usha shukla

Inspirational

4  

usha shukla

Inspirational

तोहफा

तोहफा

5 mins
264


रजत अपना सामान बक्से में रख रहा था, साथ ही अपनी नई नवेली दुल्हन अनुराधा को प्यार से समझा रहा था जो उसके विवाह के तीन दिन बाद ही जाने की तैयारी करते देखकर रो रही थी।

रजत ने अनुराधा से कहा-" तुम परेशान मत होना। रोना तो बिल्कुल भी नहीं। मैं जल्दी वापस आऊंगा।"

अनुराधा सिसकते हुए बोली -आप अचानक जा रहे हो अभी तो मेरी आपसे ठीक से बातें भी नहीं हुई थीं। फिर कब आओगे ?"

रजत ने उसके सर पर प्यार से हाथ घुमाते हुए कहा-" तुम एक सैनिक की दुल्हन हो। तुम्हें इस तरह दुखी होना शोभा नहीं देता। एक सैनिक तभी लड़ाई के लिए सेना में जा पाता है, जब उसकी उसके मां-बाप,भाई बहन, उसकी पत्नी और बच्चे सब उसका साथ देते हैं। और यह भी सही है की एक सैनिक के त्याग में सिर्फ वही नहीं, बल्कि उसका पूरा परिवार उस त्याग में शामिल होता है।"

फिर गहरी सांस छोड़ते हुए बोला - मां हैं, छोटी बहन है तुम उनसे बातें करना, उनका ख्याल रखना,और मेरा इंतजार करना।"

अनुराधा ने रजत की तरफ आंसू भरी निगाहों से देखा-" फिर बोली उनकी चिंता मत कीजिए मैं उनका ख्याल रखूंगी। आप निश्चिंत होकर अपनी ड्यूटी कीजिएगा। लेकिन जल्दी आने की कोशिश करेगा प्लीज।" इतना कहते कहते रजत के हाथ को अपने हाथों में ले लिया। साथ ही अपना सिर रजत के कंधे पर टिका दिया। रजत प्यार से उसके बालों में उंगलियां घुमाने लगा। इसी तरह बातें करते सुबह का चार बज गया।

 रजत जाने के लिए तैयार हो गया। अपनी मां के पैर छुए तो वो रो पड़ी। फिर बहन की सिसकी सुनकर उसके पास आया और उसके सिर पर हाथ रख कर बोला- छोटी रोना मत, तू तो मेरी बहादुर बहन है। इन सबको तुझे ही संभालना है।" रिया रोते हुए रजत के गले लग गई।

 फिर रजत अपनी पत्नी के पास आया और बोला -"जाता हूं जल्दी आऊंगा। ख्याल रखना।" उत्तर में अनुराधा के आंसू निकल पड़े।। होंठ थरथरा उठे। उसकी समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या बोले ? रजत अपनी जीप में बैठा उसने सबकी तरफ देखा और चला गया।

उसके जाने के बाद सब तरफ खामोशी फैल गयी। अनुराधा अपने कमरे में चली गई और देर तक रोती रही फिर खुद ही अपने आप को समझाया। बाहर आकर रिया और मां के पास बैठ गई। इसी तरह दिन बीतते गए कभी फोन पर रजत से बात हो जाती तो ठीक है, अन्यथा रजत की फोटो से बातें करती। कभी रोती कभी फोटो में अपने पति को समझाती। कभी रिया के पास जाकर उससे बाते करती। रिया भी अपनी भाभी का पूरा ख्याल रखती। अनुराधा अपनी सास की सेवा भी करती। उनके सोने पर ही अपने कमरे में आती।

