Pujashree Mohapatra

Tragedy Thriller

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Pujashree Mohapatra

Tragedy Thriller

पुराना बंगला

पुराना बंगला

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एक बड़ा सा बंगला था और दरवाजे पर बाहर से ताला लगा हुआ था। बंगला थोड़ा पुराना सा लग रहा था। बाहर से लग रहा था जैसे सालों से बंद पड़ा है। और उसके आस पास भी कोई रहता नहीं था। मेघना को उत्सुकता हुई उसके अंदर जाके देखने की। मेघना एक चुलबुली से लड़की है। वो इंजीनियरिंग की छात्रा है। उनका घर पुने में है। मेघना को उसकी माँ शीला जी ने भेजा है उनकी माँ, यानि की मेघना कि नानी को मुंबई से उनके घर ले जाने के लिए। क्यूँ की उनकी तबियत अभी ठीक नहीं रहती है।

जब मेघना उन्हें लेने आ रही थी तभी रास्ते में ही उसे इस बंगला नज़र आता है। तो वो वहीं पर ड्राइवर को रोक के अंदर जाने की प्रयास करती है। 


जब मेघना कौतूहल पूर्वक बंगले की पीछे की और जाती है तभी पीछे का एक दरवाज़ा खुला हुआ सा होता है। मेघना अंदर जाती है। बंगले के अंदर कुछ सामान टूटा हुआ पड़ा था। अंदर ऐसा लग रहा था जैसे वहीं पर कुछ फिल्म वगैरह की शूटिंग कभी हुई होगी। क्यों की फिल्मों की शूटिंग के दौरान जो मशीनों कि आवश्यकता होती है वहां पर वही सब चीजें टूटी हुई मौजूद थी।


तब मेघना को कुछ लोगों की बातें करने की आवाज़ दूसरे कमरे से सुनाई दी। जब वो पास गई तो कुछ शूटिंग चल रही थी। पहले तो मेघना को अजीब लगा कि बाहर से बंद बंगले की अंदर शूटिंग केसी चल रही है। पर जब ये सब देखा तो उसकी ध्यान भटक गया। सब लोग अपने अपने कामों में लगे हुए थे। फिल्म के अभिनेता और अभिनेत्री अपने अपने आलाप कहे जा रहे थे। निर्देशक महोदय फिल्म की निर्देशन दे रहे थे। तभी फिल्म के एक दृश्य था जिस‌ में अभिनेता अभिनेत्री को खलनायक से बचा रहा होता है और हाथा पाई के दौरान खलनायक की मौत हो जाती है। पर ये काल्पनिक होने की वजह दुर्भाग्य से खलनायक को सचमुच की खंज़र लग जाती है और घटना स्थल पर ही उसकी मृत्यु हो जाती है। और वो चिल्ला कर नीचे गिर जाता है। तभी यही दृश्य अचानक से ग़ायब हो जाता है। और चारों तरफ सिर्फ उस आदमी की चीखने की आवाज़ सुनाई देती है। 


ये चीखने की आवाज़ से मेघना डर कर दौड़ते हुए बंगले से बाहर निकल आती है। तभी एक आदमी से टकराती है जो उस बंगले का देख भाल करता है। वो आदमी मेघना को देख के डांटता है और अंदर क्यूँ गए थे पूछता है। मेघना उसे सारी बात बताता है। तो वो आदमी बोलता है कि जो भी उस बंगले के अंदर गया है उसे वही सब घटना दिखाई देती है। और भी वो बोलता है कि कई साल पहले यही घटना हुई थी, तब से ये बंगला बन्द पड़ा हुआ है। और मेघना वहां से निकल आती हैं। 


ट्रिंग ट्रिंग!! 

अलार्म की घंटी बज उठता है। मेघना चौक के बिस्तर से उठता है। तब उसे पता चलता है , अरे! ये तो सपना था। 

माँ :- मेघू! बेटा जल्दी उठ जा। तुझे नानी के घर जाना है ना। उनको लाने। 

मेघना: हां! जाती हूं माँ ।

मेघना जल्दी से अपने काम ख़तम करके नानी को लाने निकल पड़ता है। रास्ते में नानी की फ़ोन आता है,

नानी: मेघू! तू मुझे लेने आ रही है ना? 

मेघना: आ रही हूं में मेरी प्यारी नानी!

तभी उसी रास्ते पर एक बंगला दिखाई देता है। और हूबहू उसी बंगले की तरह दिखता है जो मेघना ने अपनी सपने में देखा था!!



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