औफ़िस टाइम

औफ़िस टाइम

2 mins
162



हर दिन सुबह उठना और ९ बजे से पहले तेयार होना और अफिस में जाकर काम करना और फिर शाम को ५ बजे को थक कर घर लौटना इए मेरा एक डेली रूटीन हो गया था मेरा।ना सांस लेने का फुरसत था ना अपने परिवार के साथ वक्त बिताने का पर कल से इए सब नहीं करना पड़ेगा।

ना सुबह जल्दी उठना पड़ेगा ना ९ बजे से पहले तेयार होना पड़ेगा ।

कियू की कल एक नई सुबह मेरा इंतेज़ार कर रहा था कल में रिटायर्ड होने वाला था ।में नहीं जानता था रिटायर्ड होने के बाद में क्या करूंगा । सुबह जल्दी उठने का बहाना कहां से लाऊंगा। वो ९से५ बजे मैं क्या करूंगा जो वक्त मेरा अफिस में काम करते करते बित जाता था।जिस काम से मुझे कब फुरसत मिलेगा इसका मुझे बरसो से इंतेज़ार था। इए सब सोचते सोचते सुबह हो गया था और में अपनी रिटायरमेंट की फेरवेल पार्टी पूरी करके घर लौट आया था।

किया किया नहीं सोचा था में मेरे रिटायरमेंट के बारे में ।इए करूंगा वो करूंगा। जो ४५ साल से में अधूरी नींद सो रहा था उसको पूरा करूगा ।पर ना जाने क्यों मेरी नींद ठीक ६ बजे टूट जाती थी ना जाने कियू मुझे अफिस केलिए देर हो रही है में जा रहा हूं इए मेरे मुंह से निकल जाती थी।ना मेरे लिए कोई वक्त की पाबंदी था ना था अफिस के काम का स्ट्रेस पर ना जाने कियू मुझे मेरा अफिस बहत याद आ रहा था । जो जो मेरी तमनना थी वो ना जाने कहां गुम हो गया था।सच कहूं तो जब अफिस में काम करता था तो इतना सारा काम में कब इए इतने सारे बंधोनो से मुक्त हूंगा उसके बारे में सोच ता था पर ना जाने कियू मुझे अपने उन अफिस के दिनों को बापास से जीने का मन कर रहा था पर में तो कल से रिटायर्ड हो गया था।ना थी सुबह उठने की जल्दी ना थी अफिस की बस छूट जाने की घबराहट क्यों की में तो कल से रिटायर्ड हो गया था।मुझे बहुत मन था मेरे उन दोस्तों के साथ फिर से मेरी अफिस की कैंटीन में खाना खाने का पर किया करू में तो कल से रिटायर्ड हो गया था।


Rate this content
Log in

Similar hindi story from Drama