प्रेम का ढकोसला
प्रेम का ढकोसला
जिस समय कलुआ छत्तर दादा की घुड़साल के गेट में घुसा उसकी निगाह घुड़साल के बरामदे में पड़े तख़्त पर लेटे छत्तर दादा पर पड़ी और वो उसी तरफ लपक लिया।
"पाय लागू छत्तर दादा।" कहते हुए कलुआ ने छत्तर दादा के पैरो को इस तरह पकड़ा कि वो उछल कर बैठ गया।
"क्या हुआ बे कलुआ, शोर क्यों मचा रहा है?" छत्तर दादा उबासी लेते हुए बोला।
"कोई काम नहीं था तो सोचा आपके दर्शन करता चलू।" कलुआ तख़्त के पास पड़े एक मोढ़े में बैठता हुआ बोला।
"हो गए दर्शन, अब खिसक………" छत्तर दादा पुनः तख़्त पर लेटते हुए बोला।
"दादा ऐसी बेरुखी न दिखाओ, बिना चाय पीये तो जाऊँगा नहीं।" कलुआ ढिटाई के साथ बोला।
"बेटे चाय तो चार बजे ही बनेगी तब तक तू मुझे पकाने की सोच रहा है क्या?" छत्तर दादा पुनः उबासी लेते हुए बोला।
"पकाऊँगा नहीं दादा, बहुत मजे की खबर सुनाऊँगा……" कलुआ चहकते हुए बोला।
"बहुत मजे ले रहा है आजकल तू, कुछ कर खा ले……आज भी सोशल मीडिआ का ही कोई कचरा ले कर आया होगा।"
"सोशल मीडिआ के नाम से बहुत नाराज हो जाते हो, लेकिन ये खबर मजेदार है।" कलुआ छत्तर दादा की तरफ देखते हुए बोला।
"तो सुना दे खबर……" छत्तर दादा चिचिड़ाहट के साथ बोला।
"छत्तर दादा तुम्हे पता है बड़ी उम्र की स्त्रियों प्रेम क्यों करती है?" कलुआ ने पूछा।
"तू ये बकवास करने आया है यहाँ, जल्दी से मुद्दे पर आजा नहीं तो दफा हो जा यहाँ से……" छत्तर दादा गुस्से से बोला।
"गुस्सा मत करो दादा, सोशल मीडिआ पर आज इसी सब्जेक्ट पर गर्मा-गर्म चर्चा हो रही थी।
"बहुत ही फूहड़ हो गया है तेरा सोशल मीडिआ……यही सब बकवास चलती है दिन रात वहाँ……क्या किसी भद्र महिला ने डाली थी ये पोस्ट?" छत्तर दादा ने पूछा।
"नहीं दादा एक भद्र पुरुष ने डाली थी, लेकिन ज्यादातर महिलाएँ उस पोस्ट से सहमत थी।" कलुआ ने बताया।
"समझा, भद्र पुरुष ही इस प्रकार की पोस्ट डाल सकता है, पूरी पोस्ट क्या थी?" छत्तर दादा ने पूछा।
"पूरी पोस्ट थी- 'बड़ी उम्र की महिला प्रेम इसलिए करती है क्योंकि वो दोबारा जीना चाहती है।'
"गजब पोस्ट है भाई, पोस्ट क्या एक जाल है जिसमें प्रेम की तलाश करती महिलाएं जा फँसे ……" छत्तर दादा उपहास भरे लहजे में बोला।
"ऐसा क्यों कह रहे हो, क्या प्रेम करना गुनाह है दादा?" कलुआ ने पूछा।
"प्रेम करना गुनाह नहीं है, प्रेम किसी भी उम्र में हो सकता है, लेकिन प्रेम के नाम पर ढोंग और दिखावा बहुत बड़ा गुनाह है।" छत्तर दादा बोला।
"समझा नहीं दादा?" कलुआ अपना सिर खुजाते हुए बोला।
"अबे मूढ़ बुद्धि तू नहीं समझेगा, प्रेम एक सबसे सरल लेकिन गूढ़ विषय है तेरे जैसे मूर्खो के पल्ले नहीं पड़ेगा।" छत्तर दादा हँसते हुए बोला।
"तुम तो बहुत ज्ञानी हो, तुम समझाओ तो सही मैं समझ जाऊँगा।" कलुआ चिढ कर बोला।
"तो सरल भाषा में सुन बेटे, प्रेम एक खूबसूरत एहसास है इसे वो ही महसूस करता है जिसने कभी प्रेम किया है। प्रेम दो व्यक्तियों के बीच स्वतः घटित होता है, इसके लिए कोई विज्ञापन नहीं देना पड़ता है।" छत्तर दादा बोला।
"तो इस पोस्ट में क्या गलत है?" कलुआ ने पूछा।
"ये पोस्ट एक पुरुष की सोच के अनुसार लिखी गई है, इसमें जीने-मरने का कोई मसला ही नहीं है, बड़ी उम्र की औरत, खासकर अगर वो शादीशुदा हो तो; प्रेम तो वो करती है लेकिन कहीं उसके पति या बच्चों का मामला बीच में आ जाए तो आशिक की खटिया खड़ी कर देती है, जरूरत पड़े तो आशिक के सिर पर दो चार जूती भी रसीद कर सकती है। कुछ समझा?" छत्तर दादा हँसकर बोला।
"सब सिर के ऊपर से उड़ गया………कुछ समझ नहीं आया।" कलुआ ने पुनः सिर खुजलाया।
"बेटे तो साफ शब्दों में सुन, प्रेम करो लेकिन तमाशा न खड़ा करो, जैसे कोई महिला पोस्ट डाले कि उसे तो आज तक प्रेम नहीं मिला, ये भोंडापन है और विज्ञापन भी है कि वो भद्रा नारी ऑनलाइन प्रेमालाप के लिए उपलब्ध है।" छत्तर दादा गुणी व्यक्ति की तरह बोला।
"लेकिन इस पोस्ट का इस बात से क्या मतलब?" कलुआ ने पूछा।
"बेटे ये भी विज्ञापन ही है जो प्रदर्शित करता है कि वो भद्रपुरुष कुछ बड़ी उम्र की भद्र महिलाओ से ऑनलाइन प्रेमालाप के लिए उपलब्ध है l इस विज्ञापन के अनुसार जो महिलाएं अपने पति के साथ रहते हुए मृतप्राय हो चुकी है अब वो उस भद्र पुरुष से प्रेमालाप कर नवजीवन प्राप्त कर सकती है l कुछ समझ में आया?" छत्तर दादा बोला ।
"ज्यादा तो समझ नहीं आया लेकिन जो समझ आया उसका मतलब है कि ऑनलाइन प्रेम के लफड़े में न फंसो नहीं तो सिर पर जूती पड़नी तय है।"
"सही समझा तू, चल चाय का वक्त हो गया है, किचन में जाकर चाय बना खुद भी पी और मुझे भी पिला और यहाँ से खिसक ले।" छत्तर दादा तख़्त पर पसरते हुए बोला।
