प्रेरणा

प्रेरणा

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एक बार की बात है मेरे ननिहाल तरफ एक लड़का रहता था, जिसका नाम शिव था, जो की पढ़ने-लिखने में बेहद होशियार था और लगभग सभी परीक्षाओं में अपनी कक्षा में प्रथम आया करता था। उसके माता-पिता एवं उसके सभी मोहल्ले वाले उससे काफी अपेक्षाएं रखा करते थे और कहा करते थे कि, वह अपनी ज़िन्दगी में कुछ ना कुछ करके जरूर दिखाएगा एवं उसे अपने आप से भी काफी अपेक्षाएं थी।


उसका लक्ष्य था कि वह एक बेहद ही प्रसिद्ध लेखक ब्राजीलियन लेखक पाउलो कोएल्हो की तरह बनना चाहता था एवं उनकी किताबें पढ़ता रहता था। वह अभी मात्र 18 साल का ही था लेकिन उसने लगभग 5 से 6 किताबें अपने द्वारा लिख चुका था।


शिव एक गरीब परिवार से संबंध रखता था। इसलिए उसके माता – पिता उसके लेखक बनने से बिल्कुल भी पसंद नहीं थे और वह चाहते थे कि उनका पुत्र भी सरकारी नौकरी करें, जिससे उन्हें गांव एवं समाज में इज्जत मिले और इसी बात को लेकर वे शिव पर बहुत ज्यादा दबाव बनाया करते थे कि वह लेखक ना बन कर पढ़ लिख कर एक अच्छी सी नौकरी करें। इसी दबाव के चलते शिव का ध्यान अपने लक्ष्य से हट गया और वह पढ़ने लिखने में भी अपना ध्यान नहीं लगा पाया।

जिसके कारण उसका मानसिक संतुलन गड़बड़ हो जाता है और उसका मन किसी भी कार्य में नहीं लगता। यह सब देखकर उसके माता-पिता उसके प्रति चिंतित हो गये तभी गांव में एक वृद्ध व्यक्ति शिव के माता-पिता को यह सलाह देता है कि आप इसके शिक्षक से बात करें और इस समस्या का कोई समाधान निकालने की कोशिश करें।


तभी शिव के माता-पिता उसके स्कूल के शिक्षक के पास गये एवं उनसे बात करते है कि, शिव पहले बहुत पढ़ाई करता था लेकिन अब उसका ध्यान ना तो पढ़ाई में और ना ही किसी अन्य कार्यों में लगता है। जब शिव के माता – पिता उसके शिक्षक से बात करते हैं तो शिक्षक उसके माता-पिता को बताते है कि आपका पुत्र बहुत ही होशियार छात्र है लेकिन वह सरकारी नौकरी नहीं करना चाहता था। वह एक लेखक बनना चाहता है एवं उसने बहुत सी किताबें भी लिखी थी जो कि बेहद ही सुंदर किताब थी।


शिक्षक शिव के माता-पिता से पूछते है, क्या आपने कभी उसकी किताब पढ़ी है? तो इस प्रश्न के जवाब में उसके माता-पिता कहते है कि, नहीं हमने उसकी किताबें नहीं पढी है। शिक्षक की यह बात सुनकर शिव के माता-पिता को यह बात समझ में आ जाती है कि उनका पुत्र जो कार्य कर रहा है वह गलत नहीं है एवं अब वह उसे सरकारी नौकरी के लिए परेशान ना करते हुए उसे एक लेखक बनने में मदद करने लगते हैं।


मुझे जब ये बात नानी ने बताई थी मेरी उम्र २० वर्ष थी और आज शिव की उम्र ४० वर्ष के आस पास है और आज वह एक प्रसिद्ध लेखक है। शिव से मुझे बहुत प्रेरणा मिलती है कि निरंतर अपने लक्ष्य की ओर बढ़ते रहो। आज भी शिव जी के साथ बैठ कर बहुत कुछ सीखती हूं।


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