कहा की चलो, घर चलते है अभी गेस्ट हाउस जाकर क्या कीजियेगा? बात तो सही थी... क्योंकि वहाँ ओडिशा वाले रीजनल ब्रांच में मेरा अक्सर जाना होता था तो जाहिर है कोई मार्केटिंग या घूमना फिरना नही था।
मैंने हामी भर ली और सात बजे आने का वादा कर लिया।
वादे के मुताबिक़ मैं उनके घर गयी। उनकी पत्नी ने दरवाज़ा खोला। प्रणाम की मुद्रा में हाथ जोड़ते हुए एक मुस्कुराहट के साथ स्वागत करते हुए अंदर आने के लिए गुजारिश की।
मैं घर में गया। वह पानी लाती हूँ कह कर अंदर चली गयी। मैं घर को देख देख रहा था।सब चीजें सलीके से सजा कर रखी थी।
पानी लेकर वह आ गयी और साथ मे मिस्टर स्वामी भी।
हमारी बातें ऑफिस के साथ साथ इधर उधर की बातें होने लगी। मेरा अवचेतन मन बातचीत के दौरान दोनों को देख रहा था। मिस्टर स्वामी देखने मे गोरे चिट्टे और मिसेज स्वामी श्याम वर्ण की थी। उनका रंग मिस्टर स्वामी के रंग से ज्यादा ही गहरा था।
मुझे लगा कि मैं मिस्टर स्वामी को पूछ लूँ की आप की लव मैरिज है क्या?
लेकिन मिसेज स्वामी के सलीक़े से उनके व्यवहार से और उन दोनो के आपस की प्यार और रेस्पेक्ट से मुझे लगा कि मेरा यह सवाल बेमानी होगा...
चाय आ गयी। चाय की मिठास में और उनके आदर सत्कार में अनजाने में ही मेरे सवाल का जवाब मिल गया....