प्यार का इज़हार
प्यार का इज़हार
प्रणव को मालूम ही नहीं चला कि कब वह नेहा से प्यार करने लगा है । उसमें अपने प्यार को जताने की हिम्मत भी नहीं थी । एक दिन उसकी बहन ने बताया कि नेहा को देखने के लिए लड़के वाले आ रहे हैं । बस दौड़कर उसने नेहा का हाथ पकड़कर कहा मैं तुमसे प्यार करता हूँ । तुम्हें किसी और का होते हुए नहीं देख सकता । नेहा हँस रही थी तभी उसके माता-पिता और प्रणव के माता-पिता कमरे से बाहर आए और कहने लगे कि चलो प्रणव अब तो तुमने अपने प्यार का इज़हार कर दिया नहीं तो हम डर रहे थे कि तुम बिना अपने प्यार का इज़हार किए अपने दिल में ही अपनी बात को दबा दोगे । कोई बात नहीं है देर आए दुरुस्त आए कहते हुए सब हँसने लगे । तभी किसी के घर में रेडियो में गाना बज रहा था प्यार किया तो डरना क्य।

