मेरा घर
मेरा घर
जहाॅं मेरा जन्म हुआ वहाॅं मैं आज भी रहती हूं। ऐसा सौभाग्य सबको नहीं मिलता। लोगों का बचपन कहीं और गुजरता है और जवानी कहीं और गुजरती है। मेरा जन्म जिस घर में हुआ और आज भी मैं यही रहती हूं।
इस घर के साथ बहुत सारी यादें जुड़ी हुई है। हमारा परिवार पहले संयुक्त था। सब मिल जुल कर रहते थे। सबसे ज्यादा आनंद त्यौहारों में आता था। उसके बाद दादा दादी का देहांत हो गया। चाचा भी अपनी नौकरी के लिए बाहर चले गए और कुछ समय पश्चात चाची भी अपने बच्चे के साथ शहर चली गई। हां, कभी कभी वो लोग आते है। मुझे ये घर पसंद है और इस घर से मुझे बहुत प्यार है।
कुछ सालों बाद हम यहां से चले जाएंगे। पर जहाॅं भी जाएंगे वो बात नहीं होगी जो इस घर में है। यहाॅं अपनापन है, बचपन की यादें है और खुशबू है अपनी मिट्टी की।