Vijaykant Verma

Inspirational

3  

Vijaykant Verma

Inspirational

फैशन

फैशन

8 mins
497


18 की सीमा ने एक राष्ट्रीय फैशन प्रतियोगिता में हिस्सा लेना था। इसके लिए उसने कई ड्रेसेस बनवाई, पर अभी तक उसे कोई भी ड्रेस पसंद न आई थी। हर ड्रेस में कोई ना कोई कमी उसे नजर आती। लेकिन अंततः उसने एक सर्वोत्तम ड्रेस का चुनाव कर ही लिया। उस ड्रेस को पहन कर वो मेरे पास आई और बोली-"ये देखिए अंकल, इस ड्रेस में मैं कैसी लग रही हूं..?"

मैंने देखा, ड्रेस वास्तव में बहुत ही मस्त थी। पर इस ड्रेस से उसके सीने का उभार साफ दिख रहा था, जो किसी भी जवान दिल को मदहोश करने के लिए काफी था।

मैंने उससे कहा-"ड्रेस तो अच्छी है, मगर फैशन में इतना खुलापन नहीं होना चाहिए, जिसे देख कर लोगों की वासना भड़क उठे।"

उसने कहा-"अंकल जी, फैशन प्रतियोगिता में ऐसी ही ड्रेस चलती है। अगर अंगों का उभार न दिखे, तो मैं प्रतियोगिता नहीं जीत पाऊंगी।

मैंने कहा-"फैशन का अर्थ तो खूबसूरत ड्रेस से है न? या फैशन का यह अर्थ यह है कि अधिक से अधिक बदन दिखे..?"

उसने कहा-"फैशन का अर्थ तो खूबसूरत ड्रेस से ही है, पर मैंने अब तक उन सभी फैशन सुंदरियों की ड्रेसेस देखी है, जो फैशन प्रतियोगिताओं की विनर हैं। और उन सभी लड़कियों की ड्रेसेज बहुत ही मस्त हैं..! और उसमे उनके जिस्म का अंदरूनी हिस्सा दिखता है..!"

मैंने कहा-"बेटा, तुम्हारा कहना सही है, पर ये गलत है। फैशन की ड्रेस ऐसी होनी चाहिए, जिसे पहन कर लड़कियाँ खूबसूरत तो दिखे, पर बेहिचक सबके सामने आ जा भी सकें। मतलब उनके अंदरूनी अंग इतना न दिखे, कि उन्हें खुद उस ड्रेस में किसी के सामने जाने में शर्म महसूस हो.!"

"अंकल, आप भी कैसी बातें करते हैं.? अगर लड़की जवान हो, तो जवानी में वो कोई भी ड्रेस पहने, उसके जिस्म के उभार तो दिखेंगे ही..! उसे कोई कैसे छुपा सकता है..? आप पुराने ज़माने के हैं, इसीलिए फैशन की इन मस्त मस्त पोशाकों को लाइक नहीं कर रहे हैं..!"

"मैंने कहा बेटे, तू क्या समझती है, कि पुराने ज़माने में फैशन नहीं था..? फैशन तब भी था, और लड़कियाँ तब भी बहुत मस्त मस्त ड्रेसेस पहनती थीं। लेकिन तब फैशनेबल ड्रेसेस आज की तरह के नहीं होते थे। यद्यपि उन कपडों की डिज़ाइन बेहद खूबसूरत होती थी, फिर भी उन कपडों को पहनने से जिस्म का उभार नही दिखता था..! पर सबसे महत्वपूर्ण बात ये है, कि उन कपड़ों में भी ग़जब का आकर्षण होता था और सेक्स अपील भी होती थी..!"


"ऐसा कैसे हो सकता है अंकल, कि कोई जवान लड़की फैशन भी करे, और उसके अंदरूनी अंग भी न दिखे..?जबकि आजकल तो जो जवान लड़कियाँ फैशन नहीं करती हैं, वो भी बहुत मस्त दिखती हैं। जैसे आप इंगलिश स्कूलों में पढ़ने वाली लड़कियों की ड्रेसेस को देखें, क्या उनकी ड्रेसेस में उनके अंगों का उभार नहीं दिखता है..? वो लाख कोशिश करे, पर ये मुमकिन ही नही है, कि उनके उभार न दिखे।"

"बेटा, तुम ठीक कह रही हो, लेकिन ये भी तो सच है न, कि आज भी बहुत से स्कूल ऐसे हैं, जहां लड़कियों के स्कूल की ड्रेस में दुपट्टा अनिवार्य है। क्योंकि इन दुपट्टों से उनके उभार नहीं दिखते। और जहां तक इंग्लिश स्कूलों का सवाल है, तो इस सच से भी इंकार नहीं किया जा सकता, कि जवानी का प्रदर्शन करने वाली ये स्कूली ड्रेसेस और को-एजूकेशन ही बहुत हद तक ज़िम्मेदार हैं मासूम बच्चों के मन मस्तिष्क में विकार भरने हेतु..!"

