प्रतिशोध की आग......एक बदला
प्रतिशोध की आग......एक बदला
सच तो प्रतिशोध की आग जीवन को बेकार कर देती है परंतु अगर हम प्रतिशोध की आग को सहयोग दे या न दे बस सब्र करे तो कुदरत और प्रकृति स्वयं ही समय पर र उसके साथ वही करतीं हैं जो उसने तुम्हारे साथ किया था क्योंकि प्रकृति का नियम है की जो आप देते हैं मैं वापस आपको मिलता है आज की कहानी प्रतिशोध की आग पढ़ते हैं।
राजू एक गांव में अपनी मेहनत और मजदूरी से एक किराने की दुकान चलाता था परंतु गांव का जमीदार राम सिंह अपने पैसे के बल पर सभी लोगों या सभी गांव वालों से वह अपने रुपए का लोहा बनवाना चाहता था परंतु राजू एक मेहनती और ईमानदार लड़का हो होता है। वह हमेशा अपनी मेहनत और लगन पर विश्वास करता था कई बार जमीदार राम सिंह ने उससे कहा कि वह अपनी दुकान या बिजनेस को बढ़ाने के लिए मुझे रुपए ले ले और में उसे तुमको बिना ब्याज पर दे दूंगा परंतु राजू ने हर बार उसे मना कर दिया।
जमीदार राम सिंह को यह बात है बर्दाश्त नहीं हुआ । तब जमीदार राम सिंह रात के समय कुछ गुंडो के द्वारा राजू की दुकान में तोड़फोड़ और लूट करा देता है। और जब सुबह राजू अपनी दुकान पर पहुंचता है तो वह दुकान की दुर्दशा देखकर वहां रोने बैठ जाता है तभी जमीदार राम सिंह वहां पहुंच जाता है और झूठी हमदर्दी और बनावटी आंसू दिखाकर राजू का मन जीतने के लिए प्रयास करता है परंतु राजू उसकी झूठी और मक्कारी की बातों को समझता है और वह वहां से उठकर अपने घर चले जाता है। जमीदार उसकी हरकत से और भी नाराज होता है और वह गांव में सभी से उसको खाना पानी देने को मना कर देता है गांव वाले जमीदार की दर से और अपने घर की इज्जत के लिए उसकी बात मानते हैं।
राजू मन में निश्चय करता है कि जमींदार से इस बात का प्रतिशोध लिया जाएगा और वह प्रतिशोध की आग में जलने लगता है। और वह गांव से बाहर जाने के लिए मन बना लेता है। वह गांव के मंदिर की चौखट पर माथा टेकने जाता है। गांव के पंडित जी कहते हैं कि प्रतिशोध की आज बेकार है तुम कुदरत पर विश्वास रखो एक समय उसको उसकी करनी का फल जरुर मिलेगा। और राजू पंडित जी से आशीर्वाद लेकर शहर की ओर चला जाता है और राजू को शहर में एक जगह अच्छा काम मिल जाता है राजू की ईमानदारी और मेहनत रंग लाती है वह आदमी राजू को अपनी फैक्ट्री का पाटनर बना लेता है और अपनी ही बेटी से उसका विवाह कर देता है समय बीतता है उसकी पत्नी एक डॉक्टर होती है और शहर में नामी डॉक्टर की लिस्ट में उसका नाम होता है उधर गांव में जमींदार और जमींदार की पत्नी सुनंदा बहुत बीमार हो जाती है और राजू की पत्नी की नर्सिंग होम में इलाज करने पहुंचती है।
राजू जमीदार की पत्नी को पहचान जाता है और वह सारी कहानी अपनी पत्नी रानी को बता देता है जो की एक नामी डॉक्टर थी परंतु रानी कहती है इसको उसके कर्मों का फल भुगतना पड़ रहा है हम क्यों इसे परेशान करें हम अपना फर्ज निभाते हैं और वह राजू को समझ कर कह देती है कि इसकी पत्नी दो-चार दिन की मेहमान है और यही बात पर जमींदार से कह देती है और जमींदार डॉक्टर के पैरों में पड़ जाता है और कहता मेरी बीवी पत्नी को बचा लो पर डॉक्टर रानी कहती है इसकी बीमारी बढ़ चुकी है कि हम इसे नहीं बचा सकते और जमींदार राजू को देखकर चौंक जाता है।
अब राजू समझ चुका होता है कुदरत के फैसले देर में होते हैं परंतु होते जरूर है और राजू अपनी प्रतिशोध की आज भूल चुका होता है क्योंकि जमीदार की पत्नी अब इस दुनिया में नहीं रही और जमीदार को उसके कर्मों का फल मिल जाता है जमीदार के बुरे कर्मों को सजा उसकी पत्नी सुंदर ने कम उम्र में मृत्यु पाकर भुगतान किया।
जीवन में एक स्वस्थ तो यही है कि प्रतिशोध की आग तो जीवन में सबको बर्बाद कर देती है परंतु अगर हम सभी धैर्य और सब्र से कम दिन तो जीवन में सभी को अपने-अपने कर्मों का फल देखना पड़ता है क्योंकि प्रतिशोध की आग भी मन से बददुआओं के साथ निकलती है। राजू जमीदार की हालत को देखकर ईश्वर को मन ही मन धन्यवाद करता है। और अब बेस्ट यह सोचता है कि अगर वह जमीदार उसकी दुकान ना तोड़ता तो वह शहर ना आता शहर नहीं आता तो रानी जैसी समझदार पत्नी उसे न मिलती। राजू सच कहता है सोचता है की प्रतिशोध की आग को बेकार है परंतु ईश्वर कुदरत प्रकृति जो करती हैं वह समय के साथ-साथ सही और सच होता है।
दोस्तों प्रतिशोध की आग की कहानी आपने पढ़ी। कहानी प्रतिशोध की आग यह प्रेरणा देती है कि हम अगर सब्र और धैर्य का साथ रखें तो जीवन में समय हमारा भी ख्याल रखना है। प्रतिशोध की आग तो जीवन को नष्ट कर देती है परंतु सब्र और धैर्य ही प्रतिशोध की आग का कारण बन जाता है और कुदरत अपने समय के साथ न्याय कर देती है राजू अब प्रतिचोड़ की आपको भूल चुका था और अपने परिवार के साथ जीवन खुशहाल बिता रहा था। और कुछ समय बाद राजू और रानी की घर में सुंदर बेटी का जन्म होता है और राजू अपनी पत्नी रानी और बेटी के साथ गांव के अपने मकान में जा रहे होते हैं और राजू बहुत खुश था कि वह अपने गांव के संपत्ति को देखने जा रहा है।

