ये महज़ इत्तेफाक़ था
ये महज़ इत्तेफाक़ था
यर महज़ इत्तेफाक़ था कि हम कल छुट्टी मैं थे।क्यों कि मैं तो कभी छुट्टी लेता नहीं था शायद लेता नहीं था कहना ठीक नहीं होगा कभी छुट्टी मिलति नहीं थी। लेकिन कल मेरी छुट्टी मंजूर हो गई थी और मेरे दिमाग़ और शरीर को थोड़ा आराम मिल गया था।मेरा नाम चंदन कुमार है और मैं एक छोटी सी कंपनी मैं नौकरी करता था ।अगर मैं कल छुट्टी मैं नहीं रहता तो मेरे भाई की असलियत मुझे कभी पता नहीं चलती।मेरा नाम राजेश कुमार है और मैं क्या करता हूं ये तो आप सब लोग जानते है ।चंदन कुमार मेरा भाई है जिसको मैं गाँव से जहां दिल्ली लाया था अच्छी पढ़ाई लिखाई करने के लिए।
दिल्ली में मैं और मेरा भाई हम दोनों ही रहते है ।मैं हमेशा सोचता रहा मेरा भाई कितना अच्छा है पर कल जो देखा मेरी आंखे फटी की फटी रह गई।क्योंकि मैं कल खाली बैठा था तो सोचा मेरे भाई कैसा पढ़ता है थोड़ा देख आऊं,उसके कॉलेज जा कर।मैं जब उसके कॉलेज जाकर उसके प्रिंसिपल से मिला तो प्रिंसिपल सर ने बताया उसे तो कॉलेज से निकाल दिया गया है लड़कियों को छेड़ने की मामले में।मेरा दिमाग कुछ काम नहीं कर रहा था ।क्योंकि मेरा भाई ऐसा नहीं था।मैं जब कॉलेज से निकल कर घर आने लगा तो मुझे उसी वक्त मेरा भाई मुझे एक शराब के दुकान में शराब पीते हुए अपनी दो दोस्त के साथ मिला।मैं उसको उस दुकान से मार मार के घर लाया और उसको गाँव चले जाने को कहा और कहा । हमारे मां बाप हमको इस काम के लिए नहीं भेजते हैं अपने से दूर ।माफ़ करना तुम्हारे नहीं मेरे मां बाप के नाम को तो बदनाम कर दोगे तुम।तब चंदन अचानक बोलने लगा भाई वो मेरे भी मां बाप भी हैं ।मैं उसको बोला अगर ऐसा होता तुम ये काम कभी नहीं करते।फिर वो शर्मिंदा होकर "मुझे माफ़ क रदो भाई ये बोलने लगा ।" तब मैं उसको बोला मुझे नहीं तुम उस लड़की को और अपने प्रिंसिपल से जाकर माफ़ी मांग कर आओ।और मैं उसे उसके साथ लेकर गया और वो उस लड़की से और अपने प्रिंसिपल से माफ़ी मांगा फिर मैं प्रिंसिपल जी को बोलने लगा "प्लीज़ सर एक आखिरी मौका दे दीजिए सर ।" फिर सर जी ने और उस लड़की ने उसको माफ़ कर दिया ।और आज मुझे उसके कॉलेज के प्रिंसिपल जी के फोन आया था कि तुम्हारा भाई सच में बदल गया है वो टाइम पे क्लास करता है और कॉलेज के बाहर एक घर में गरीब बच्चो को पढ़ता भी है। और मैं सोचने लगा कल के उस घटना के बाद मेरा भाई सच में बदल गया था।
