समाधान
समाधान
नदी के किनारे एक बरगद के पेड़ था और उसके पास था एक छोटा सा गाँव। गाँव के लोग उस पेड़ के नीचे बैठते थे। उस गाँव में एक मुखिया थे और सब लोग उन्हें मानते थे। गाँव में अगर कोई छोटा मोटा झगड़ा होता था तो सब लोग उनके पास जाते थे, और जो भी फैसला मुखिया जी करते थे वो सब लोग मानते थे। अगर किसी की कोई निजी समस्या होती थी तो वो उसका समाधान करते थे। मुखिया जी बहुत ही ज्ञानी और गुणी जन थे वो समस्याओं का हल उदाहरण दे कर समाधान किया करते थे। उसी बरगद के पेड़ के नीचे बैठ कर वो पुराण पाठ करते थे।
एक दिन की बात है जब मुखिया जी बरगद के पेड़ के नीचे बैठ के पुराण कि चर्चा कर रहे थे तभी एक युवक आया। देखने में वो बहुत चिंतित लग रहा था। तब मुखिया जी ने उसके चिन्ता की कारण पूछा तो उस युवक ने बोला- मेरे जीवन में सिर्फ समस्याएं है। जो भी काम करता हूँ उसमें सिर्फ समस्या और विफलता का सामना करना पड़ता है मुझे। मुझे और जीने की इच्छा नहीं है।
ये सुनने के बाद मुखिया जी कुछ समय सोच ने के बाद बोले- तुम जाओ और पास के दुकान से मुट्ठी भर नमक लाओ। कुएँ से एक ग्लास पानी लाओ। युवक वहां से गया और कुछ समय बाद मुखिया जी की बतायी हुईं चीजों को ले कर वहां पहुंचा। तब मुखिया जी ने कहा- नमक को ग्लास में डालो और उसे मिलाके पी जाओ। ये सुन कर युवक को थोड़ा ताज्जुब हुआ पर गुरुजनों की बात मान कर जब वो पीने लगा तो थू थू करके फेंक दिया और बोला- ये मुझसे पीया नहीं जा रहा है।
मुखिया जी ने कहा- ठीक है फिर से जाओ और एक मुट्ठी नमक ला के उसे कुएँ अन्दर डाल दो फिर कुएँ से एक ग्लास पानी निकाल के उसे पियो। तब युवक ने बड़ी आसानी से वो पानी पी दिया। मुखिया जी ने युवक से कहा- अब समझ में कुछ आया। युवक ने मना किया। मुखिया जी ने कहा - यहां पर नमक है तुम्हारा समस्या और पानी है समय। तुम अभी समस्याओं को समय के साथ तुलना कर रहे हो इस लिए तुम्हें समस्याएं ज्यादा लग रहे हैं ।अगर तुम ये पुरी जिन्दगी के साथ तुलना करोगे तो तुम्हें समस्याएं ज्यादा नहीं लगेंगे। तुम समस्या के उपर ज्यादा ध्यान न दे कर अगर अपने काम पर ध्यान दोगे तो देखना तुम्हें सब कुछ आसान लगने लगेगा। और धैर्य के साथ काम भी करना।
अपनी समस्याओं का समाधान पा कर युवक खुशी खुशी अपने काम पर चला गया।