पंखों की उड़ान
पंखों की उड़ान
पंख मेरे सपनों के, उड़ान जो मेरी है,
पंख मेरे उम्मीद के, सपने जो मेरे है।
मंजिल मेरी है,रास्ते जो बनाने है,
सपनो की उड़ान है, क्योंकि पंख जो मेरे है।
चिड़िया कि तरह उड़ना चाहती हूं,
सपनो को है जो पूरा करना।
जी लेना चाहती हूँ अब जो अपने लिये,
क्यूंकि जी चुकी हू जो सबके लिए।
पंखों को ना रोको,उड़ान है मेरी खुदकी,
सपनों के है पीछे जाना,
रोको ना मुझको यूँ ही
समाज के बंधनों में ना मुझको यूं रहना।
दूर-तलक है उड़ मुझको जाना,
छोड़ दो माँ मेरी ऊँगली कुछ पल,
वापस आकर गले जो लगाना है।
उड़ने दो आसमां में,
ये आंसमा जो मेरा है।
पंख मेरे सपनों के उड़ान जो मेरी है,
पंख मेरी उम्मीदों के, सपने जो मेरे है।