दोस्त

दोस्त

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दोस्ती बहुत अनमोल चीज है और दोस्तो के साथ बिताया हर वक़्त खास होता है । उन्हीं खास दिनों में से एक पल, मेरे दिल के बहुत करीब है। मैं यहां बंगलौर में हूँ , नौकरी करते हुए ५ साल बीत गए है।ऑफिस के दोस्त है पर उनसे ज्यादा बात नहीं होती।कॉलेज के दोस्त ज्यादा अज़ीज़ है। तीन चार दोस्त यही इसी शहर में रहते है पर सच कहूं उनसे कभी मुलाक़ात नहीं हुई।सब बहुत व्यस्त है अपने जीवन में।एक दिन मन हुआ जो इस शहर में रहते है उन सब से मुलाक़ात करू। पुराने दिनों को याद करूं।


यही सोच कर किसी तरह सबसे संपर्क किया और आना कानी व समय के अभाव के बावजूद भी मिलने का दिन तय किया।सभी ने बोला किसी होटल में मिलेंगे और पार्टी करेंगे।मैं भी मान गया।दो दिन बाद मिलना था, पर मुझे ऐसा लगा कि जो मज़ा यहां घर में बैठ कर पुराने दिन याद करने में है वो होटल में नहीं।रविवार के दिन मैंने सबको मेरे घर आने बोला।किसी को कुछ समझ नहीं आया पर मान गए।


चाहता तो ये मुलाक़ात साधारण रहने देता पर क्या करू दोस्ती दिल के ज्यादा करीब है।सभी के लिए बियर की बॉटल मंगवाई।नयन को कॉलेज में गिटार बजाने का शौक था पर उसके पिताजी ने वो शौक भी तोड़ दिया था,इसलिए उसके लिए गिटार का इंतजाम किया। शायद उसे अच्छा लगे। मोंटी को मेरे हाथ की बिरयानी पसंद है ,उसके लिए वो भी बना लिया। सूरज कॉलेज में मेरा रूममेट था, उसे किताबो से बड़ा लगाव था। उसके लिए उसके पसंदीदा लेखक की किताब भी मंगवा ली।रवि के लिए कुछ खास था। खैर सब एक एक करके घर आ गए और माहौल देख कर खुश गए।किसी ने नहीं सोचा था कि उन्हें ये सब देखने को मिलेगा।वो दिन मेरे ज़िन्दगी का सबसे ख़ास पल था।नयन ने गिटार से ढेर सारे गाने गुन गुनाए।मोंटी ने जरूरत से ज्यादा बिरयानी खाई और सूरज किताबो में गुम हो गया।पूरी रात हमने जाम टकराए और पुराने दिनों को याद करके हस्ते रहे।सच कहूं आज भी सब वैसे ही है, कुछ नहीं बदला। रवि को लगा जैसे उसके लिए मैंने कुछ नहीं रखा था।उसके पास जाकर मैंने कंधे पर हाथ रख कर अपनी कंपनी का जॉब लेटर थमा दिया और उसकी आंखो में आंसू आ गए । सभी दोस्तो ने मुझे भाई भाई बोलकर गले से लगा लिया।


जानते है ये दिन खास क्यों था? होटल में बैठ कर बाहर का खाना खा कर पुराने दिनों को याद किया जा सकता है पर जो मज़ा सबको घर बुलाकर खुशी देने में है उसकी बात ही कुछ और है।


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