पहला कदम
पहला कदम


सिंगापुर शहर के कैफे में बैठी बेलिना अपने आर्डर का इंतजार करती हुई पत्रिका के पन्ने पलट रही थी तभी उसके पति गेलैन का फोन आया ""क्या तुम कल कैंडल मार्च में चलोगी "?"कहां "लिटिल इन्डिया की सड़कों पर, बैंकॉक में बसे अजीत सिंह टैक्सी ड्राइवर की याद में कल वहां कैंडल मार्च निकाली जा रही है क्या तुम जाना चाहोगी"।" पर वह तो भारतीय है हमें उस से क्या लेना देना, नहीं मैं बिल्कुल नहीं जाऊंगी"। गैलैन तुम सब कुछ जल्दी ही भूल जाते हो लेकिन मैं नहीं।
तुम्हें याद नहीं मुंबई में हमने किस तरह का नरक भोगा था।वहां की जमीन पर पहला कदम रखते ही हमारे दुर्दिन शुरू हो गए थे दोजख बन गई थी हमारी जिंदगी। दूसरे देशों में आकर यह लोग यहां की सरकार के खिलाफ चिल्ला चिल्लाकर आवाज उठाते हैं, खुद के गिरेबान में झांक कर नहीं देखते कि खुद का असली रूप क्या है ?
चारसाल पहले की अपमान की स्मृतियों ने उसके कॉफी के घूंट को और कड़वा कर दिया था।उसे याद आ गया वह पुराना समय जब वह सिक्किम से मुंबई आर्ट मे मास्टर की डिग्री लेने पहुंची थी।"पासपोर्ट निकालो "एयरपोर्ट अथॉरिटी के आदमी ने कड़कती आवाज में कहा" क्यों मैं तो एक हिंदुस्तानी हूं एक प्रांत से दूसरे प्रांत में आई हूं "?"अच्छा चेहरे से तो नहीं लग रही" '"सर हमें तो गर्व होना चाहिए।हमारे देश में हर तरह की शक्ल सूरत खान पान वाले लोग रहते हैं।भारत मेरी मातृभूमि है।इस पर जितना हक आपका है उतना ही हमारा है"" " जाओ यहां से, मुझे भाषण नहीं सुनना और भी काम है"।वह बड़बड़ाने लगा।
मुंबई के मर्द उसे बस स्टैंड, टैक्सी स्टैंड पर खड़े देखकर गलत मतलब लगाते चरित्र हीन समझते, उसका मजाक उड़ाते और छेड़छाड़ करने की कोशिश करते।
उसकी पहली मुलाकात गेलैन से ऐसी एक घटना के दौरान ही हुई थी जब लोग उसे बाहर का समझकर तंग कर रहे थे।उसीने वेलिना को कार में बैठाकर हॉस्टल तक सुरक्षित पहुंचाया था। रास्ते में उसने अपनी राम कहानी सुनाते हुये कहा। वह भी पांच साल पहले अरुणाचल प्रदेश से आया था पढाई करने और अब एक अच्छी कंपनी के पद पर कार्यरत है। उसे भी ऐसी समस्याओं से गुजरना पड़ा था।
परिचय धीरे-धीरे बढ़ते हुए शादी तक आ पहुंचा।वेलिना की छोटी बहन भी पढ़ाई के लिए आ गई थी। अब उन्हें दो बैडरूम फ्लैट की जरूरत थी।फ्लैट की तलाश के दौरान सुखद दुखद अनुभव दिल को चोट पहुंचा रहे थे।तरह-तरह की बातें सुनने को मिलती थी।आखिरकार एक फ्लैट मिला तो सही लेकिन दुगने किराए पर।कारण पूछने पर मकान मालिक ने कहा ""हम लोकलाइट्स को ही फ्लैट देते हैं वे विश्वास के लायक होते हैं।तुम्हारे जैसे लोगों को रखने का मतलब है रिस्क लेना।अभी पीछे ही तुम्हारी जैसी लड़की ड्रग्स का धंधा करते पकड़ी गई।अफीम गांजा चरस के तुम लोग व्यापारी हो और ःःतुम्हें रखने का मतलब है पड़ोसियों के ताने सुनना पड़ता है,तुम्हारे गंदे बदबूदार खाने के कारण ---देख लो किराया मंजूर हो तो अग्रिम राशि दे दो"" मकान मालिक अपनी टोपी संभालते खीसें निपोरते हुये बोला।