"ये तो आपने सही कहा अंकल..! क्योंकि मैं भी जब इंटर क्लास में थी, तो दुपट्टा न होने के कारण मेरे जिस्म के उभार को कुछ लड़के बहुत घूर घूर कर देखते थे, और मेरे से चिपकने की कोशिश भी करते थे। और कभी कभी तो अंकल, मेरे को उनका इस तरह से घूर घूर कर देखना अच्छा भी लगता था, और दिल चाहता था कि उनके साथ थोड़ी मस्ती करूँ, पर मैं हमेशा अपने को कंट्रोल में रखती थी, और उनसे बच कर रहती थी। पर जहां तक बात दुपट्टे की है, तो अब कोई लड़की कहां दुपट्टा पहनती है..? अब तो दुपट्टे का फैशन सिर्फ गाँवों तक ही सीमित है..!"

"सही कहा तूने बेटा, कि दुपट्टे का फैशन अब गाँवों तक ही सीमित है..! पर ये सच अधूरा है। शहरों में भी आज लाखों घर ऐसे हैं, जहां लड़कियाँ दुपट्टा ओढ़ती हैं, जिससे उनके उभार न दिखे। और अब तो मार्किट में दुपट्टे भी नए नए फैशन के मिलने लगे हैं, जो देखने में बहुत ही खूबसूरत लगते हैं.!"

"फिर भी अंकल, ये तो आपको मानना ही होगा, कि दुपट्टे से काम करने में, और दुपट्टे को सम्हालने में कितनी परेशानी होती है..!"

"बिल्कुल सही कहा तुमने। और इस समस्या को दूर करने के लिए ही पुराने ज़माने में झबले का चलन हुआ। आज भी तुम्हें बहुत सी दुकानों में झबले वाले फ्रॉक मिल जायेंगे!"

"ये झबले वाले फ्रॉक के बारे में तो मैं आज पहली बार सुन रही हूं। ये किस तरह का फ्रॉक होता है अंकल..?"

"बेटा, पुराने ज़माने में झबले वाले फ्रॉक खूब फैशन में थे। तब घर की औरतें अपनी लड़कियों के लिए झबले वाली फ्रॉक्स नई नई डिज़ाइनों और नए नए रंगों में बनाती थीं। ये झबले वाली फ्रॉकें ऐसी होती हैं बेटा, कि गले के थोड़ा नीचे से फ्रॉक में एक चौड़ी पट्टी गोलाई में सिल दी जाती है। ये पत्तियां विभिन्न रंगों में, और बहुत मस्त डिज़ाइनों में होती हैं। देखने में बेहद खूबसूरत इन पट्टियों से लड़की के उभार नही दिखते, और बिना दुपट्टे के भी वो कहीं भी आ जा सकती हैं। पर अब इन फ्रॉक्स का चलन शहरों में लगभग खत्म हो गया है, जबकि गाँवों में आज भी बहुत से घरों में लड़कियाँ झबले वाला फ्रॉक पहनती हैं..।"

"बहुत अच्छी बात बताई अंकल आपने। पर फिलहाल इन बातों क्या फायदा, क्योंकि इस समय तो मुझे सिर्फ फैशन प्रतियोगिता के बारे में सोचना है,जहां लोग ऐसी ड्रेस ही पसंद करते हैं, जिससे जिस्म का अंदरूनी हिस्सा ज़्यादा से ज़्यादा दिखे, और देखने वालों की आँखें फ़टी की फटी रह जाएं, और अनायास ही वो बोल पड़े, उफ! कितनी सेक्सी पोशाक है..! और अंकल, मैं बिल्कुल सच कह रही हूं कि अगर उनके बीच मेरी सेक्सी इमेज बन जाये, तो ये प्रतियोगिता पक्का मैं ही जीतूंगी। वैसे भी मेरे कई फ़्रेंड्स मुझसे कह चुके हैं, कि मैं बहुत ही खूबसूरत और सेक्सी हूं। और मेरे जिस्म में एक ऐसी आग है, जो दुनिया को पागल बना सकती है..!"

"सही कह रही हो बेटा, क्योंकि अब समय बहुत ही बदल गया है। पर बेटा, ये बात हमे कभी नहीं भूलना चाहिए, कि सेक्स एक ऐसा नशा है, जो अक्सर पढ़ने लिखने वाले बच्चों की पूरी लाइफ बर्बाद कर देती है..! और अक्सर ये भी देखने में आता है बेटा, कि जिन लोगों को इस नशे की आदत पड़ जाती है, वो इसके पक्ष में नए नए तर्क भी तलाश लेते हैं, ठीक उसी तरह, जैसे कोई शराबी शराब के पक्ष में शराब की अनेको अच्छाइयां तुम्हें बता देगा..!"

