प्यार बहुत खूबसूरत होता है
प्यार बहुत खूबसूरत होता है


आज सोनिया को बार-बार बचपन में सुनी कहानी "स्नो व्हइट" याद आ रही थी जिसमें रानी अपने दर्पण से हमेशा एक ही सवाल करती है -"बता मेरे दर्पण दुनिया में सबसे सुंदर कौन है?" आज उसके मन में भी एक ही प्रश्न बार-बार आ रहा है कि यह दर्पण तुम तो सब की खूबसूरती और बदसूरती बताते हो फिर मुझे क्यों नहीं समझा पाते कि मैं एक बहुत साधारण शक्ल सूरत वाली लड़की हूं मुझे कोई नहीं पसंद करता। फिर भी मेरे मन में ये चाहत क्यों होती है कि कोई मेरा भी साथी हो,कोई मुझे भी प्यार करने वाला हो ? सोनिया अपने मन में ही बड़बड़ाने लगी।
इतने दिनों से इंदर उससे मिलने की बात कर रहा हैं लेकिन वह इंदर से मिलना नहीं चाहती । इंदर से उसकी पहचान फेसबुक से हुई दोनो एक ही शहर से हैं , फिर भी छह महीने हो गये लेकिन एक दूसरे को देखा नही । यहां तक की फोटो भी नही दिखाई ना ही देखने के लिए मांगी। पहले तो मैसेज पर बात होती थी। दोनों के विचार मिले तो दोस्ती हो गई ।फिर फोन काॅल से बात शुरू हो गई। दोस्ती के साथ शायद प्यार का अंकुर भी फूटने को बेकरार हो उठा, इसलिए इंदर उससे मिलना चाहता है । लेकिन सोनिया को अपनी कमजोरी पता है इसलिए वह मिलना नहीं चाहती। जब भी इंदर मिलने की बात करता है वह किसी भी तरह उसको टाल देती है । लेकिन कल इंदर अपनी जिद पर अड़ गया और बोला-" जब तक मैं मिलूंगा नहीं तब तक मैं कोई और बात नहीं करूंगा।"
सोनिया फोन रख कर सोचने लगी सच ही है, कब तक फोन पर बात होती रहेगी एक न एक दिन तो सामने आना ही पड़ेगा । लेकिन मिलने पर अगर इंदर ने उसको देखकर सब खत्म कर, दिया तब क्या होगा? लेकिन अगर वो नही मिलेगी तो कब तक ये रिश्ता चल पायेगा। किसी को धोखे में रखना भी ठीक बात नहीं । सोनिया को अपने चेहरे का डर था बचपन से वह इस बात से अपने आप को बहुत कमजोर असहाय सा महसूस करती रही है। तीन बहनों में वह दूसरे नंबर पर है बड़ी और छोटी बहन दोनों सुंदर है लेकिन पता नहीं क्यों ईश्वर की क्या योजना थी कि उसका चेहरा सुंदरता का अनुस्वार को भी नही छू सका । पढ़ाई लिखाई में , घर के काम में सबसे आगे है लेकिन फिर भी जब भी किसी तारीफ की बात होती उसकी दीदी और छोटी बहन को ही तारीफ मिलती है। उसे लगता उसका चेहरा अच्छा नहीं है इसलिए उसको कोई पसंद नहीं करता। वो पूरी तरह से हीनभावना से ग्रस्त होती जा रही थी।
स्कूल में भी किसी भी कार्यक्रम में वह भाग नहीं ले पाती थी क्योंकि जब भी वह भाग लेने का प्रयास करती तभी किसी ना किसी बहाने से उसको उसमें से हटा दिया जाता, जबकि जिन लड़कियों को नृत्य का और अभिनय करने का तनिक भी ज्ञान नहीं था उनको रख लिया जाता था। तब वह अपने आप में विचार करती और इसी निर्णय पर पहुंचती कि वह सुंदर नहीं है इसीलिए शायद उसको हटा दिया जाता है । धीरे-धीरे यह सोच सोनिया के दिल दिमाग पर असर करने लगी अब वह लोगों से मिलने से बचने लगी थी। ज्यादा किसी से बात नहीं करती थी । शादी , पार्टी में दोनों बहनें जाती लेकिन वह नहीं जाती थी । मां के लिए तो उसका बच्चा कैसा भी हो मगर उसको हीरा लगता है उसके पापा अपनी तीनों बेटियों में सबसे ज्यादा तारीफ सोनिया की करते हैं । लेकिन कुछ लोगों की नकारात्मक बातें उसके दिमाग में इस प्रकार प्रभावी हो गई थी कि कभी-कभी उसको अपने पापा की बातों पर भी शक होता , शायद वह बेवजह उसकी तारीफ करते हैं कि वह दुखी ना हो। इसीलिए वह किसी से दोस्ती भी नही करना चाहती थी। पता नही कैसे इंदर से दोस्ती हो गयी शायद ये सोचकर कि यहां कोई उसको देख नही सकता। इसीलिए इंदर की दोस्ती को भी आगे नहीं बढ़ाना चाहती थी लेकिन इंदर आगे बढ़ाना चाहता था। इसलिए वह उससे मिलना चाहता है।
दूसरे दिन सोनिया ने कहा आप हमसे क्यों मिलना चाहते हैं इंदर ने कहा हमने आज तक आपको देखा ही नहीं कि मेरी दोस्त कैसी दिखती है?"
