प्यार इन Bhaad - भाग 1
प्यार इन Bhaad - भाग 1
ये उन दिनों की बात है, जब हम बच्चे इश्क की पढ़ाई से ज्यादा किताबों से होने वाली पढ़ाई में मशगूल होते थे..हालाँकि, एक वक्त ऐसा भी आया, जब मेरे दिमाग का ये शुद्ध विचार शुद्ध घी से ज्यादा अशुद्ध निकाला..चलिए, आपको उन दिनों की यादों की ट्रेन में सैर कराता हूँ, सफर थोड़ा चटपटा है तो अपनी सामान पेटी संभाल लीजिए..कहीं आप हँसते रहे जाये और हम आपका दिल चुरा ले जाये !! आप टिकिट की फिक्र कर रहे है ना, तो बिल्कुल भी मत कीजिए, मैं आपको मुफ्त में सफर कराऊंगा, वो क्या है ना कल " वेलेंटाइन डे " है, मतलब प्यार करने वालों का दिन..अब आप प्यार करने वालों की जेब पहले से ही ढीली होगी तो और ढीली क्यों करना !!
मेरी कहानी की शुरुआत होती है, मेरे बिहार के एक छोटे गॉंव से दिल्ली जैसे महानगर में तबादले होने से, बारहवीं के बोर्ड की परीक्षा के परिणाम में जब जिला के टॉपर्स की लिस्ट में मेरा पहला नाम आया तो गॉंव वालों के साथ-साथ मॉं-बाबूजी ने मुझे अपनी आँखों का तारा बना लिया..बस, फिर क्या था मैंने इस शुभ मौके का तुरंत फायदा उठाते हुए मॉं-बाबूजी के सामने दिल्ली के कॉलेज में पढ़ने की शर्त रख दी। हॉं, उस वक्त के हिसाब से मेरी शर्त कुछ अजीब सी थी, जैसे गॉंव का छोरा शहर की छोरियों के बीच कैसे पढ़ाई कर सकता है ..कहीं बिगड़ गया तो ! कहीं किसी गलत संगत में पड़ गया तो !! गॉंव वालों के सवालों ने मॉं-बाबूजी को खूब लेपटने की कोशिश की पर वो बेचारे कामयाब ना हो सके..चंद दिनों की मेरी मौन हड़ताल ने मॉं-बाबूजी को मेरी शर्त मानने पर मजबूर कर दिया।
जब गॉंव से मेरे दोस्त मुझे रेलवे स्टेशन पर छोड़ने आये तो उनके चेहरे देखने लायक थे ! एक तरफ होठों पर दिखावटी हँसी और दूसरी तरफ हैरानी से भरी आँखें जैसे उनको मेरी किस्मत पर भरोसा ही नहीं हो रहा था कि कैस मैं विघालय का " सुंदर, सुशील, पढ़ाकू, चम्पी बालों वाला " कृष्णा मोहन, दिल्ली के कॉलेज में ग्रैंड एंट्री लेने जा रहा था । दिल्ली के कॉलेज में पढ़ने की कोई खास वजह? गॉंव वालों के, मॉं-बाबूजी के, दोस्तों के इस एकमात्र सवाल ने मेरा पीछा करने की खूब कोशिश की पर ट्रेन की तेज़ रफ्तार उनके साथ-साथ, उनके इस सवाल को भी मीलों पीछे छोड़ चुकी थी..अब आपके ज़हन में ये सवाल अठखेलियाँ कर रहा होगा ! चलिए, आपको बता ही देता हूँ..बहुत सिंपल सी वजह थी, जब सालों पहले अपने किसी रिश्तेदार की शादी के चक्कर में दिल्ली गया तो वहॉं की हवा ने मेरे सुकोमल मन को छू लिया..हॉं, थोड़ी सी अशुद्ध ज़रुर थी पर मेरे सपनों को उड़ान देने के लिए ज़रुरी थी ।
