पुराना घर
पुराना घर
कल मेरे बेटे आलोक का अचानक फोन आया और वो बोलने लगा "पिताजी मैं इस दीवाली दस दिनों के लिए घर आ रहा हूं।मुझे दिल्ली में एक अच्छा सा और बड़ा सा घर खरीदना है पर उसके लिए कुछ पैसे कम पड़ रहे हैं तो मैं और अर्चना सोच रहे थे कि हमारा जो पुराना घर है वो तो आजकल बहत पुराना हो गया है इसीलिए उसको बैच कर दिल्ली में नया मकान ले लेते हैं।"
"मैं उसे कहने लगा तुम दीवाली में आओ तो सही इसके बारे में बात करेंगे।"बस ये कहकर मैंने फोन रख दिया।धीरे धीरे वक्त बीता और आ गया नवंबर का महीना और फिर से एक घंटी बजी इस बार भी मेरे बेटे आलोक का फोन था कह रहा था " पापा मैं आज शाम को आ रहा हूं ।मेरे पसंद की मिठाई लाके रखना।"
मैने उसको मुस्कुराते हुए कहा "तू आ तो सही मैं तेरे लिए तीन कीलो मिठाई लाके रखा हूं जितना मन करे उतना खाना।"
कुछ देर बाद अचानक घर की घंटी बजने लगी ।आलोक दरवाजे पर खड़ा था ।वो उसकी पत्नी अर्चना ने मेरे पैर छूकर आशीर्वाद लिए।थोड़ी देर के बाद आलोक मुझे कहने लगा "पापा आपसे कुछ बात करनी थी।मैंने उससे कहा "मुझे भी तुझ से एक बात कहनी थी।तो आलोक ने कहा तो पहले आप कहो क्या कहना चाहते हो?" मैं उसका हाथ पकड़ कर घर के अंदर एक रूम में लेकर आया और कहा "तुम्हें याद है इसी रूम में हम मिलकर सोया करते थे, उसके बाद और एक रूम में लेकर कहा इस रूम में तुम पढ़ाई करते थे और तुम्हें याद है तुम्हारी एक दिन परीक्षा में कम नंबर आया था और तुम इस रूम में छुप गए थे ताकि मेरे मार से बच जाओ।और तुम्हें याद है हमारे घर के इस हाल में तुमको खेलते खेलते चोट लग गई थी और तुम्हारी मां तुम्हें मेडिकल ले के गई थी।"
इस सब बात कहते कहते मुझे अचानक आलोक ने रोक दिया और कहने लगा "पापा ये सब पुरानी बातें हैं ।अभी हमारी जरूरत बढ़ गई है, अभी हमको एक बड़ा सा घर लेना चाहिए ।"
उसके बाद मेरी एक नहीं चली ,उसने हमारे पुराने घर को २५ लाख रुपए में बेच दिया और दिल्ली में एक बड़ा सा घर ले लिया ।और मैं बस उसकी गुजरी मां की तस्वीर लेकर उस नए घर में शिफ्ट हो गया।
उस घर में अपने पुराने घर के तुलने में अच्छा बिस्तर था पर मुझे नींद नहीं आती थी।उस घर में लिफ्ट लगी हुई थी पर मुझे सीढ़ी की आदत लग गई थी तो मुझे लिफ्ट में जाने में डर लगने लगा था। पर मेरा बेटा बहत खुश था। मेरे बेटे ने अपने पुराने घर को २५लाख रुपए में बेच दिया था पर उन यादों की कीमत लगने कोई नहीं आया!