यह तो सीधा साधा नस्लबाद था पर कोई दूसरा रास्ता भी तो नहीं था।रहने की जगह गेलैन के ऑफिस के और बाजार के काफी पास थी।
क्लास में भी उसकी अपनी अलग परेशानियां थी सभी उसे पीने वाली, पार्टी गर्ल समझते थे मना करने पर भी नाइट क्लब, पब में चलने को कहते।
असम की खूबसूरत फिजाओं को छोड़कर मुंबई के प्रदूषित, उमस भरे मौसम मे वैसे ही उसका मन उचाट रहता, ऊपर से ऐसी बातें मानसिक तनाव कोऔर भी हवा दे रही थी।
उसका दिल प्रकृति के कोमल एहसास से निकलकर, महानगर की कठोरता से जूझने को उसको मजबूर कर रहा था""क्यों आते हम मुंबई अगर सरकार ने वक्त रहते हमारे इलाके में शिक्षा के विकास पर पर ध्यान दिया होता। क्या जरूरत थी हमें। आए तो भी क्या अपने ही देश में हैं। भारतीय नागरिकता हमारा जन्मसिद्ध अधिकार है फिर हमें अपने ही देश में बार-बार जलील क्यों होना पड़ता है?यह सवाल वेलिना को अंदर से कठोरता और गुस्से से भर देता।फिर इनको हमसे इतना परहेज क्यों, सब यहां हमारे अल्कोहल और लूज करेक्टर होने का पूर्वाग्रह पाल बैठे हैं।क्या मुंबई वासी ऐसे नहीं है बल्कि हम से भी ज्यादा उल्टा सीधा पहनावा, मॉडर्नपना, गंदगी है"" अक्सर छोटी बहन से शिकायत करती वह
"" सही है यह केवल अपने साथ ही नहीं बल्कि हम जैसे सभी के साथ हर जगह हो रहा है हर जगह पक्षपात है ऐसा लगता है हमारे अस्तित्व की किसी के लिए कोई अहमियत ही नहीं है। फिर चाहे सरकार और मीडिया हो या वहां के रहवासी सभी खुलेआम नकारते हैं हमारे भारतीय होने को।चैनल वाले मुंबई के आसपास छोटे से छोटे पिछड़े गांव में भी पहुंच जाते हैं खबरों के लिए।मगर उत्तर पूर्वी भारत के प्रदेशों में जाने में उन्हें भी बड़ा परहेज है ""एलिना कह उठी
""हम एक कदम आगे सीढ़ी पर ज्यादा चढ़ चुके हैं इसलिए हमारी सोच प्रगतिशील है हम हिंदुस्तानियों को चाहिए कि जब सूर्य पश्चिम की तरफ होगा तो हम उसे हिंदुस्तानी आसमा का सूरज मानकर प्रणाम करें, ।इस बात की कोई अहमियत नहीं होनी चाहिए कि हम वह सूरज दिल्ली में देख रहे हैं या मिजोरम नागालैंड त्रिपुरा में देख रहे हैं।पर यह बात सबकी समझ में आए तब ना" ऐलिना विद्रूपता से भर उठी
वेनिला अपनी डिग्री पूरी कर चुकी थी और किसी अच्छी नौकरी की तलाश करती हुई घर संभाल रही थी। उस शाम एलीना कालेज से घर वापस नहीं आई।पहले उसने सोचा कि वह अपने किसी मित्र के यहाँ गई होगी पर जैसे-जैसे रात गहरी होने लगी उसकी चिंता घबराहट से डर में बदलने लगी। सुबह कॉलेज में पता किया। मालूम हुआ वह तो कल कॉलेज ही नहीं आई थी।यह खबर तो और भी होश उड़ाने वाली थी। हार कर पुलिस में रिपोर्ट लिखाने गई ""यह दिन तो आना ही था तुम लोगों को समझना चाहिए, तुम मुंबई में रह रहे हो।