परिवर्तन
परिवर्तन
गोरे रंग पे इतना गुमान न कर गोरा रंग दो दिन में ढल जाएगा। गाना रेडियो में सुनाई दे रहा था। शालिनी ग़ुस्से से पैर पटकते हुए आई और उसने रेडियो बंद कर दिया गोरा रंग सुबह से शाम तक यही सुनने और देखने को मिलता है क्या रखा है ? गोरे रंग में कहते हुए भुनभुना रही थी, तभी वहाँ सुहानी आ गई और कहने लगी रेडियो किसने बंद किया ?
कहते हुए स्विच ऑन कर दिया फिर गाना बजने लगा गोरा रंग दो दिन में ढल जाएगा,शालिनी ने अपने कान बंद कर लिए सुहानी हँसने लगी क्या है दीदी गोरा रंग सुनते ही तुम्हें ग़ुस्सा आ जाता है जो जैसा रंग पाएगा उसी में ख़ुश रहना है तुम तो हमेशा रोती ही रहती हो।देख सुहानी,मेरे रंग पर मत जा तुझे क्या मालूम बचपन से मैं इस रंग के बारे में सुनती हुई ही बड़ी हुई हूँ मैं कोई जानबूझकर काली पैदा हुई क्या ? कोई कोयला कहता है तो कोई कौआ, दोनों में कहा सुनी होने लगी तभी दादी आ गई शालिनी अपना मुँह बंद रख,
रंग तो भगवान ने दिया नहीं, कम से कम अच्छे गुण तो सीख ले, उन्हें देख कर ही कम से कम कोई शादी के लिए हाँ कर दे, वर्ना उम्र भर हमारी छाती पर मूँग ग़लती रहेगी,बस शालिनी रोने लगी ऐसे ही उसका बचपन बीता।
शालिनी कॉलेज में पहुँच गई । मालूम नहीं शालिनी आजकल न सुहानी से लडती है न दादी की बातों का बुरा मानती है। उसने अपने आपको सिमट लिया न किसी से बात करती न किसी से दोस्ती अपने काम से काम दादी सुहानी की तारीफ़ करे तो भी उसे कोई फ़र्क़ नहीं पड़ता था। सुहानी के लिए बहुत से रिश्ते आते थे पर शालिनी बड़ी है उसकी शादी किए बिना छोटी की कर दें तो उसकी शादी नहीं होगी ऐसा सोचकर पिताजी सुहानी के लिए रिश्ते मना करते जा रहे थे। एक दिन दादी ने कहा देख गोपीनाथ अगर इसी तरह सुहानी के लिए आए रिश्तों को ठुकराया करेगा तो कल उसके लिए भी रिश्ते आने बंद हो जाएँगे। मेरी मान शालिनी के बारे में मत सोच उसकी शादी जब होना होगी तब हो जाएगी कम से कम एक का बोझा तो हल्का कर ले, शालिनी दूसरे कमरे से उनकी बातें सुन रही थी।
वह झट से कमरे से बाहर आती है और कहती है पापा आप मेरी फ़िक्र मत करिए सुहानी की शादी कर दीजिए मुझे पढ़ना है।वह सिविल्स की परीक्षा की तैयारी कर रही थी परीक्षा का दिनांक भी आ गया था वह कहती है मैं पहले कुछ बन जाऊँ और अपने पैरों पर खड़ी हो जाऊँ तब सोचूँगी। यह कह कर कमरे में चली जाती है। शालिनी की रज़ामंदी से सुहानी की शादी धूमधाम से एक बड़े घराने में अच्छे से लड़के के साथ हो जाती है और वह ससुराल चली जाती है।
शालिनी भी परीक्षा में पास हो जाती है उनके ही शहर में डिप्टी कलेक्टर बन कर आती है। बहुत से लोग जिन्हें शालिनी के रंग से नफ़रत थी दिन में देखे तो रात को सपने में दिखती है, इस तरह की बातें कहने वाले अब उसके आगे पीछे घूमते रहते हैं दादी भी सबको गर्व से बताती है कि मेरी पोती कलेक्टर हो गई है उसके तो बड़े ही ठाठ हैं बीसियों नौकर उसके आगे पीछे घूमते हैं।