एक दिन अचानक अनुराधा की तबीयत बिगड़ गई रिया डॉक्टर को बुलाकर लाई। कुछ देर चेकअप करने के बाद डॉक्टर ने मुस्कुराते हुए अनुराधा से कहा- "आप मां बनने वाली हैं।" यह सुनकर अनुराधा के चेहरे पर खुशी की लहर दौड़ गई। रिया और उसकी मां दोनों खुशी से खिल उठीं। लेकिन अनुराधा पल भर में उदास हो गई क्योंकि रजत उसके पास नहीं था। इतनी अच्छी बात अपने पति से करना चाहती थी। लेकिन कैसे ? उसने फोन भी लगाया था लेकिन रजत से बात नहीं हो सकी। फिर वह पूरी रात जागती रहे और अपनी डायरी में अपने दिल का हाल पूरा लिखती रही। इसी तरह रोज वह अपने मन की बातों को डायरी पर उतारती। फोन पर कभी-कभी रजत से बातें होती लेकिन पूरी बात नहीं कर पाती थी। सारी बातें अपने मन में समेटे थी। अब अक्सर वो अकेले मे अपने आने वाले बच्चे से भी बाते करती रहती। जैसे जैसे समय बीत रहा था उसके अंदर रजत से मिलने की इच्छा बढ़ती जा रही थी।

 नौ महीने बीत गए और आज वह दिन था जब अनुराधा प्रसव पीड़ा से कराह रही थी। घर से अस्पताल तक पहुंचने में उसको बहुत तकलीफ हुई। रिया और सासू मां उसके पास बैठे थे। लेकिन उसकी आंखों में एक इंतजार था। हर आहट में लगता कि शायद रजत आ गया है,क्योंकि अभी 4-5 दिन पहले रजत से बात हुई थी तब उसने कहा था वह उसके पास समय से पहुंच जाएगा। मगर वह अभी तक नहीं आ सका था।

नर्स उसे रूम में ले गई जहां बच्चो का जन्म होता है यानी लेबर रूम। वह दर्द से तड़प रही थी, रजत अभी तक नही आ सका था। उसने अपना हाथ अपने पेट पर रखा और मन ही मन आने वाले बच्चे से बात करने लगी -" तेरे पिता अभी तक नहीं आए। लेकिन कोई बात नहीं तुम आओ, फिर हम दोनों एक साथ उनका इंतजार करेंगे।" सोचते ही उसके होंठो पर मुस्कान आ गयी। अचानक उसका दर्द बहुत तेज हो गया और कुछ पलों मे उसका बच्चा उसके सामने था। डॉक्टर ने कहा-" बेटा हुआ है।" वह मुस्कुरा पड़ी और उसके होंठ बोल पड़े -" एक और सैनिक आ गया।" पास में खड़ी नर्स ने सुन लिया। वह मुस्कुराते हुए बोली-" तुम एक सैनिक की पत्नी हो। तुम दोनों को सैलूट है। पति बार्डर पर पहुंच कर लड़ रहा है और पत्नी यहां अकेले सारे संघर्षों से लड़ती है। फिर भी हार नहीं मानती। "जय हिंद "।अनुराधा के होठों पर मुस्कान आ गई उसने देखा साथ में उसका बच्चा भी मुस्कुरा रहा था। तभी रिया मां के साथ अंदर आते हुए बोली-भाभी मुबारक हो और थैंक्यू मुझे बुआ बनाने के लिए।

सासू मां भी अपने पोते को देखकर बहुत खुश हो गयी। फिर अनुराधा की तरफ देखते हुए बोली- बेटा तुम ठीक तो हो। " अनुराधा उदासी वाले स्वर में बोली- मां सब ठीक है मगर ये भी आते तो बहुत खुशी होती।"

तभी रिया जो बाहर चली गयी थी तेज कदमों से आते आते बोली-" भाभी आपकी खुशी पूरी हो गयी भैया आ गये।"

"क्या ऽ ऽ सच।कहां हैं?" - अनुराधा खुशी से चहक कर बोली।

बाहर हैं, अभी जब आपको रूम मे शिफ्ट किया जायेगा तब वो मिलेंगे।यहां नही आ सकते।"- रिया ने समझाते हुए कहा।

थोड़ी देर बाद वो अपने बेड पर आयी तो रजत पहले से वहां था जिसे देखकर अनुराधा के होंठ खिल उठे मगर आंखें बरसने लगी। रजत भी कुछ बोल पाने में खुद को असमर्थ पा रहा था बस मुस्कुराते हुए उसने बच्चे के साथ अनुराधा को भी अपने सीने से लगा लिया फिर बोला- "मेरी दुल्हन ने मुझे इतना नायाब तोहफा दिया है।" अनुराधा मुस्कुराने लगी।


Rate this content
Log in

Similar hindi story from Inspirational