पसंदीदा ड्रेस

पसंदीदा ड्रेस

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कल राजेश अपनी बेटी को स्कूल से लाने के लिए स्कूल के बाहर खड़ा हुआ था।अचानक एक आवाज़ आई पापा पापा पापा...।

राजेश की बेटी चांदनी उसके पास दौड़ के आने लगी थी।राजेश ने कुसुम को अपने कांधे पर उठा लिया और उसके स्कूल में आज किया किया उसको पूछने लगा था।

अचानक उसकी बेटी चांदनी राजेश को पूछने लगी पापा मेरे पास तो मेरे कई पसंदीदा ड्रेस है आपके पास नहीं है किया ? आप हर रोज इए पीले रंग का ड्रेस ही पहन कर आते हो या जैसे गुलाबी रंग मेरी पसंद है आपकी भी इए पसंदीदा ड्रेस है किया ?

राजेश ने शिर हिलाकर हामी भर दी।

और कहना लगा नहीं बेटा मेरे पास बहत सारी ड्रेस है पर वो में आपके स्पेशल दिन पर पहनूंगा यानी आपके जन्मदिन पर।

फिर उसकी बेटी चांदनी उससे पूछने लगी पापा आपने इए ड्रेस कहां पर रखा है?

राजेश बोलने लगा वो जो हमारे घर पर एक बड़ा सा बक्सा है ना वहीं पर रखा है।

ऐसे बात करते करते घर आ गया था और वो उसकी बेटी को घर में छोड़कर राजेश किसी बड़े से घर में रंग देने केलिए चला गया राजेश एक रंग मिस्त्री जो था।

राजेश इसलिए उसकी बेटी को कहा था की उस बड़े से बक्से उसकी ड्रेस है कियू की उसकी बेटी बस ५ साल की थी और उसकी हात उस बक्से तक पहंच नहीं पाएगी।

पर चांदनी उसकी पापा की उस ड्रेस को देखने केलिए इच्छुक थी जिस ड्रेस को उसके पापा उसके बर्थडे में पहन ने बाले थे।

चांदनी घर में पड़ी एक स्टूल के सहारे उपर चढकर उस बक्से को निजे गिरा दिया और फ़िर जब वो स्टूल से नीजे उतर कर वो बक्से को खोलकर देखती तो वो बक्सा खाली था !


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