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Gita Parihar

Drama

3  

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पक्षी या मनुष्य ?

पक्षी या मनुष्य ?

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दोस्तों, रामायण पढ़ने पर अनेक प्रश्न मन मथते हैं। उनमें से एक प्रश्न यह भी उठता है,

जटायु कौन थे पक्षी या मनुष्य ?

अधिकांश धारणा है कि जटायु पक्षी थे। 

वाल्मीकि रामायण में इस सन्देह का निवारण किया गया है।

जब रावण सीता हरण कर ले जा रहा था। मैं विलाप कर रही थीं। राम और लक्ष्मण को पुकार रही थीं। उनकी पुकार सुनकर जटायु पुष्पक विमान की ओर आये। 

तब सीता ने उन्हें देखकर कहा,

'जटायो पश्य मामार्य ह्रियमानमनाथवत्' 

अर्थात्  

'हे जटायु आर्य ? 

देखो यह राक्षस मुझे अनाथ की भाँति उठाकर ले जा रहा है।'

सीता ने जटायु को आर्य कहा  

 इससे सिद्ध होता है कि जटायु पक्षी नहीं थे।  

मनुष्य थे, पक्षी को सीता आर्य कह कर संबोधित क्यों करतीं?

 फिर जटायु को पक्षी क्यों कहा गया ? यह भी दिलचस्प है, क्योंकि

ये वै विद्वांसस्ते पक्षिणोयेऽविद्वांसस्ते अपक्ष:। –(ताडय ब्राह्मण 14/1/13) अर्थात

जो विद्वान हैं वे पक्षी हैं अर्थात में अपना पक्ष रखने में सक्षम होते हैं और अविद्वान या मूर्ख वे हैं जो

 अपक्ष यानि पक्ष रहित होते हैं। 

 विद्वानों के दो पक्ष होते हैं, ज्ञान और कर्म।वाल्मीकि रामायण में जटायु को द्विज श्रेष्ठ लिखा है।  

 जटायु पंचवटी के निकट ही गृध्रकूट नामक स्थान के राजा थे।अपने पुत्रों को राजपाट सौंप कर वे वानप्रस्थी हो गये थे। उन्होंने लम्बी-लम्बी जटायें रखी हुई थीं।इसीलिये इन्हें जटायु कहते थे।वे राजा दशरथ के मित्र थे। इसलिए उन्होंने वनवास में श्रीराम की सहायता की और जब लंकापति रावण सीता का हरण करके ले जा रहा था तब सीता को बचाने के लिए रावण से युद्ध किया। रावण ने उनकी दोनों भुजाएं काट दीं। आहत होकर जटायु भूमि पर गिर गए और मृत्यु को प्राप्त हुए।

जटायु 166 वर्ष 8 माह जीवित रहे।


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