पर्दाफाश
पर्दाफाश
दूरदर्शन पर अँगूठी दिखाकर विज्ञापन करवाया कि - ये एक अनोखी प्रकार की खास अंँगूठी है ,जो इस प्रकार की एक हजार अँगूठी बनाकर दे सकता है, मोहनलाल सुखदेव व्यापारी से तुरंत सम्पर्क करे।
सम्पर्क फोन नंबर - 1153459670
विज्ञापन देने के ठीक दो दिन बाद एक फोन आता है - "मैं प्रेमबिहारी लोहार बोल रहा हूँ , यदि आपको विज्ञापन वाली अँगूठी चाहिए तो सदर बाज़ार की गली नं 5 में आ जाएँ।" मोहनलाल सुखदेव फोन रख देता हैं। अगले दिन सुबह 11 बजे तक तक मोहनलाल सुखदेव व्यापारी प्रेमबिहारी से मिलने जाता है।
मोहनलाल सुखदेव व्यापारी- "ध्यान से देखो इस अँगूठी को बिल्कुल ऐसी ही अँगूठी चाहिए ।"
प्रेमबिहारी लोहार- "साहब ये अँगूठी आपको कहाँ से मिली। ये तो मेरी यहाँ बनी अँगूठी है।"
"अच्छा ! मुझे तो मेरी आगरे वाली मौसी ने दी है।"
प्रेमबिहारी लोहार- "अच्छा साहब।"
मोहनलाल सुखदेव व्यापारी -" अच्छा भाई ये तो तुमसे यह अँगूठी किसने खरीदी थी।"
प्रेमबिहारी - हिचकिचाते हुए , "रहने दीजिए साहब। क्या करेंगे जानकर।"
मोहनलाल सुखदेव एक हजार अँगूठी का आर्डर और पचास हजार रूपए एडवांस में देकर चले जाते हैं।मोहनलाल सुखदेव व्यापारी सारी बात तुरंत अपने दोस्त पवन कुमार को बताते हैं।
प्रेमबिहारी की दुकान पर अब सादे कपड़ों में पुलिस तैनात कर दी जाती है, जो कि हवालदार सोहनपाल है।हवालदार सोहनपाल फोन करके इंस्पेक्टर विनय को बताता है कि प्रेमबिहारी की दुकान से करीब तीस से पैंतीस साल एक आदमी आया है जिसने पच्चीस हजार में चार अँगूठी खरीदी हैं। कुछ अजीब सा जान पड़ता है। इंस्पेक्टर विनय कहता है कि सोहनपाल तुम कैसे भी करके उसे रोककर रखो मैं दस मिनट में पहुँचता हूँ।
सोहनपाल झट से दुकान अंदर जाता है।
"भाईसाहब मुझे एक जोड़ी अपने बीवी के लिए बाली बनवानी है।"
प्रेमबिहारी - "भाईसाहब रूकिए पहले मैं इन भाईसाहब का आर्डर पूरा कर दूँ।"
"अच्छा भाई।भाई प्यास लगी है एक गिलास पानी मिलेगा।"
"हाँ जी जरूर ! जरा ठहरिए।"वह फ्रिज से ठंडा पानी निकालकर देता।
"हाँ जी भाईसाहब ये लीजिए आपकी अँगूठियाँ आ गई ।"पैकेट सोहनपाल के साथ बैठे व्यक्ति को पकड़ाता है।
व्यक्ति - "ठीक है मैं चलता हूँ , फिर मिलूगाँ।"
इतने में ही इंस्पेक्टर विनय पहुँच जाता है। तुरंत उस व्यक्ति को पकड़ कर बोलता है - "हाँ भई कितनी अँगूठी खरीदी हैं।"
पीछे- पीछे गाड़ी में इंस्पेक्टर पवन कुमार व मोहनलाल सुखदेव व्यापारी भी वहाँ आ पहुँचते हैं।व्यक्ति व प्रेमबिहारी थाने में लाया जाता है। अँगूठी दिखाकर प्रेमबिहारी से पूछा जाता है कि ये दोनों अँगूठी तुम्हारे यहाँ से ही खरीदी गई हैं।
प्रेमबिहारी -" हाँ साहब ! इन्होंने ही खरीदी है , इनका नाम बलदेव है।"
इंस्पेक्टर विनय -" बलदेव सिंह , कहीं ये वो तो नहीं जिसने आठ महीने पहले गाजियाबाद के राजेंद्र नगर शहर में एक लड़की का बलात्कार करके मारा था । वो केस तो बहुत दिनों सुर्खियों में रहा था।"
"ओह ! हमारे दिमाग से वो बलदेव रेपिस्ट रिंग किलर कैसे दिमाग से निकल गया" इंस्पेक्टर पवन ने कहा।
हवलदार सोहनपाल - "इसका मतलब सर जी ये तो वही रेपिस्ट है जो रिंग पहनाकर बलात्कार करके लड़कियों को मार देता है।"
गाजियाबाद का रिंग किलर ।भई तू दिल्ली में भी आ गया।अब ना बचेगा,छोड़ेंगे नहीं तुझे।"
अभी तक 5 कत्लों को अंजाम देकर अँगूठियों की खरीदारी कर रहा।
"बाॅय गाॅड सभी मासूम लड़कियों के अंजाम के लिए तुझे छोडूँगा नहीं कभी"........ इंस्पेक्टर पवन ने कहा।