तुम्हें यहां के तौर तरीके अपनाने चाहिए तुम भारतीय नहीं चाइना से आये घुसपैठिए लगते हो।"" पुलिस इंस्पेक्टर ने कहा और हमसे पूछा "" यहां के तौर तरीके तुम्हेँ मालूम है जब आए थे मुंबई पुलिस की व्यवहार नियमावली पत्रिका लेकर पढ़नी समझनी चाहिए थी।इसमें स्पष्ट लिखा है तुम्हारे जैसे यहां आए तो उन्हें कैसा व्यवहार करना चाहिए तुम्हारी औरतों को भारतीय परिधान पहनकर भारत के नियमानुसार रहना चाहिए।"" आप सिखाएंगे हमें व्यवहार हम क्या सर्कस के जानवर हैं और आप वहां के रिंग मास्टर।आप हमें प्रशिक्षित करेंगे।हम भी दिमाग रखते हैं वैसे हम यहां अपनी बहन की गुमशुदा होने की रिपोर्ट दर्ज कराने के लिए आए हैं ना कि आप से आचार संहिता सीखने के लिए""
आखिर एक घंटे की मगजमारी के बाद रिपोर्ट दर्ज हो गई। पुलिस प्रक्रिया अत्यंत ही ढीली ढाली थी।एक दिन सुबह सुबह अभी मुंबई में सूर्योदय ही हुआ था कि थाने से फोन आ गया।"" समुद्र के किनारे कल एक सूटकेस में किसी युवती की बॉडी छोटे-छोटे टुकड़ों में पड़ी मिली है पोस्टमार्टम के अनुसार उसकी उम्र सोलह से बीस साल के बीच में होनी चाहिए। डीएनए रिपोर्ट आना अभी बाकी है।आपसे निवेदन है कि आप शिनाख्त के लिए आ जाएं
इतना सुनते ही वह स्तब्ध हो गई बेलिना को इंस्पेक्टर की आवाज किसी गहरे कुएं से आती प्रतीत हो रही थी। वह जिस हालत में बैठी थी पुलिस स्टेशन पहुंच गई।बॉडी छोटे-छोटे टुकड़ों में पड़ी मिली। लाश का चेहरा तेजाव छिड़ककर बिगाड़ दिया गया था फिर भी बाए हाथ पर बना टैटू ही, मानव शरीर को एलीना की लाश होने की पुष्टि साफ साफ कर रहा था।
सब कुछ प्रत्यक्ष था फिर भी वेलिना का दिल इस हृदय विदारक सच को झुठलाने की असफल कोशिश कर रहा था।वह जानती थी कि ये खूबसूरत शरीर एलीना का ही है पर मन को सच स्वीकार नहीं था।
लम्हा लम्हा एक एक सदी सा प्रतीत हो रहा था। आखिर डीएनए की रिपोर्ट से भी साबित हो गया एलिना ही है।
जब तक ऐलिना जीवित थी।दोनोँ बहनो का प्यार औसतन दर्जे का ही था। बेलिना ने अपनी नई दुनिया बसाई थी वे दोनों एकांत चाहते थे पर एलीना के आकर रहने से एक कमरा और लेना पड़ा तो मकान का किराया भी बढ गया, खर्चे भी बढ़ गए ।वह रोज मिन्नत मानती कि जल्दी से जल्दी एलीना की पढ़ाई पूरी हो और उसकी जिम्मेदारी से वह मुक्त होकर चैन की सांस ले पर उसे नहीं पता था कि उसे एलीना की जिम्मेदारी से इतनी जल्दी इस रूप में मुक्ति मिलेगी अब अपने आप से वेलिना को घृणा होती चली गई घंटों एलीना की तस्वीर के आगे बैठी रहती।जब तक वह थी तब तक वह उसके लिए खास नहीं थी पर मरने के बाद वह उसके अंदर समा कर उसका हिस्सा बन गई थी
दिन रात छोटी बहन को याद करके बेलि ना की आंखों से अविरल धारा बहती रहती पुलिस ने तो अपनी कार्यवाही बंद कर दी थी पर बाद में असम सरकार के दबाव से सच्चाई पता लगी।