जैसे ही दिल्ली के कॉलेज में अपना पहला कदम रखा, मुझे मेरी आँखों पर भरोसा ही नहीं हुआ..अब कॉलेज का सीन ही कुछ ऐसा था, एक तरफ एक लड़का और लड़की एक दूसरे को अपने हाथों से आइसक्रीम खिला रहे है ! दूसरी तरफ एक लड़का गिटार बजा रहा है और कई लड़कियाँ उसे शहद समझकर मधुमक्खी के झुंड की तरह घेरे हुई है ! हद तो तब हो गई, जब एक लड़के को एक लड़की की गोदी में लेटे हुए, उसके हाथों से अंगूर खाते हुए देखा ! मेरे दिमाग का शुद्ध विचार " जब हम बच्चे इश्क की पढ़ाई से ज्यादा किताबों से होने वाली पढ़ाई में मशगूल होते थे ", एक पल में अशुद्ध हो गया !! तभी पीछे से किसी ने मेरी पीठ थपथपाई और कहा " सीन देखकर घबरा मत, कॉलेज ही है..अपनी दिल्ली का कॉलेज है ! "
वो हर्ष भईया थे, मेरे सीनियर.. मेरे कॉलेज के पहले साथी, मुझ पर अपनी सीनियर्टी सिर्फ सिनियर्स के सामने झाड़ी वरना हमेशा अपना छोटा भाई की तरह प्यार दिया ।
मैंने अपनी आँखों में शर्म को पनाह दी, और सब कुछ नज़रअंदाज करते हुए आगे बढ़ने लगा कि तभी किसी से टकरा गया..जब अपनी नज़रों को तनिक ऊँचा किया तो देखा, खंभे जैसा लम्बा लड़का अपनी पूरी पलटन के साथ मुझे गुस्से भरी लाल आँखों से देखा जा रहा था..मैनें माफ़ी मॉंगने की कोशिश की तो उसे खंभे ने ..मेरा मतलब, लड़के ने मेरा गला पकड़ लिया
" भगवान ने ऑंखें ऊपर देखने के लिए दी है ! अपने आप को क्या समझता है बे !!... " एक तरफ, वो लड़का मुझे विभिन्न प्रकार की गालियों से संबोधित कर रहा था और दूसरी तरफ मेरा बेवकूफ़ दिल था कि उसके लड़के के पास पीले रंग का सूट पहने खड़ी लड़की पर फिसलता जा रहा था ..
" प्रीतम भाई रुको ! क्या कर रहे हो ?? जूनियर है बेचारा ! ", हर्ष भईया ने कहा ।
" अभी जाने दे रहा हूँ, इसे कहो..संभाल कर चले !! ", उस लड़के ने कहा ।
एक तरफ हर्ष भईया ने मुझे कसकर पकड़े रखा था, दूसरी तरफ मेरा दिल चाह रहा था कि उस लड़की पर वहीं छंलाग लगा दे !! हर्ष भईया मुझे कॉलेज के हॉस्टल की तरफ ले जा ही रहे थे कि मैने अचानक से पलट कर देखा तो कॉलेज का प्यार में डूबा सीन बदल चुका था ! वो आइसक्रीम की कोन जमीन की धूल चाट रही थी तो, वो गिटार खामोशी की आवाज़ सुन रहा था !! शायद, अंगूर सारे उस लड़के के पेट में जा चुके थे ।
जब मैने हर्ष भईया से इस बारे में आराम से पूछा तो, उन्होनें बताया, " कुछ पलों पहले, जिस खंभे जैसे लड़के से तुम टकराये, वो हमारे कॉलेज के " प्यार इन Bhaad " दल के हेड प्रीतम प्यारे थे, और उनके साथ खड़ी पलटन, उस दल के सदस्य ! एक्यूचली, ये एक ऐसा दल है जिसका एकमात्र नारा है, " कॉलेज में सिर्फ पढ़ाई..नो प्यार-व्यार ", जब भी इस दल के सामने कॉलेज में कभी कोई लड़का लड़की एक दूसरे से रोमांस करते हुए पाये जाते है..बस उनकी खैर नहीं ! या तो वो लड़की उस लड़के की बहन बन जाती है, या वो लड़का उस लड़की का भाई !! वेलेंटाइन डे पर तो, ये दल जोर- शोर से फूल फार्म में सबकी बैंड बजाता है ", हर्ष भईया अपने पीले दातों को दिखाते हुए, ज़ोर ज़ोर से हँसते हुए कहा।
" औ तेरी ! यहॉं भी बंजरग दल ?, " मैनें हैरानी से पूछा।
क्रमश:
