ज़ुनून
ज़ुनून


ज़ुनून था कुछ अच्छा कर दिखाऊँ...
सोचा, चलो बड़े-बूढ़ों की सेवा की जाए,
मेवा ना सही, आशीर्वाद तो मिलेगा ही..
नगर के नज़दीकी वृद्धाश्रम का पता किया,
चार यारों को जमा किया...
एक टीम बनाई,
और रविवार को वृद्धाश्रम में
सेवा की योजना बनाई...
रविवार को घर से निकल ही रहा था,
कि दादी ने माँगा एक गिलास पानी,
दादाजी ने माँगा डाॅक्टर के
पास जाने के लिए मेरा साथ...
पर मैं तो अपने ज़ुनून में था !
उन्हें देकर टका सा जवाब,
जा पहुँचा वृद्धाश्रम!!!
यारों के पास,
करने अपना पूरा ज़ुनून !
करने अपना पूरा ज़ुनून !