घटना वाले दिन एलीना जब नोट्स लेने पहुंची अपने शिक्षक के यहां, तब उनके साथ घर पर कोई और भी मौजूद था। दोनों ने बारी-बारी से एलीना के साथ जोर जबरदस्ती की और उसका मोबाइल वीडियो बनाया। उन्होंने एलीना को धमकाया भी कि इस बारे में वह किसी से कुछ ना कहें,बस समय-समय पर मिलती रहे।जब उसने विरोध किया तो उन दोनों ने उसकी हत्या कर दी और लाश के टुकड़े करके एक सूटकेस में भरकर समुंदर में फेक दी।
बेलिना ने सारी भौतिक यादें मुंबई में ही छोड़ दी थी पर क्या भावनात्मक यादों की परछाइयां पीछे छूट पाई थी ?कोई ना कोई बात उत्प्रेरक बनकर यादों के बवंडर में ले जाती।आज अजीत सिंह की कैंडल मार्च की खबर फिर उसके जख्म हरे कर रही थी थी कुल मिलाकर जीवन में अमन नहीं था।
दुनिया के लिए एलीना चार साल पहले मर चुकी थी पर वेलिना के लिए आज तक वह उसके दिलो-दिमाग में रहकर, उसकी सभी दुनियावी खुशियों को मार रही थी
"मैडम और कुछ चाहिए"? बैरे के आवाज पर वेलीना चौकी, यादों के भंवर से बाहर आई। मुंबई के लोगों के व्यवहार की शुष्कता ने वेलिना के अंदर की इंसानियत को भी सुखा दिया था।इस शुष्कता का प्रभाव इतना ज्यादा था कि आज अजीत सिंह की हत्या की खबर भी आंखों में नमी नहीं ला पाई।खुद के साथ हुये हादसों ने मानवता के प्रति उसके दृष्टिकोण को संकुचित कर दिया था।
अब आंखें नम होती तो थी उसकी पर केवल व्यक्तिगत दुख से। वह नफरत बांट रही थी नफरत के बदले क्या वह समस्या का निदान कर रही थी या फिर जाने अनजाने में खुद समस्या का हिस्सा बनती जा रही थी
उसने एक कप और कॉफी का ऑर्डर दिया।शायद दिमाग को थोड़ी ताजगी की जरूरत है सड़ी गली यादों से वह छुटकारा पाना चाहती थी। वह यादें जो उसके वर्तमान को कैद किए बैठी थी। कैफे से बाहर निकलते ही, भूतकाल की सलाखों के पीछे से अब कैसे बाहर निकला जाए इस निष्कर्ष पर पहुंच चुकी थी।एक ताजा हवा का झोंका उसके चेहरे को छूता हुआ गुजरा तो उसने आकाश की ओर निहारा, जाने क्यों आकाश आज और दिनों की अपेक्षा ज्यादा साफ लग रहा था।
उसने शाम को गेलैन से कहा "" मैं भी तुम्हारे साथ चलूंगी" '"मुझे तुमसे ऐसी ही उम्मीद थी वेलिना, गलती तो हम भी करते हैं जो थोड़े से फ्रेंड मैंने और तुमने मुंबई में बनाए थे क्या उनसे हमने कभी संबंध रखा? दोस्ती के पौधे को दिल के आंगन में उगाने के बाद उसकी परवरिश के लिए मेल मिलाप के जिस खाद पानी की जरूरत होती है क्या वह सब हमने दिया? नहीं ना,तो फिर हम अपना पूरा दोष दूसरे पर मढ़ कर खुद को क्यों बचाना चाहते हैं।
जब कोई परिवर्तन लाने का प्रयास करो तो यह अभिलाषा मत रखो कि परिवर्तन तुम्हें अपने जीवनकाल में ही देखने को मिल जाएगा।हां उसमें बदलाव जरूर आएगा और उसका लाभ आने वाली पीढ़ियों को होगा "" "सही बात है गेलैन और पहली बार किसी को तो बीज बोना ही था जो हमने बो दिया "'वेलिना मुस्काई
अगले दिन वेलिना और गेलैन सिंगापुर की भूमि पर भारतीय बनकर अजीत सिंह के कैंडल मार्च में शामिल होने सबसे पहले पहुंच गए।