शालिनी के साथ ही काम करने वाला सतीश अपने माता-पिता के साथ गोपीनाथ के घर आते हैं शालिनी का हाथ माँगने घर में सब ख़ुश हो जाते हैं।शालिनी भी इस रिश्ते के लिए तैयार हो जाती है क्योंकि वे दोनों कॉलेज में पढ़ते समय से ही एक दूसरे को चाहते थे पर शालिनी ने सतीश के आगे शर्त रखी थी कि जब तक वह कुछ बन नहीं जाती, शादी की बात भी नहीं सोचना चाहती आज सतीश और शालिनी की तपस्या पूरी हुई
शादी धूमधाम से होती है बड़े बड़े नेता और ऑफ़िसर्स आते हैं पर शालिनी को किसी और का इंतज़ार था बड़ी ही बेसब्री से वह अपनी शारदा मेम का इंतज़ार कर रही थी।
पापा, दादी, माँ सब भी उस व्यक्ति का इंतज़ार कर रहे थे जिसने शालिनी की ज़िंदगी ही बदल दी है कैसी बदल दी है यह जानना चाहते थे, आख़िरी में इंतज़ार की घड़ियाँ ख़त्म हुई और शारदा मेम आ गई, उन्होंने शालिनी को गले लगाया शालिनी ने कहा मेम आपकी कोयल आपके सामने है। सब हैरान होकर दोनों को देख रहे थे।
हँसते हुए शालिनी ने कहा स्कूल में दसवीं कक्षा के फेरवल के दिन शालिनी भी सबके समान तैयार होकर आई थी, जैसे ही वह हॉल में घुसी सबने एक साथ गाया झूठ बोले कौआ काटे काले कौवे से डरिए शालिनी की आँखों में आँसू आ गए वह दौड़ते हुए बाथरूम की तरफ़ भागी बच्चे पीछे से तालियाँ बजा -बजा कर हँस रहे थे,बुरा शालिनी को इसलिए लग रहा था कि उसकी बहन सुहानी भी उनके साथ थी तभी पीछे से किसी का हाथ उसके कंधे पर पड़ा, जा सुहानी मुझे तेरे से बात नहीं करनी है, तू भी औरों के समान ही है शारदा मेम ने कहा बेटा मैं शारदा मेम हूँ, अगर मेरी बात सुनेगी तो मैं कुछ बताऊँगी, क्या बतायेंगी मेम बुरा मत मानो रंग से क्या है मुझे नहीं सुननी है यह बातें बचपन से यही सुनते आ रही हूँ।
शारदा मेम ने कहा नहीं बेटा मैं सिर्फ़ इतना कहूँगी कि अपने गुणों को पहचानो उसे उभारने की कोशिश करो। कौआ और कोयल दोनों ही काले होते हैं लेकिन लोग कौए से तुलना करें तो बुरा मानते हैं, पर कोयल से करें तो ख़ुश होते हैं, क्योंकि कोयल अच्छा गाती है उसके गुण ने उसके रंग को छुपा दिया। बस मैं इतना ही कहूँगी कि कोयल बन बेटा सब तेरे आगे पीछे होंगे बस उस दिन के बाद शालिनी ने पीछे मुड़कर नहीं देखा और आज इस मुक़ाम पर है जिसका पूरा श्रेय शारदा मेम को ही जाता है। कहते हुए उसने शारदा मेम के पैर छूने के लिए झुकी उन्होंने ने उसे गले से लगाया और कहा मुझे तुम पर गर्व है बेटा
सबकुछ सुनने के बाद पापा,दादी, और माँ ने सोचा अपने होकर भी हम उसके दर्द को नहीं समझ सके।कोई बात नहीं देर आए दुरुस्त आए सब ठीक हो गया है। शालिनी के जीवन में जो परिवर्तन आया है, उससे प्रेरित होकर लोग कौआ नहीं कोयल बनिए और अपने गुणों को पहचानकर उनको निखारने की कोशिश करें।