सोनिया ने हंसते हुए कहा - लड़की हूं लड़की की तरह ही दिखूंगी।" इंदर ने भी हंसते हुए जवाब दिया- हां हां मैं कब कह रहा हूं कि मैं किसी लड़के से बात कर रहा हूं लड़की तो हो, देखने में कैसी लगती हो ? "
सोनिया कुछ पल के लिए उदास हो गई है फिर बोली - इंदर क्या बिना मिले दोस्ती नही हो सकती?"
इंदर कुछ पल के लिए चुप रहा फिर बोला- हमारे बीच में दोस्ती ही नहीं अब मैं... मेरे दिल में तुम्हारे लिए कुछ अलग सा फील कर रहा हूं। इसलिए मैं मिलना चाहता हूं।"
सोनिया तपाक से बोली -"कुछ अलग फील मतलब?
इंदर थोड़ा संभल कर बोला - मतलब , मतलब ये कि मैं तुम्हारे लिए अपने दिल में प्यार महसूस कर रहा हूं ।"
सोनिया अचम्भित हो गई वह बोली- हमारी तो सिर्फ दोस्ती है हमने तो कोई अलग से बातें भी नहीं की। फिर कैसे?
इंदर ने खामोश लहजे में जवाब दिया - सोनिया यह तो मुझे भी नहीं पता कि कैसे? लेकिन मैं जो महसूस कर रहा हूं मैंने बता दिया । "
इंदर की बात सुनकर सोनिया थोड़ी देर चुप रही फिर बोली- इंदर तुम्हारे दिल में मेरे लिए प्यार है इसलिए मुझे देखना चाहते हो और अगर मैंने कहा मैं नहीं मिलूंगी तो प्यार खत्म हो जाएगा।"
इंदर थोड़ी देर चुप रहा फिर बोला- सोनिया प्यार बिना देखे हुआ है फिर वह देखकर या ना दे
खकर कैसे खत्म होगा। तुम क्या मेरे प्यार की परीक्षा लेना चाहती हो?"
सोनिया ने कहा -अगर मैं कहूं हां , तो ... इंदर ऐसा मत बोलो प्यार व्यार कुछ नहीं। तुम मुझे देखते ही अपने प्यार का अलाप भूल जाओगे। सोनिया की आवाज में थोड़ी तल्खी आ गयी थी।
"ओके , नहीं मिलना चाहती हो तो ठीक है लेकिन हमारी दोस्ती और मेरा इक तरफा प्यार वह तुम नहीं खत्म कर सकती।"- इंदर ने कठोर लेकिन अपनेपन में कहा।
समय आगे बढ़ता रहा और दोनों की दोस्ती उसी तरह प्रगाढ़ता से चलती रही । सोनिया का कॉलेज पूरा हो गया था अब उसे नौकरी की तलाश थी । उसने नौकरी के लिए कई जगह आवेदन किया था । इंटरव्यू भी दिए थे लेकिन अभी तक उसे सफलता नहीं मिली थी।
बड़ी बहन की शादी हो चुकी थी। उसकी नहीं हो सकती थी, ऐसा उसे विश्वास था इसलिए वह उसने पहले से ही शादी करने के लिए मना कर दिया क्योंकि वह नहीं चाहती थी कोई उसे देखने आए और फिर उसको इंकार करे और अपमान करके चला जाए। फिर वह उसी सोच में घुलती रहे।
एक दिन एक ऑफिस में इंटरव्यू देने गई। उस दिन गर्मी बहुत थी । वहां से वापसी में वह जैसे ही वह आफिस के गेट के पास आई, उसे चक्कर आ गया और वही गिर पड़ी। चपरासी ने देखा तो उसे उठाने का प्रयास करने लगा तभी
एक 27- 28 साल का लड़का बाहर आया और सोनिया को उठाने मे मदद करने लगा। चपरासी और उस लड़के की मदद से सोनिया अंदर आई उसे वहां रखी बेंच पर लिटा दिया । उसकी आंखें बंद थीं। चपरासी अपने हाथ से सोनिया के चेहरे पर पानी के छींटे मारने लगा और वो लड़का सोनिया के हाथों को धीरे-धीरे हिलाते हुए बुला रहा था- "मैडम उठिए - मैडम उठिए।" सोनिया धीरे धीरे चेतन अवस्था में वापस आ रही थी। लेकिन उसके कानों में जो आवाज जा रही थी कुछ पहचानी सी लग रही थी जब आवाज साफ सुनाई पड़ी तो तुरन्त उसकी आंखें खुल गई। उसने सामने एक आकर्षक सजीला नवयुवक खड़ा था। उसके मन में आया ये आवाज तो इंदर की है उसने आसपास नजर दौड़ाई लेकिन वहां उस लड़के और चपरासी के सिवा कोई नहीं था। अब संदेह यकीन में बदल गया ये इंदर ही है। उसने फोन पर इसी एरिया मे अपने आफिस का जिक्र उससे किया था।
