परिचय

परिचय

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   अक्सर मल्होत्रा साहेब के यहाँ जाना होता , घण्टों बैठते हम, साथ चाय नाश्ता भी वहीं हो जाता कभी कभी मेरा । हम उनके किरायेदार थे , मेरी पोस्टिंग भोपाल हो गई जबलपुर से। बैंक में मैनेजर हूँ मैं ,अपनी बीवी ,और दो बच्चों के साथ यहाँ आया हूँ , दो मंजिल का मकान है,ऊपर का हिस्सा उन्होंने हमें किराए पर दिया है, बहुत अच्छे हैं मल्होत्रा दम्पत्ति, एकदम हँसमुख स्वभाव के ।एक दिन उन्होनें हमें खाने पर बुलाया घर । पहुँचे तो एक सुंदर ,सुशील लड़की दौड़ दौड़कर सब काम कर रही थी बहुत स्मार्ट , उन्होंने परिचय कराया मेरी बेटी है ये प्रिया । खाने पर सब साथ बैठे उनका बेटा आशीष भी आ गया , वो दोनों भी खूब हंसी मजाक कर रहे थे , बातों बातों में ही पता चला कि वो उनकी बहू है , बड़ा सुखद आश्चर्य हुआ कि कितनी अच्छी सोच के हैं वो ।इतने देर में हमें पता ही नही चला था कि बहु है वह। मैंने और पत्नी ने इस बात के लिए उनसे पूछा भी। तो उनकी पत्नी खिलखिला कर हंस कर बोली "-देखिये ना भाई साहब ये सबको बेटी कह कर इसका परिचय कराते हैं , एक दिन मेरे बेटे के लिए फिर से रिश्ता आ गया था ,हमने कहा बेटे की शादी तो हो गई है ,ये है हमारी बहु ।

तो इस पर उन्होंने कहा --"पर आपने तो इनका परिचय बेटी कह कर कराया था " 

बहुत मजेदार वाक्या था यह था , हमे भी बहुत हंसी आई 

तभी उनकी बहू प्रिया ने अपने सास ससुर के पास आकर एक बात कही जो मन को छू गई "शादी के बाद से यही मेरे मम्मी पापा हैं , और यही मेरा ससुराल भी है और यही मायका ,इन्होंने मुझे कभी मम्मी -पापा की कमी महसूस नही होने दी । उस वक्त मल्होत्रा दम्पति की आंखों में भी आँसू छलक उठे -" बेटा हमने तुझे प्यार दिया और तूने भी हमें जो प्यार सम्मान दिया वो क्या कम है" जब से तू आई है हमारा घर खुशियों से भर गया है ।"

उनका प्यार देख हमारा भी मन गदगद हो गया कि, प्यार , और सम्मान देने से उनकी बहू ने आज उनकी बेटी की कमी पूरी कर दी ।




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