"आप बिल्कुल सही कह रहे हैं। लेकिन अंकल, अगर हम इन प्रतियोगिताओं में अपने खूबसूरत अंगों का प्रदर्शन करती भी हैं, तो इसमें गलत क्या है..? क्योंकि जब तक लोग हमारे खूबसूरत बदन को देखेंगे नहीं, तब तक वो हमारी सुंदरता की तारीफ कैसे करेंगे..?"

"हां, ये बात तो सही है तुम्हारी। लेकिन बेटा, ये प्रतियोगिता तो खूबसूरत परिधान के प्रदर्शन की है न..? अगर प्रतियोगिता खूबसूरत बदन दिखाने की होती, तब जिस्म का अंदरूनी हिस्सा भी दिखता, तब भी कोई बात नही। पर अगर प्रतियोगिता फैशन पर है, तो फैशन तो हमेशा ऐसा होना चाहिए बेटा, कि लड़की का तन भी ढ़का रहे, और खूबसूरत भी इतनी दिखे, लोग वाह, वाह कह उठे..!"

"हां अंकल, आपकी ये बात बिल्कुल सही है, कि जब प्रतियोगिता फैशन की है, तो इसमें जिस्म के प्रदर्शन का तो कोई तुक नही है। लेकिन आजकल फैशन में लड़कियां ऐसे कपड़े ही पहनती हैं, जिसमे उनका बदन अधिक से अधिक दिखे।"

"तेरा कहना बिल्कुल सही है बेटा। पर ये गलत है।"

"अच्छा अंकल, एक बात बताइए, बहुत से लोग ये कहते हैं, कि आजकल रेप की घटनायें जो इतनी बढ़ गई हैं, इसका कारण भी ये फैशन है..! क्या ये सच है..?"

"बेटा, पूरी तरह तो नहीं, पर रेप की घटनाओं में बढ़ोत्तरी का एक कारण ये फैशन भी है, ये ज़रूर सच है..!"

"वो कैसे अंकल..?"

"बेटा, हमारी इच्छाएं बहुत कुछ हमारे माहौल पर निर्भर करती है। जैसे तुम प्रेमचंद की कहानियां पढ़ो, तो तुम्हारा दिल करेगा, ऐसी ही और भी अच्छी अच्छी कहानियां पढ़ने का। तुम कोई अच्छी सी ड्राइंग देखो, तो तुम्हारा भी मन करेगा उसी तरह की कोई अच्छी सी ड्राइंग बनाने का। तुम कहीं म्यूजिक कॉन्सर्ट में जाओ, तो तुम्हारा भी दिल चाहेगा गाने का, थिरकने का, झूमने का। बाजार में कोई चाट की दुकान देखोगी, तो तुम्हारा भी दिल करेगा चाट खाने का। इसी तरह अगर कोई लडक़ी ऐसी पोशाक पहनी हो, जिससे उसके बदन का अंदरूनी हिस्सा दिखता हो, तो ऐसी लड़की को देख कर लड़कों के अंदर उस लड़की के साथ मस्ती करने को दिल करने लगता है, और तब कुछ बदमाश टाइप के जो लड़के हैं, वो उन लड़कियों के साथ गलत काम करने का अपराध कर बैठते हैं। इसलिए ऐसा फैशन, जिसमे कोई लड़की बहुत ज़्यादा भड़काऊ कपड़े पहने हो, तो वो जाने अनजाने लड़कों के दिमाग को गलत दिशा में भटका देती है, और रेप जैसी घटनाओं में बढ़ोत्तरी का कारण बनती है..!"

"बिल्कुल सही कहा अंकल आपने। लेकिन मैं अब क्या करूं? क्या इस फ़ैशन प्रतियोगिता से बाहर हो जाऊं..?"

"नही बेटा, मैं ये तो नही कहुंगा तुझसे, पर इतना ज़रूर चाहूंगा, कि और लड़कियां इस फैशन शो में क्या पहनती है, इसकी चिंता छोड़ कर तू एक ऐसे परिधान का चुनाव कर , जिससे तेरा बदन इतना न दिखे, कि देखने वाले आहें भरने लगें, और उनका दिल तेरे साथ मस्ती करने को मचल उठे..! पर तेरा परिधान इतना खूबसूरत ज़रूर होना चाहिये, कि वैसा ही परिधान वो अपने बच्चों को भी लाकर दें, और तेरा ये परिधान बिक्री के सारे रिकॉर्ड तोड़ दे..!!

~विजय कांत वर्मा

(मौलिक रचना)



Rate this content
Log in

Similar hindi story from Inspirational