Shalini Dikshit

Inspirational

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"रविंदर कौरे.......कहां है? देख मैं आई आँ।" सुशीला ने घर के अंदर आते-आते आवाज लगाई।

"आंटी जी आइए! आइए! सत श्री अकाल! आप पंजाबी नहीं हो लेकिन फिर भी जब आप पंजाबी बोलने की कोशिश करती हो तो मुझे बहुत अच्छा लगता है।" रविंदर कौर ने अपने हाथ की तस्वीर को पीछे छुपाते हुए कहा।

सुशीला ने साफ देख लिया था कि वह कुछ छुपा रही है तो उसने पूछ ही लिया, "क्या छुपाया हुआ है अपने हाथ में तूने?"

"कुछ नहीं आंटी यह तस्वीर देख रही थी और खुद की कोस रही थी......." रविंदर कौर ने तस्वीर सुशीला आंटी की तरफ बढ़ाते हुए कहा।

रविंदर कौर की बड़ी बहन का किसी गैर पंजाबी लड़के से प्रेम हो गया था, उसने अपनी दोनों छोटी बहनो रविंदर और निक्की को सब बताया था और उस लड़के की फोटो भी दिखाई थी। इस तस्वीर में वही यादें कैद हैं जिनको रविंदर अक्सर देखा करती है।

उसको पूरा विश्वास था कि दार जी और बेबे मान जाएंगे, लेकिन इसका उल्टा हुआ वह दोनों नहीं माने फिर सतविंदर ने चुपचाप विवेक के साथ कोर्ट में शादी कर ली थी। इसी बात से नाराज होकर माता-पिता ने सतविंदर से रिश्ता तोड़ लिया तो बहनों का रिश्ता भी आपस में टूट सा गया था।

लेकिन बेटा अब तो दो बरस हो गए उसकी शादी को तुम कब तक ऐसे ही घुलती रहोगी उसकी याद में, तुम दोनों बहनें मिलकर अपने पिता से एक बार फिर से बात करो ना कि सतविंदर को माफ कर दे। इस बार मैं भी तुम्हारा साथ दूँगी, हो सकता है प्रभु की कृपा से इस बार सब ठीक हो जाए।

रविंदर कौर की आंखों में एक उम्मीद की चमक दौड़ गई और उसने मन बना लिया की शाम को वह फिर से दार जी से बात करेगी और उनको समझाएगी।


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