usha shukla

Tragedy Inspirational

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usha shukla

Tragedy Inspirational

आईना

आईना

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    भव्य आज ही अस्पताल से डिस्चार्ज होकर आई है, और आते ही अपने चेहरे को आईने में देखने की इच्छा जाहिर की। ना चाहते हुए भी मनोरमा छोटा वाला आईना लेकर आ गई । उसने झट से अपनी मां के हाथ से आईना ले लिया। पर अपने चेहरे के सामने करते ही उसके मुंह से दबी दबी सी चीख निकल गयी। उसकी आंखों से अश्रुधारा बहने लगी। जिसे देखकर मां भी अपने आप को रोक नहीं पाई। और फफक पड़ी।

 उसकी फूल सी बच्ची बहुत खूबसूरत थी और आज क्या हाल कर डाला उस रोहन ने।

   रोहन, भव्या के कालेज मे ही पढनेवाला अपने मां बाप का एकलौता और बिगड़ा हुआ बेटा है। जब से उसकी नजर भव्या पर पड़ी तब से रोज किसी न किसी बहाने से उसको रोक लेता था। एक दिन उसने भव्या के सामने अपना प्रेम प्रस्ताव रख दिया। भव्या को बहुत गुस्सा आया फिर भी उसने खुद पर नियंत्रण करते हुए उसके प्रस्ताव को ठुकरा दिया। किंतु ये बात रोहन को सहन नही हुई । वो भव्या को नीचा दिखाने की योजना बनाने लगा   

   एक दिन भव्या जैसे ही कालेज के गेट से बाहर सड़क पर आयी कि रोहन ने पीछे से आवाज दी।भव्या ने अनसुना कर दिया और सामने चलने लगी मगर रोहन के मन मे बदले की आग तेज हो गयी और वह अपनी बाईक से भव्या के बगल से निकल कर सामने कुछ दूरी पर रुक गया । जब तक भव्या कुछ समझ पाती उससे पहले ही रोहन ने अपने हाथ मे लिए एसिड की शीशी को खोल कर उसके चेहरे पर फेंक दिया । तभी एक रिक्शा बीच मे आ गया जिससे एसिड भव्या के आधे चेहरे पर पडा । एसिड की जलन से भव्या चीखने लगी और कुछ पल मे वह बेहोश हो गयी। चारों तरफ चीख पुकार मच गयी लेकिन रोहन को कोई पकड़ नही पाया।भव्या को उसके कालेज के लड़के लड़कियों ने पास के अस्पताल मे भर्ती करवाया और उसके घर पर सूचना पहुँचाई।

  कितनी बार भव्या ने कहा- मां रोहन मुझे रास्ते में रोकता है । उल्टी-सीधी बातें करता है।"

 लेकिन हमेशा मनोरमा ने भव्या को यह कह कर टाल दिया कि" ऐसा तो होता रहता है तू अपने अंदर हिम्मत रख। उससे ज्यादा बातें मत किया कर।"

 अगर उस समय वह उसकी बात सुनकर रोहन के खिलाफ कठोर कदम उठा लेती तो आज भव्या के साथ ऐसी घटना न घटती , लेकिन कहां पता था मनोरमा को रोहन के अंदर की आग के बारे में। जिस आग में उसकी फूल सी बच्ची को जिंदा रहते हुए भी घुट घुट कर जीने के लिए जलाकर राख करना चाहेगा।

  उसने झपट कर भव्या के हाथ से आईना ले लिया और बोली-  मत देखा कर आईना।"

 भव्या ने कहा- " मां मैं बहुत सुंदर थी ना, आप हमेशा कहती थी कि मेरी बिटिया बहुत सुंदर है। फिर आज क्या हो गया?" और इतना कहकर भव्या रोने लगी। 

मनोरमा ने कहा- भव्या ज्यादा सोचो नही, सोने की कोशिश करो बेटा।

मगर भव्या की आंखों से नीद हमेशा के लिए दूर हो गई थी। यही हाल घर में सबका था।

  पुलिस में रिपोर्ट लिखाई थी लेकिन रोहन को पकड़ा नहीं जा सका था। 

  समय बढ़ा एक महीना पूरा हो गया ।भव्या काफी ठीक हो गई थी लेकिन उसका चेहरा बहुत विकृत हो गया था। उससे ज्यादा उसकी मानसिक स्थिति बहुत खराब थी। पहली बार उसके चेहरे को देखकर कोई भी डर सकता था इसलिए वह अपने चेहरे को रुमाल से छिपाए रखती थी। 

  उस दिन पूरे 1 महीने के बाद उसने खुद से कालेज जाने का निश्चय किया उसकी इच्छा के साथ घर मे सबकी सहमति थी। कॉलेज के गेट पर पहुंचते ही सबकी निगाहें उसकी तरफ उठ गई। लेकिन उसने सब को नजरअंदाज कर दिया और सीधे अपने क्लास में चली गई। उसकी फ्रेंड्स उसके पास आ गई लेकिन किसी ने उससे उसके साथ हुई घटना का जिक्र एकबार भी नहीं किया। सब पढ़ाई के बारे में बात कर रही थी क्योंकि सबको पता था वह बहुत भावुक और स्वाभिमानी लड़की है । 

   क्लास में कुछ लड़कियां ऐसी भी थी जो उससे बहुत चिढ़ती थी। उन्हीं में से एक थी रिया। उसने क्लास में दाखिल होते ही भव्या को देखा। वह उसके पास आ गई और भव्या का मजाक उड़ाते हुए बोली- " यह क्या हो गया ? तुम्हारा सुंदर चेहरा कितना खराब हो गया है। अरे रोहन अमीर था क्यो नही उसकी बात मानी।मुझसे तो उसने कुछ कहा ही नही, वर्ना मै तो तुरंत एक्सेप्ट कर लेती।"

उसकी बात से भव्या को बहुत गुस्सा आ रहा था किंतु वो खामोशी से अपने गुस्से को पी गयी। उसकी दोस्तों ने रिया को वहां से हटाया।

 भव्या घर आई और अपनी मां से लिपट कर रोने लगी।

  मां समझ गई कि कॉलेज में कुछ बात हुई है। उसके बहुत पूछने पर भव्या ने पूरी बात बता दी । उसे सुनकर मनोरमा ने दर्द भरी गहरी सांस ली फिर कहा -" बेटा , सब कुछ चेहरे की सुंदरता नहीं होती । माना कि तुम्हारा चेहरा जल गया है लेकिन तुम्हारे मन की और चरित्र की सुंदरता से बड़ी तुम्हारे चेहरे की सुंदरता नहीं थी। जो तुम्हें मन की आंखों से देखेगा उसके आईने में तुम्हारा चेहरा सुंदर दिखेगा इसलिए तुम बेफिक्र होकर फिर से पहले जैसी जिंदगी जियो।"

 अपनी मां की बातें सुनकर भव्या का चेहरा कठोर हो गया, दृढ़ता साफ नजर आने लगी और वह मुस्कुरा कर सिर्फ इतना ही -बोली "थैंक्यू मम्मा ।"

 


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