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Priyanka Gupta

Drama Tragedy Inspirational

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Priyanka Gupta

Drama Tragedy Inspirational

प्रेमदान

प्रेमदान

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"आज न जाने क्यों उसकी यादें मेरी आँखों में आंसू भर रही हैं।ये आँखें भी तो उसी की ही हैं और यादें भी उसी की। पिछले साल आज ही के दिन तो मैं उससे मिली थी। ",आरती अपने आप से बातें कर रही थी। 

पिछले साल एक दुर्घटना में आरती बाल -बाल बची थी ;मौत को तो उसने चकमा दे दिया था ;लेकिन उसकी आँखें हमेशा के लिए उसकी दुनिया में अँधेरा करकर चली गयी थी। हॉस्पिटल के बेड पर पड़ी हुई आरती की जीने की इच्छा ही ख़त्म हो गयी थी। आँखों के बाद ज़िन्दगी में बचा ही क्या है ?

"आपने मुझे भी मर जाने दिया होता ?,डॉक्टर",आरती बार -बार यही कहती थी। 

"जब आप लोग मेरी आँखें ही नहीं बचा सके तो मुझे क्यों बचाया ?",आरती अक्सर यही कहती रहती। 

"बेटा ,यह तुम्हें दूसरी ज़िन्दगी ईश्वर ने दी है। इसकी कद्र करो। ",मम्मी -पापा समझाते। 

लेकिन हर चीज़ में परफेक्शन चाहने वाली आरती अपने इस इम्पेर्फेक्शन को स्वीकार ही नहीं कर रही थी। 

"आरती ,अपने आपको सम्हालो। ऐसा ही चलता रहा तो तुम कभी यहाँ से डिस्चार्ज नहीं हो पाओगी। ",नर्स -डॉक्टर सब समझाते। लेकिन आरती न तो समझ ही रही थी और न ही स्वीकार कर रही थी। 

उस दिन ,उस लड़की को भी आरती के वार्ड में ही शिफ्ट किया गया था। उसके रूम में प्रवेश के साथ ही खनकती हुई हँसी की आवाज़ पूरे कमरे में गूँज उठी। वह वार्ड ब्वॉय और नर्स से बातें कर रही थी। 

"अरे ,इतना मत बोलो। टाँकों में दर्द होगा। ",नर्स ने टोका। 

"दीदी ,बोलने हँसने से टाँकों में नहीं ,मुँह में भले ही दर्द हो सकता है। वह भी मेरे नहीं ,आपके। क्यूंकि आपको हँसाने वाला पेशेंट तो आज ही मिला है। ",उसने खनकती आवाज़ में कहा। 

"अच्छा बाबा ,अच्छा। जिस दिन से तुम एडमिट हुई हो ;केवल जब सोती हो;तब ही चुप होती हो। या ऑपरेशन टेबल पर चुप हुई थी। ",नर्स ने कहा था। 

"मुस्कान तो अपने नाम के जैसी ही है। अगर यह घर पर न हो तो ,हमारा घर ही सूना हो जाता है। ",शायद उस लड़की की माँ थी। 

"मम्मी ,अब मैं ज्यादा दिन यहाँ नहीं रहने वाली ;भाई को बोल देना जल्द ही उसकी शैतान की नानी वापस आने वाली है। अगर मुझे जापानी भाषा आती तो आज मैं लाखों रूपये कमा रही होती। मैंने सुना है कि जापान में लोग बातें करने के लिए पैसे देते हैं ;क्यूँकि उनके पास बातें करने वाला कोई नहीं होता है। 

",मुस्कान ने कहा। 

आरती उनकी बातें सुन रही थी।अच्छा इस लड़की का नाम मुस्कान है। उसने सोचा कि," इस लड़की का कोई छोटा -मोटा ऑपरेशन हुआ होगा। इसीलिए इतनी खुश और निष्फिक्र है। "

नर्स उसे शिफ्ट करके चली गयी थी। आरती की मम्मी ,मुस्कान की मम्मी से बातें करनी लगी। 

मुस्कान का भी एक्सीडेंट हुआ था और एक्सीडेंट के कारण डॉक्टर को उसका एक पैर काटना पड़ा था। 

बताते -बताते मुस्कान की मम्मी रो पड़ी थी। "मम्मी ,इसमें रोने का क्या है ? अब मैं पैरा ओलंपिक्स में पार्टिसिपेट कर सकती हूँ। निःशक्तता प्रमाण-पत्र के साथ सरकारी नौकरी मिल जायेगी। कम से कम ज़िंदा तो हूँ ;वैसे भी आप कहते हो करोड़ों योनियों में भटकने के बाद मानव योनि मिलती है। इस बहाने आप सबसे अपनी सेवा भी तो करवा रही हूँ। ",मुस्कान ने उसी खनकती आवाज़ में कहा। 

अब मुस्कान और आरती की बातचीत होने लगी। मुस्कान उसे समझाती और ज़िन्दगी का महत्व बताती। "यार ,आजकल तो साइंस ने इतनी प्रगति कर ली है। तुम्हें कोई न कोई नेत्रदाता मिल जाएगा और तुम फिर से देखने लगोगी। तुम कितनी खुशकिस्मत हो कि ज़िंदा तो हो। "

आरती ,मुस्कान की बातों से अपने दुःख को भूलने लगी थी। 3 -4 दिन बाद मुस्कान को बहुत तेज़ बुखार हुआ। उसे कोई इन्फेक्शन हो गया था। 2 दिन बाद मुस्कान की मृत्यु हो गयी। मुस्कान ने आरती को बातों -बातों में बताया था कि ,"ऐश्वर्या रॉय की बातों से प्रभावित होकर मुस्कान ने भी नेत्रदान का संकल्प ले लिया था और फॉर्म भी भर रखा था। अब विश्व सुंदरी कोई बात कहे तो माननी तो पड़ेगी ही न। "

मुस्कान की मृत्यु की ख़बर के कुछ समय बाद ही डॉक्टर ने बताया कि ,"आरती को एक नेत्रदाता की आँखें लगाई जायेगी। जल्द ही आरती देखने लग जायेगी। "

हॉस्पिटल के नियमों के अनुसार दानदाता की पहचान गुप्त ही राखी जाती है। लेकिन आरती के दिल ने उस दिन कहा कि ,"तुम्हें मुस्कान की ही आँखें मिल रही हैं। "

आरती ने अपनी दिल की बात पर भरोसा किया और अपने आप से प्रण लिया कि ,"वह मुस्कान के जैसे ही जिंदादिली से जियेगी। साथ ही लोगों को नेत्रदान के लिए प्रेरित करेगी। नेत्रदान ही प्रेमदान है ;नेत्रदान ही महादान है। नेत्रदान के जरिये हम लोगों के दिलों में मरने के बाद भी जिन्दा रह सकते हैं।"


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