पंछी
पंछी
चेप्टर -8 भाग-1
बस के हॉर्न से मेरी नींद सी खुली और वापस आज में लौट आयी। रोज़ की तरह आज बस से उतरते वक़्त रोहित का इंतज़ार नहीं था।
‘चल…’ अंशिका ने कहा और मैं बिना कुछ बोले उसके साथ साथ चल दी।
‘क्या बात है… आज तू कुछ ज्यादा ही उदास लग रही है?’
‘नहीं यार कुछ नहीं’
‘देख… सच बता… घर में किसी ने कुछ कहा?’
‘ना रे, ऐसा कुछ नहीं है ।’
‘तो फिर’
अंशिका की आवाज़ में थोड़ी सी नाराज़गी महसूस हुयी मुझे। सोचा बता देना ही ठीक है, दो दिन से घुटन सी महसूस हो रही है।
‘यार… रोहित ने मुझे प्रोपोज़ किया।’ बिना कुछ सोचे मैंने बोल दिया।
‘कब?’
‘उस दिन जब तू नहीं आयी थी।’
‘वाओ यार… तूने क्या कहा?’
‘अभी तो कुछ नहीं…’
‘कुछ नहीं… पागल है क्या?’
‘क्यों?’
‘डर गयी थी, क्या कहती…’
‘तू तो बिलकुल पागल है यार… कहना क्या था हाँ कह देती ना…’
‘ऐसे कैसे कह देती?’
‘मुंह से, और कैसे…’
‘ अरे… मैं रोहित को जानती कितना हूँ सच कहूँ तो क्लास में देखा है बस। उसके बारे में कुछ नहीं पता मुझे। बात भी तो हमने उस दिन पहली बार की थी और उसने तो पहले दिन ही प्रोपोज़ कर दिया।’
‘तो क्या हुआ?’
‘पहले एक दूसरे को समझना चाहिए ना, दोस्ती हो… बात तब आगे बढ़े तभी अच्छा लगता है…’
‘तू तो ना जाने किस ज़माने में जी रही है।’
‘ठीक है यार… क्या करूं तो?’
‘जा और जा के हाँ बोल दे।’
उसकी इन बातों का कोई जवाब नहीं था मेरे पास। बस इतना जानती थी की मैं रोहित को पसंद करती हूँ पर जानती नहीं हूँ। प्यार होने के लिए, जानना भी तो ज़रूरी है। क्लास का टाइम हो गया था। शुक्र है की रोहित आज बाहर के गेट पर नहीं मिला था पर क्लास में तो होगा ही।
‘गुड मॉर्निंग सर’
‘मॉर्निंग स्टूडेंट्स’
क्लास में सर आ चुके थे। डॉ. आशुतोष त्रिपाठी, बिहार से है, हमारे सबसे फेवरेट प्रोफेसर, फिजिक्स जैसे सब्जेक्ट को भी बहुत इंटरेस्ट से पढ़ाते हैं। उन्हीं की एक क्लास है, जिसे हम रेगुलर लेते हैं। वजह है उनके पढ़ाने का वे, हर बात को बड़े ही सिंपल वे में समझाते हैं। अंदाज़ ही निराला है उनका तो…।
‘सर, कुछ पूछना है…’
पीछे से आवाज़ आई। मनीष था…और कौन हो सकता है। कुछ ज्यादा ही कंफ्यूज़ रहता है।
‘कहिये… क्या पूछना चाहते है?’
‘सर… लॉ ऑफ़ अट्रैक्शन…’
मनीष ने कहा तो पूरी क्लास हंस पड़ी। सवाल ही बच्चों वाला था…।
‘अच्छा जी, लॉ ऑफ़ अट्रैक्शन समझना चाहते है…’
‘सर’
‘तो एक बात पूछे? बताइयेगा?’
‘यस सर’
‘तो ये बताइये कभी नैन मटक्का किये है आप?’
‘जी सर…?’
‘अरे… हम ये पूछ रहे है की कभी कोई छोकरिया पटाये है आप?’
सर की इन बातों पर सबका हंसते-हंसते बुरा हाल हुआ जा रहा था, शायद ये नया तरीका था फिजिक्स समझाने का। मनीष तो इस तरह डर गया की कुछ बोलते नहीं बना बेचारे से…
‘जी सर… वो सर… नहीं सर…, नहीं पटाया किसी लड़की को…’
बेचारा बड़ी मुश्किल से इतना कह पाया।
‘तो रहने ना दीजिए… आप नहीं समझेंगे… बैठ जाइए’