पतझड़
पतझड़




उनके बाग के पेड़ के बूढ़े पत्ते, पेड़ का साथ छोड़ चुके थे। माली ने उन्हें समेटा, इकट्ठा किया और अग्नि के हवाले कर दिया।
उन्हीं दिनों उनके वयोवृद्ध पिताजी भी उनका साथ छोड़कर चले गये। बहुत ताम-झाम के साथ, उनका अंतिम संस्कार कर, उन्हें अग्नि को समर्पित कर दिया गया।
कुछ दिनों में मौसम बदला और पेड़ों पर नये-नये चमकीले पत्ते आ गये। बगीचे में फिर से बहार आ गई थी.... पर उनके घर के एक कोने में अभी भी पसरा था एक सूनापन...... एक सन्नाटा......!!!!