सोनिया उठकर बाहर जाना चाहती थी कहीं इंदर उस को पहचान ना ले इस डर से उसने उसको थैंक यू भी नहीं बोला। उसने जल्दी से उठने का प्रयास किया उसके कदम डगमगा रहे थे। उस नौजवान लड़के इंदर ने कहा- चलिए मैं आपको बाहर टैक्सी तक छोड़ देता हूं।"
अचानक सोनिया के मुंह से निकला-" नहीं रहने दीजिए, मैं चली जाऊंगी ।" इस आवाज ने इंदर को अंदर तक छू लिया। वो पल भर के लिए रुका फिर सोनिया के सामने आकर बोला-" तुम.. तुम सोनिया होना..तुमसे मेरी रोज बात होती है। "
सोनिया ने रूखे स्वर में कहा-" नहीं , मैं सोनिया नही हूं। मेरी किसी से कोई बात नहीं होती । "
इंदर व्याकुलता भरे स्वर में बोला-" तुम झूठ बोल रही हो तुम्हारी आवाज मैं भीड़ में भी पहचान सकता हूं। सोनिया, प्लीज ऐसे मत करो। देखो तुम नहीं चाहती थी मिलना, लेकिन आज भगवान ने मिला दिया है इसका मतलब उसकी भी मर्जी कुछ है । प्लीज सोनिया ..."
सोनिया ने मजबूती से आगे कदम बढ़ा दिया। लेकिन इंदर ने फिर सामने आकर उसका रास्ता रोक लिया और उसको ध्यान से देखते हुए बोला-" तुम कितनी सुंदर हो सोनिया इसीलिए तुम मुझसे नहीं मिलना चाहती थी।"
इस बार सोनिया उसका मुंह देखने लगी उसको लगा उसकी चोरी पकड़ी गई।
उसने झट से बोला-" नहीं ।"
इंदर के चेहरे पर मुस्कान आ गयी- थैंक यू ,थैंक गॉड। तुमने एक्सेप्ट तो किया कि तुम सोनिया हो।"
सोनिया चुप हो गई इंदर ने कहा - सोनिया तुम चलो मेरे साथ हम बैठकर बातें करेंगे । सोनिया ने कहा नहीं । इंदर मुझे जाने दो मैं बिल्कुल यहां नहीं रुकना चाहती । ना ही मुझे तुमसे कोई बात करनी है ।"
इंदर ने कहा - ओके, अपने घर का पता तो बता दो। मुझे अपनी मां को लेकर आना है।
सोनिया चकित हो गई उसकी आंखें फटी रह गई वह इंदर का चेहरा देखने लगी।
इंदर ने मुस्कुराते हुए कहा-" सोनिया और कितने दिन तुम परेशान करोगी । अब तो मेरी परीक्षा पूरी हो गई ना । देखो भगवान ने भी मुझे पास कर दिया। अब तो मुझे घर का पता दे दो। मेरी मां रिश्ते की बात के लिए आएंगी ।"
सोनिया का ह्रदय भावविभोर हो उठा उसकी आंखों से आंसू बह चले, उसके होंठों से शब्द फूटे - इंदर तुम देख रहे हो ना कि मैं सुंदर नहीं हूं तो ऐसी बदसूरत पत्नी लेकर पूरा जीवन कैसे निभा पाओगे । "
इंदर के उसके होठों पर चुप कराने के लिए अपनी उंगली रख दी और कहा-" सोनिया आज के बाद दोबारा मत कहना यह शब्द । तुमसे ज्यादा सुंदर मेरे लिए इस दुनिया में कोई नहीं है । क्योंकि तुम मेरा प्यार हो और प्यार बहुत खूबसूरत होता है। इससे ज्यादा मैं और कुछ नहीं बोल पाऊंगा। उसकी आंखों में भी नमी उतर आई थी । सोनिया ने उसके हाथों को अपने हाथ में ले लिया उसके होंठ खुशी से कांपने लगे और आंखों से आंसुओं की अविरल धारा बहने लगी।