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sai mahapatra

Tragedy

3  

sai mahapatra

Tragedy

होटल वेटर

होटल वेटर

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बहत दिन हो गए थे मैं कहीं बाहर खाना खाने नहीं गया था।इए रोज़ रोज़ अपने ऑफिस के कैंटीन में एक ही मेनू का खाना खा खाकर मैं परेशान हो गया था।आज मैंने तय किया था कि मैं आज ऑफिस के काम सब निपटा के कहीं बाहर जाऊंगा खाना खाने।मैंने ऑफिस मैं सब काम निपटा के अपना कार निकाला और पहुँच गया एक होटल मैं ।होटल के बाहर अपनी कार खड़ी की और अंदर जाकर बैठ गया।


अचानक एक वेटर आकर पूछने लगा "सर खाने में क्या लेंगे?"


मैंने कहा "चिकन बिरयानी और एक कोको कोला और एक आइस क्रीम ला दो। धोड़ी देर बाद वो वेटर वो सब लाक टेबल में रखकर चला गया और मैं वो सब धीरे धीरे कर खाने लगा ।


थोड़ी देर बाद वो वेटर फ़िर से मेरे पास आकर पूछने लगा "और कुछ लेंगे सर?"


मैं मना कर दिया और अपना बिल कितना हुए उसको पूछने लगा?


वो बोला "चिकन बिरयानी ७०रुपए,एक कोला २०रुपए और एक आइस क्रीम ३० रुपए सब कुछ मिला के आपके हुए१२०रुपए सर।"


"ठीक है" उससे बिल लेकर चला आया और अपना हाथ धोने लगा।


मैं जब काउंटर में अपना बिल जमा कर रहा था तो मुझे अचानक नज़र पड़ी उस वेटर पर जो मेरे लिए खाना लेके आया था ।वो नीचे बैठकर रोटी और थोड़ा सा आचार खा रहा था ।


मैं ने उसके पास जाकर बोला "तुम ये क्यों खा रहे हो ?"


वो बोलने लगा "और क्या करूँ साहब, इस होटल में जितने मेनू बनता है सब मैं ही बनता हूं पर वो सब तो आप जैसे बड़े लोग के लिए।पर हम जैसे गरीब के लिए ये रोटी ही हमारा रोज खाना है।आप यहां खाना खाने के लिए आते हैं और मैं अपने बच्चो को खाना खिलाने के लिए।आप जैसे हम इतने पैसे वाले नहीं है हम साहब कि हम रोज रोज एक ही खाने से परेशान हो जाए ।"


"माफ़ करना साहब आप किसी से यह बात कह रहे थे मैं वहां से गुजर रहा था तो मैं कान मैं आपकी यह बात पड़ गया थी।"

उसके बाद मैं मैं अपना पैसा काउंटर पे देकर घर लौटा।पर उसके बाद मुझे मेरी कैंटीन का वो रोज रोज का खाना अच्छा लगने लगा था और मुझे होटल जाने का मन भी नहीं कर रहा था।


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