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Sandeep Kumar Keshari

Fantasy

3  

Sandeep Kumar Keshari

Fantasy

प्रिय डायरी -बेवक्त की मोहब्बत

प्रिय डायरी -बेवक्त की मोहब्बत

3 mins
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कैसा प्यार! शाम लगभग 6.15 बजे का समय। नीरा ने कॉल किया और उससे जल्दी आने को कहा। सागर कुछ ही देर में नीरा के बताए रेस्टोरेंट के पास था। नीरा उसका कुछ देर से रेस्टोरेंट के बाहर अपने पति और 4 साल की बेटी के साथ इंतज़ार कर रही थी। सागर ने नीरा के पति से हाथ मिलाया और हाल चाल लिया, फिर नीरा से उसका हाल पूछा। फिर सभी रेस्टोरेंट के अंदर गए। कुछ हल्का- फुल्का नाश्ते के लिए ऑर्डर किया गया।

फिर इधर उधर की बातें हुई। नीरा से सागर आज 7 साल बाद मिल रहा था। बिल्कुल वैसी ही थी जैसे अंतिम बार उससे मिला था; हां, थोड़ी मोटी हो गई थी; बाकी वही हंसी, अंदाज, बाल संवारने का तरीका, चाल- ढाल… सब कुछ..। दोनों की नजरें मिलती, लेकिन थोड़े समय के लिए। नीरा का पति से भी बहुत बातें हुई सागर की। सागर को लग रहा था कि समय उसके लिए आज भी वहीं का वहीं था, जहां वह नीरा को छोड़ के आया था। कल अचानक नीरा का कॉल आया था कि वह ऑफिस के काम से उसके ही शहर में आई है और उससे मिलना चाहती है।

सागर भी तैयार हो गया और नियत समय और जगह पर दोनों आज मिल रहे थे। नीरा जब-जब हंसती, सागर उसे बस देखता रहता। वे दोनों अपने कॉलेज लाइफ के बारे में नीरा के पति राजन को बताने लगे। पुराने दिनों को याद कर के दोनों खूब हंसते और मुस्कुराते। राजन भी दोनों के मस्ती में सम्मिलित हो गया। कब बातें करते– करते 2 घंते बीत गए पता ही नहीं चला। फिर लगभग 8 बजे सभी रेस्टोरेंट से निकले और अपने- अपने गंतव्य की ओर चल पड़े। पूरे रास्ते सागर अपनी पिछली यादों में खोया रहा। उसे अच्छे से याद है जब उसने आज से 12 साल पहले नीरा को कॉलेज के टाइम I LOVE YOU बोला था, लेकिन नीरा ने उसे मना कर दिया था! उसके बाद उसने कभी दुबारा नीरा को नहीं बोला कि वो उससे कितना प्यार करता है…!

धीरे - धीरे वक़्त बीता, फिर नीरा की शादी हो गई। नीरा उसे सिर्फ एक अच्छा दोस्त मानती थी। सागर तो उतने में भी खुश था, कम से कम इसी बहाने उससे कभी– कभार बात करने का मौका तो मिल जाता था! सागर की भी शादी की बात चली, पर उसे कोई भी लड़की जंची नहीं। अभी तक वो कुंवारा था। उमर (उम्र) भी उसकी 33 पार गई थी, बाल के साथ दाढ़ी में भी सफेदी आ गई थी।

वो इस शहर में अकेला रहता था। दिनभर ऑफिस का काम करता और शाम में फ्लैट आने के बाद फिर बाहर न निकलता। खुद में खोया रहता, किसी से बात भी नहीं होती थी। इस शहर में उसे आए 5 साल से ज्यादा हो गए थे, लेकिन डिलीवरी बॉय और काम वाली बाई के सिवाय उसकी किसी से भी दोस्ती न थी। अगले दिन से उसकी जिंदगी फिर अपने पुराने ढर्रे पर चल पड़ी। दो दिन बाद रात को खाना खाते समय उसके मोबाइल में मैसेज आया। उसने खाते– खाते मैसेज देखा, नीरा का था; लिखा था – 'I LOVE YOU!!! कहना बहुत पहले चाहती थी, पर कह नहीं पाई।

मुझे लगा कि तुम दुबारा कहोगे तो मैं 'हां' बोल दूंगी, पर तुमने कल भी कुछ नहीं कहा…!' सागर से एक निवाला ना निगला गया। उसके आंखों में आंसू थे, किस बात के पता नहीं…! खुशी के या गम के? उसे समझ नहीं आ रहा था कि वो हंसे की रो दे ! कहते हैं ना वक़्त पर जब सब हो तो ठीक लगता है, वरना बेवक्त की मोहब्बत भी अच्छी नहीं लगती ! 


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