Pawanesh Thakurathi

Tragedy

4.9  

Pawanesh Thakurathi

Tragedy

परियों की कहानियाँ

परियों की कहानियाँ

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 दादी माँ अक्सर अपने प्यारे रोहन को परियों की कहानियाँ सुनाया करती थीं। एक दिन दादी माँ चल बसी।

 दादी माँ के निधन के बाद एक दिन रोहन ने अपनी मम्मी से कहा- "मम्मी, मुझे परियों की कहानी सुनाओ !"

 मम्मी ने कहा- "बेटा, मेरे पास टाइम नहीं है।" यह कहकर उन्होंने टी०वी० ओन कर दी। रोहन टी०वी० में कार्टून देखने लगा।  

 कई साल गुज़र गये। रोहन अब बड़ा हो चुका था। दादी माँ के गुजरने के बाद उसने किसी के मुंह से एक बार भी परियों की कहानी नहीं सुनी।

उसे अब एहसास हो चुका था कि दादी माँ अपने साथ न जाने कितनी कहानियों की किताबें ले गईं।   


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