वह सयानी गुड़िया
वह सयानी गुड़िया
![](https://cdn.storymirror.com/static/1pximage.jpeg)
![](https://cdn.storymirror.com/static/1pximage.jpeg)
वह लगभग आठ-दस वर्ष की प्यारी सी लड़की थी। उसके पिता शराब पीकर कहीं पड़े रहते थे। माँ कुछ घरों में काम करके, घर-खर्च चलाती थी। वह अपने तीन छोटे भाई-बहनों को सँभाल कर, काम में भी माँ का हाथ बँटाया करती थी और इतनी समझ उसमें आ चुकी थी कि वह, अब ये जान चुकी थी कि उसका एक और भाई या बहिन आने वाली है।
एक दिन उसके मोहल्ले में एक सरकारी गाड़ी आई। उसमें आई कई टीचरों ने, माँ-बच्चों के बारे में ढेर सारी बातें बताईं और पर्चे भी बाँटे। तब उसकी माँ काम पर गई थी। उसने उन पर्चों को संभाल कर रख लिया।
अगले दिन जब माँ काम पर जाने लगी तो वह बोली..
"आज पहले मेरे साथ एक जगह चलना होगा।"
माँ उसे प्यार करते हुए बोली..
"ऐसी भी क्या बात है, फिर कभी चलेंगे।"
पर वह जिद पर अड़ी रही। माँ की अंगुली पकड़ कर वह उसे एक सरकारी इमारत के सामने ले गई, जिस पर लिखा था...
"प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र का परिवार नियोजन केंद्र "
माँ भौंचक्की होकर कभी उस इमारत को देख रही थी तो कभी अपनी उस सयानी गुड़िया " को..!